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एजुकेशन न्यूज़

Corona ने बिगाड़ा चीन का सिस्टम, क्या भारत में भी ऑनलाइन हो जाएंगे स्कूल? चिंता में पेरेंट्स

मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 23 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST
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देश में कोरोना का भय एक बार फिर मंडराने लगा है. चीन से आ रहीं खबरें मानो पुराने वक्त के लौटने की आहट दे रही हैं. भारत में जब हालात लगभग सामान्य जैसे हो गए थे, मास्क और सेनेटाइजर से जैसे लोग मुक्त हो गए थे. ऐसे समय में जब एक बार फ‍िर कोरोना का भय नजर आने लगा है, भारतीय पेरेंट्स में भी चिंता है. चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई से खबर आई है कि वहां ज्यादातर स्कूल ऑनलाइन मोड पर चले गए हैं. नर्सरी और चाइल्ड केयर सेंटर भी बंद हो रहे हैं. कोरोना के भय को लेकर पेरेंट्स क्या सोच रहे हैं, आइए जानते हैं. 

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BBC की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कोरोना के कहर को मद्देनजर रखते हुए चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई ने अपने अधिकांश स्कूलों को आदेश दिया है कि वे बढ़ते कोविड मामले को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन कक्षाएं लें. शंघाई के एजुकेशन ब्यूरो के मुताबिक सोमवार से नर्सरी और चाइल्ड केयर सेंटर भी बंद हो जाएंगे. इसके अलावा चीन में लॉकडाउन के भी आसार नजर आ रहे हैं. 
 

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दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि चीन से आ रही कोरोना की खबरों को लेकर अभ‍िभावक लगातार सवाल पूछ रहे हैं. अब जब बोर्ड एग्जाम सिर पर हैं तो उनमें यह डर भी है कि कहीं कोरोना के नये वेरिएंट के केसेज बढ़ने पर भारत में भी लॉकडाउन जैसी स्थ‍ित‍ि न बन जाए. वहीं लोगों ने पर्सनल लेवल पर बचाव के उपाय अभी से शुरू कर दिए हैं. 

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अपराजिता कहती हैं कि जिस तरह कोरोना की आहट भारत में हो रही है, स्कूलों को अभी से कुछ बदलाव लागू कर देने चाहिए. अभी ठंड की छुट्ट‍ियों के बाद स्कूलों को सिट‍िंग अरेंजमेंट, डिस्टेंस से लेकर मास्क और सेनेटाइजर का नियम लागू कर देना चाहिए. वैसे भी देश के बड़े शहरों में स्मॉग के कारण बच्चों में फेफड़ों की समस्याएं देखने में आ रही हैं. अगर मास्क का नियम लागू होगा तो बच्चे और तमाम इनफेक्शन से भी बच सकते हैं. 

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अभ‍िभावक पंकज यादव की बेटी दिल्ली के एक स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ती है. वो कहते हैं कि मेरी बेटी ने लॉकडाउन के बाद ही स्कूल जाना शुरू क‍िया है. अभी जिस तरह कोरोना को लेकर बात हो रही है, मैं और मेरी पत्नी डर गए हैं. अब समझ नहीं आ रहा कि आने वाले समय में हालात किस तरह बदलेंगे. स्कूलों में कोरोना सेफ्टी नियमों को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए. अभी छोटे बच्चों के लिए टीके भी नहीं आए हैं, उनकी सेहत को लेकर हम लोग कैसे रिस्क ले सकते हैं.  

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अभ‍िभावक ज्योति कुमारी का बेटा पांचवींं कक्षा में द्वारका के एक स्कूल में पढ़ता है. ज्योति कहती हैं कि मुझे लगा था कि अब कोरोना का खतरा पूरी तरह टल चुका है, लेकिन जिस तरह से चीन के नये वेरिएंट के बाद अखबार कोविड-19 की खबरों से पटे पड़े हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी ये खतरा टला नहीं है. सरकार को सबसे पहले बच्चों को लेकर नई गाइडलाइन लागू करनी चाहिए. बच्चे रोज घर से बाहर जाते हैं और वो स्कूलों में कम्यूनिटी स्प्रेड में बड़ा रोल निभा सकते हैं.     

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अभ‍िभावक नीरज की बेटी तीसरी कक्षा की छात्रा है, नीरज कहते हैं कि मेरी बेटी को स्कूल के सिस्टम में बड़ी मुश्क‍िल से इस सत्र में ढाला था. अब फिर से कोरोना आया तो बच्चे पढ़ाई में फिर पिछड़ जाएंगे. छोटे बच्चे ऑनलाइन स्टडी में उस तरह पूरा ध्यान देकर अपना कोर्स पूरा नहीं कर पाते. ऐसे में स्कूलों को चाहिए कि वो अपने यहां जरूरी कोविड-19 प्रोटोकॉल अभी से शुरू कर दें ताकि बच्चों की सेहत को लेकर अभ‍िभावकों की चिंता कम हो जाए.  

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