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एजुकेशन न्यूज़

जानिए- इस IAS अफसर ने कैसे बनाए थे नोट्स, ज‍िससे मिली थी UPSC में 10वीं रैंक

मानसी मिश्रा
  • नई द‍िल्‍ली,
  • 10 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST
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देश के लाखों युवा UPSC CSE का सपना देखते हैं, लेकिन इनमें से कुछ सौ लोग ही हर साल चुने जाते हैं. चुने जाने लोगों में सबसे खास होती है उनकी तैयारी का तरीका, उनकी स्‍ट्रेटजी. यूपीएससी 2019 की परीक्षा में 10वीं रैंक पाने वाले अभ‍िषेक सर्राफ ने aajtak.in से बातचीत में बताया क‍ि उनकी तैयारी का क्‍या तरीका था. आइए उनसे जानते हैं क‍ि नोट्स बनाने का तरीका. 

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क्‍यों जरूरी हैं नोट्स
अभ‍िषेक कहते हैं क‍ि आपने जो भी व‍िस्‍तृत रूप से पढ़ा है, उसे अगर की-नोट्स में ल‍िख लेते हैं तो उसे कभी भी दोहरा सकते हैं. इसके अलावा जब इसे अपनी भाषा में लिखते हैं तो आपकी राइटिंग प्रैक्‍ट‍िस भी हो जाती है. कई सोर्सेज को आंसर के लिए आंकड़े, टेबल, पीचर्ट्स, बार चार्ट, ग्राफ आदि विकसित कर सकते हैं. अभ‍िषेक कहते हैं क‍ि हर व्यक्ति के पास नोट्स बनाने का अपना तरीका है.

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अभ‍िषेक बताते हैं क‍ि जैसे मैंने जीसी लेओंग और आरएस शर्मा के प्राचीन भारत के भाग-2 से नोट्स बनाए, लेकिन आधुनिक भारत स्पेक्ट्रम से नोट्स नहीं बनाए, इसकी वजह ये है क‍ि किताब पहले से ही नोट्स के रूप में है. वो सलाह देते हैं क‍ि पहली बार पढ़ने के दौरान कभी भी नोट्स न बनाएं. इस तरह से आपके नोट्स लगभग किताब की तरह ही बड़े हो जाएंगे. पहली बार रीडिंग में क‍िताब में अंडरलाइन न करें. नहीं तो आप पूरी किताब को अंडरलाइन कर देंगे. दूसरी बार रीडिंग में ही नोट्स बनाएं या अंडरलाइन करें.

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नोट्स हों किताब के 10 पर्सेंट 

अभ‍िषेक कहते हैं कि‍ नोट्स का थंब रूल यह बना लें क‍ि आपके नोट्स का आकार पढ़ी गई पुस्तक या स्रोत का 10% होना चाहिए, जिससे आप नोट्स बना रहे हैं.

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नोट्स में क्‍या शामिल करें
नोट बनाना एक कला है, जब आप नोट्स बना रहे हों तो कोश‍िश करें क‍ि टॉपिक्‍स को शॉर्ट में लिखें. इसके अलावा नोट्स में फैक्‍ट, फिगर,पॉलिसीज, स्‍कीम्‍स, कानून और कमेटी को अलग लिखें. बता दें क‍ि भाेपाल के रहने वाले अभ‍िषेक सर्राफ ने यूपीएससी की तैयारी से पहले आईआईटी कानपुर में पढ़ाई की थी. यहां पढ़ाई के दौरान उनके नंबर क्लास में टॉपर्स लिस्ट में होते थे. अभ‍िषेक कहते हैं कि मैंने कभी अपने को एक कमरे में बंद करके हमेशा किताबों में खोये रहने वाला एटीट्यूड नहीं रखा, उन्‍होंने कमरे में नोट्स बनाकर लगा रखे थे. 

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अभ‍िषेक ने सबसे पहले यूपीएससी के पूरे सिलेबस का अध्ययन किया. फिर उसके नोट्स बनाए. उन नोट्स में से भी शॉर्ट नोट्स बनाकर उनके जरूरी प्वाइंट्स हाइलाइट कर दिए ताकि कभी भी हाइलाइट देखकर उन्हें विषय का पूरा संदर्भ याद आ जाए. नोट्स बनाने का सिलसिला शुरू हुआ तो चाैथा अटेंप्ट आते आते उनके स्टडी रूम की चारों तरफ की दीवारें नोट्स से भर चुकी थीं. अभ‍िषेक बताते हैं कि जब भी मैं अपना तय कोर्स पूरा करके खाली बैठता था या जिधर भी नजर गई तो उसे फिर से एक बार दोहरा लिया, इस तरह वो विषय पूरी तरह मेरे दिमाग में बैठ गया.

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भोपाल में जन्मे अभ‍िषेक जब महज 10 माह के थे तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. जब होश संभाला तो मां को दोनों रोल में सामने पाया. महज 28 साल की उम्र में पत‍ि के जाने के बाद उनकी मां प्रत‍िभा के सामने मुश्क‍िलों का पहाड़ आ गया था. अभ‍िषेक बताते हैं कि मम्मी हाउस वाइफ थीं और मेरे पिता अपने फैमिली बिजनेस में थे. पापा के जाने के बाद हमारी आर्थ‍िक स्थ‍ित‍ि अचानक से बहुत बदल गई थी. ऐसे में मेरी मां को उनके मायके यानी मेरे ननिहाल से नाना-नानी, मामा-मामी और मौसी सभी से काफी सहयोग मिला.

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