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ब्‍लड टेस्‍ट से कैसे कोरोना से हुए नुकसान का पता लगाते हैं डॉक्‍टर, जानिए

aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 05 मई 2021,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST
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कोरोना पॉजिट‍िव होने के सभी लक्षण आने पर लोग सबसे पहले टेस्‍ट कराने की बात करते हैं. लेकिन अब लोग आरटीपीसीआर या एंटीजेन टेस्‍ट के साथ साथ और कई टेस्‍ट भी करा रहे हैं. सीटी स्‍कैन के बाद ब्‍लड टेस्‍ट भी उनमें से एक है. क्‍या आप जानते हैं कि‍ आख‍िर ब्‍लड टेस्‍ट कैसे शरीर में संक्रमण का पता लगाता है और इसे कब कराना चाहिए. क्‍या इसे कराने का कोई साइड इफेक्‍ट है, ये कितना उपयोगी है... जानि‍ए डिटेल

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देशभर में कोरोना पॉजिटिव के हर दिन मेट्रो सिटीज में हजारों मरीज सामने आ रहे हैं. इनमें से ज्‍यादातर मरीज होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं. लोग घर पर रहते हुए अपने डॉक्टर की सलाह पर इलाज करा रहे हैं. तो वहीं कुछ लोग आपस में बातचीत करके अपने लिए टेस्‍ट कराने का फैसला ले लेते हैं. लेकिन आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि आप सीटी स्‍कैन या ब्‍लड टेस्‍ट कराने जा रहे हैं तो उसका कुछ फायदा भी होगा या नहीं या इसे कब कराना चाहिए.

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एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया लगातार लोगों को सलाह दे रहे हैं कि अगर कोई लक्षण नहीं हैं या हल्के लक्षण हैं तो आपको बिना वजह टेस्ट की जरूरत नहीं है. युवा वर्ग में भी जिन्हें ज्यादा लक्षण नहीं आए हैं उन्हें ब्लड टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. ब्‍लड टेस्‍ट खासकर बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को कराने की सलाह दी गई है. 

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जैसे कोरोना के लक्षण आने पर ब्‍लड की सीबीसी जांच से आपके प्लेटलेट्स व डब्ल्यूबीसी का पता चलता है. इससे पता चलता है कि आपके भीतर वायरस ने कितना नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा केएफटी और एएफटी जैसी जांच भी करा लें, इसमें लिवर और किडनी फंक्शन का पता चल जाता है. इसके अलावा लोग ब्‍‍‍‍लड शुगर, सीरम क्रेटेनिन आदि टेस्‍ट भी कराते हैं. जो एक तरह से रूटीन ब्‍‍‍‍लड टेस्‍ट में आते हैं. 

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डॉक्‍टर कहते हैं कि ब्‍लड के जरिये आईएल-6 जांच वैसे कभी-कभी करनी होती है, लेकिन यह उन मरीजों के लिए है जिनमें कोरोना वायरस गंभीर रूप ले चुका है. उन्‍हें परिजनों को अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा है, ये टेस्‍ट कभी भी हल्के लक्षण या घर पर इलाज करा रहे होम आइसोलेशन वाले मरीजों के लिए नहीं है.

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जानिए इन टेस्‍ट से क्‍या पता चलता है

CRP यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्‍ट से एक्यूट इन्फ्लमेशन का पता लगता है. कोरोना महामारी में ऊतकों को क्षति आदि का पता भी इससे लगता है. इसमें सीआरपी का उच्च स्तर फेफड़ों की क्षति और बीमारी की गंभीरता दिखाता है. 
D-dimer - इस टेस्ट से ब्लड क्लॉट का पता चलता है.
Chest CT - इस टेस्ट से निमोनिया का पहले से पता चल जाता है

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वहीं सीटी स्‍कैन के बारे में भी डॉक्‍टरों की सलाह है कि यह कम लक्षण होने पर न  कराएं. डॉ अश्‍वनी मल्‍होत्रा फिजिश‍ियन कहते हैं कि‍ ब‍िना डॉक्‍टर की सलाह पर सीटी स्‍कैन कराने न जाएं या बि‍ना लक्षणों के भी इसे न कराएं. यही नहीं कोरोना संक्रमण के दूसरे तीसरे दिन भी इसे नहीं कराना है. जब तक डॉक्‍टर सलाह न दें, सीटी स्‍कैन नहीं कराना चाहिए. ये नुकसानदेह हो सकता है. 

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