PhD Admission 2023: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के साथ ही उच्चशिक्षा में कई बदलाव सामने आएंगे. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से कॉलेज डिग्री और पीएचडी सहित उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश प्रक्रिया के मानदंड संशोधित किए गए हैं. ये बदलाव और संशोधन, जो 2022 में अधिसूचित किए गए थे,जो साल 2023 से पूरी तरह से लागू हो जाएंगे. सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे यूजीसी के संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार नामांकन करें और डिग्री प्रदान करें. आइए जानते हैं कि पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया में क्या नये बदलाव होने वाले हैं.
क्राइटेरिया में बदलाव
पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पहला बड़ा बदलाव अनिवार्य क्राइटेरिया के रूप में मास्टर ऑफ फिलॉसफी (एम.फिल) को बंद करना है. इसे यूं समझें कि छात्र एक साल के मास्टर्स और चार साल के अंडरग्रेजुएट (यूजी) प्रोग्राम या दो साल के मास्टर्स और तीन साल के यूजी को पूरा करने के बाद डॉक्टरेट की डिग्री के लिए सीधे आवेदन कर सकते हैं.
पब्लिशिंग की बाध्यता खत्म
यूजीसी ने पीएचडी थीसिस जमा करने से पहले पीयर रिव्यूड जर्नल्स में शोध के अनिवार्य प्रकाशन की बाध्यता में भी ढील दी है. यूजीसी का मानना है कि ये कदम शोधार्थियों द्वारा अपने पत्रों को 'कई' पत्रिकाओं में प्रकाशित कराने के लिए भुगतान करने की प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है. ऐसी तमाम पत्रिकाएं हैं जो पैसे के लिए लेख प्रकाशित करती हैं.
पार्ट टाइम पीएचडी
यूजीसी ने अंशकालिक यानी पार्टटाइम पीएचडी की अनुमति दी है. ये प्रैक्टिस साल 2009 और 2016 के नियमों के तहत बंद कर दी गई थी. लेकिन नए नियमों के अनुसार, छात्र या कामकाजी प्रोफेशनल पार्ट टाइम बेस में पीएचडी कर सकते हैं, बशर्ते उनके पास अपने नियोक्ता से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) हो, जिसमें कहा गया हो कि उन्हें पढ़ाई के लिए समय दिया जाएगा.
कोर्स अवधि में बदलाव
इस साल पीएचडी कोर्स वर्क की अवधि को भी बदला जा रहा है जो कि अब न्यूनतम दो वर्ष से अधिकतम छह वर्ष होगी. वहीं महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों के मामले में डिग्री पूरी करने के लिए दो साल की छूट दी जाएगी. इसके अतिरिक्त, महिला उम्मीदवारों को 240 दिनों तक के लिए मातृत्व अवकाश और बाल देखभाल अवकाश प्रदान किया जाएगा
सीटें ऐसे भरेंगी
यूजीसी ने सीटें भरने के लिए अपने नियम में और बदलाव किया है. अब, 40% सीटों के आवंटन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट होगा. जबकि 60% उन आवेदकों के लिए आरक्षित होगी, जिन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) या जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) उत्तीर्ण की है. प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों का मूल्यांकन 70:30 के अनुपात में किया जाएगा, जिसमें 70% वेटेज प्रवेश परीक्षा के अंकों और 30% साक्षात्कार या वाइवा-वॉयस में प्रदर्शन के लिए दिया जाएगा. दूसरी ओर, NET/JRF योग्य छात्रों का चयन साक्षात्कार/वाइवा-वॉयस पर आधारित होगा. दोनों कैटेगरी की मेरिट लिस्ट अलग-अलग जारी की जाएगी. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सेवानिवृत्ति से पहले तीन साल से कम सेवा वाले संकाय सदस्यों को संशोधित मानदंडों के तहत नए शोध विद्वानों की निगरानी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
क्या थी पिछली प्रक्रिया?
पहले, पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए एम.फिल समेत कई अन्य क्राइटेरिया अनिवार्य थे. हालांकि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) के तहत यूजीसी ने उन्हें अलग रखा है और अतिरिक्त वर्षों के अध्ययन (एम.फिल की सूरत में) को हटाने और छात्रों को शोध करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्नातक पाठ्यक्रमों की संरचना पर फिर से काम किया है.
एमफिल वाले भी कर सकेंगे आवेदन
ऐसा नहीं है कि जिन उम्मीदवारों ने पहले ही एम.फिल पूरा कर लिया है, वे पीएचडी में एडमिशन नहीं ले पाएंगे. एमफिल स्टूडेंट्स भी पीएचडी कार्यक्रमों के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. हालांकि, उनके पास विदेशी शैक्षणिक संस्थान में कुल मिलाकर कम से कम 55% अंक या समकक्ष ग्रेड होना चाहिए.
नया एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
1- न्यूनतम 75% अंकों या इसके समकक्ष ग्रेड के साथ चार साल (या 8-सेमेस्टर) स्नातक डिग्री प्रोग्राम के बाद एक वर्षीय (या दो सेमेस्टर) मास्टर डिग्री प्रोग्राम वाले उम्मीदवार पीएचडी के लिए पात्र होंगे.
2 - कम से कम 55% अंकों या इसके समकक्ष ग्रेड के साथ तीन वर्षीय स्नातक डिग्री कार्यक्रम के बाद दो वर्षीय (या चार सेमेस्टर) मास्टर डिग्री प्रोग्राम वाले उम्मीदवार भी पात्र होंगे.
3- दूसरे शब्दों में, प्रथम और द्वितीय वर्ष के स्नातकोत्तर छात्र अपने चयनित यूजी कार्यक्रम के आधार पर पात्र होंगे.
4- इसके अलावा, जो उम्मीदवार एमफिल कर रहे हैं या पूरा कर चुके हैं, वे भी पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्र रहेंगे.
क्या होगा रिलैक्सेशन
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के छात्रों को पांच प्रतिशत अंकों की छूट प्रदान की गई है. दिव्यांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को भी पांच प्रतिशत की छूट दी जाएगी.