कोविड 19 की दूसरी लहर में देशभर में हर उम्र के हजारों बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए और अब तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण बढ़ने की बात कही जा रही है. इसकी वजह से अभिभावक डरे हुए हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में कोविड के हल्के लक्षण देखे जाते हैं, बावजूद इसके उन्हें संक्रमण से बचाना जरूरी है. पीडियाट्रिक गैस्ट्रो इंटेलॉजिस्ट और आईसीएमआर की टास्क फोर्स कमेटी नेगवैक (नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड19)के सदस्य डॉ एनके अरोड़ा से जानिए कि बच्चों को कोविड संक्रमण हो जाएं तो उसके लक्षण और इलाज कैसे किया जाना चाहिए? कैसे बच्चों का इलाज बड़ों से एकदम अलग है.
डॉ. अरोड़ा का कहना है कि बच्चे भी बड़े की तरह की कोविड संक्रमण के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं. हमारे नवीनतम सीरो सर्वेक्षण में भी यह पाया गया कि 25 प्रतिशत बच्चे कोविड-19 से प्रभावित पाए गए. यहां तक कि दस साल से कम उम्र के बच्चों में भी अन्य उम्र के लोगों की तरह ही कोविड संक्रमण देखा गया. बीमारी के संदर्भ में राष्ट्रीय आंकड़े बताते हैं कि कोविड की पहली लहर में तीन से चार प्रतिशत बच्चे कोविड संक्रमित हुए, जबकि दूसरी लहर में भी बच्चों के संक्रमित होने की दर लगभग पहले जैसी ही है.
दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने के कुल मामलों में बढ़ोतरी देखी गई, पहले के अपेक्षा इस बार बच्चों में कोरोना का संक्रमण अधिक देखा गया है. अब तीसरी लहर को लेकर भी आशंका जताई जा रही है कि बच्चों पर तीसरी लहर ज्यादा दुष्प्रभाव डाल सकती है. इसके लिए न सिर्फ अस्पतालों में बच्चों के लिहाज से चिकित्सा सुविधाएं बढ़नी चाहिए, बल्कि अभिभावकों को भी बच्चों में कोविड संक्रमण को लेकर कई जानकारियां होनी चाहिए.
डॉ अरोड़ा का कहना है कि कोविड संक्रमण होने के बाद अधिकतर बच्चों में संक्रमण के या तो हल्के लक्षण देखे जाते हैं या फिर वह ए सिम्प्टमेटिक होते हैं. यदि किसी परिवार में एक या इससे अधिक सदस्य कोविड पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो बच्चों के भी कोविड संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है. अच्छी बात यह है कि इस तरह के मामलों में संक्रमित बच्चों की उम्र दस साल की उम्र से कम देखी गई और उनमें कोविड के बहुत हल्के या ए सिम्प्टमेटिक लक्षण जैसे साधारण जुकाम और डायरिया पाया गया.
वहींं दिल की गंभीर बीमारी, डायबिटिज, अस्थमा और ऐसे बच्चे जो कैंसर या इम्यून सप्रेसेंट बीमारी से ग्रसित हैं. उनके संक्रमण की गंभीर स्थिति होने का खतरा अधिक देखा गया. कोविड संक्रमण के जोखिम वाले बच्चों का माता-पिता को अधिक ध्यान देना चाहिए क्योंकि बड़ी संख्या में संक्रमण बड़ों को अपनी चपेट में ले रहा है, इसलिए कोरोना संक्रमण से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई.
डॉ अरोड़ा आगे बताते हैं कि कोविड संक्रमित बच्चों का इलाज बड़ों के इलाज से किस तरह अलग है. उनका कहना है कि कोविड-19 में ए सिम्प्टमैटिक बच्चों के लिए हम किसी भी तरह की दवा नहीं लेने की सलाह देते हैं. हल्के लक्षण वाले बच्चों को बुखार को नियंत्रित करने के लिए पैरासीटामॉल दी जा सकती है. इसी तरह डायरिया में ओरल डिहाइड्रेशन फूड और पर्याप्त मात्रा में लिक्विड दिया जा सकता है. हल्के से गंभीर लक्षण वाले कोविड संक्रमित बच्चों में कोरोना इलाज बड़ो की तरह ही किया जाता है.
यदि बच्चों को सांस लेने में दिक्कत, गंभीर खांसी जिसकी वजह से बच्चा दूध नहीं पी पा रहा हो, हाइपोक्सिया या फिर तेज बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, अधिक देर तक सोना या फिर अन्य कोई असामान्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत किसी चिकित्सक से संपर्क करें. बच्चों में भी लांग कोविड के मामले देखे जाते हैं, जिसमें संक्रमण से ठीक होने के तीन से छह महीने बाद डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी नई बीमारी देखी जाती है. माता-पिता को गंभीर कोविड संक्रमण से ठीक हुए बच्चों का इलाज करने वाले चिकित्सक से लगातार संपर्क में रहना चाहिए.
यदि माता-पिता को कोविड का संक्रमण नहीं है, लेकिन बच्चे को संक्रमण हो गया है ऐसी स्थिति बच्चों की देखभाल किस तरह की जानी चाहिए? देखभाल करने वालों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए, जिससे वह खुद कोविड संक्रमित न हों? इसके जवाब में डॉ अरोड़ा कहते हैं कि ऐसा उस स्थिति में ही संभव है जबकि बच्चों को संक्रमण परिवार के अंदर से नहीं बल्कि कहीं बाहर से मिला हो.
सबसे पहले परिवार के सभी सदस्यों को कोविड जांच करानी चाहिए. देखभाल करने वाले सदस्य को देखभाल के समय बचाव के सभी उपाय अपनाने चाहिए, दो मास्क, फेस शील्ड, ग्लब्स आदि का प्रयोग करना चाहिए. कोविड संक्रमित बच्चों की देखभाल एक चिकित्सक की सलाह के बाद बताई गई गाइडलाइन के अनुसार ही की जानी चाहिए। देखभाल करने वाले सदस्य और कोविड संक्रमित बच्चे को परिवार के अन्य सदस्यों से खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए.