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एजुकेशन न्यूज़

क्‍या वैक्‍सीन से बदल जाएंगे जीन या DNA? जानिए तमाम म‍िथकों पर क्‍या है डॉक्‍टर्स की राय

मानसी मिश्रा
  • 04 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST
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IMA यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेसीडेंट पद्मश्री डॉ केके अग्रवाल कोरोना को लेकर आम जनता को जागरूक कर रहे हैं. इसके अलावा वो विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के साथ मिलकर कोरोना पर लंबे समय से काम कर रहे हैं. अब जब सरकार दो वैक्‍सीन को मंजूरी दे चुकी है तो ऐसे में वैक्‍सीन को लेकर तमाम तरह के सवाल सामने आ रहे हैं. aajtak.in से खास बातचीत में डॉ केके अग्रवाल ने इन तमाम अटकलों को एक मिथ बताया है. साथ ही उन्होंने तर्क भी दिए हैं. आइए जानें उनके जवाब.

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डॉ अग्रवाल कहते हैं क‍ि सबसे पहले जान लीजिए क‍ि वैक्‍सीन का मतलब है एकतरह की मॉक ड्रिल. इसका अर्थ है क‍ि हमारे शरीर में वैक्‍सीन जाने से अपने आप एंटीबॉडीज बनने लगती हैं. इसे इस तरह से समझ‍िए पहले वायरस को मार दिया और मरे हुए वायरस को काट दिया और काटकर इंजेक्‍ट कर दिया. इस वैक्‍सीन को बोलते हैं कोवैक्‍सीन. इसी तरह अगर आपने वायरस को काटकर आधा हिस्‍सा बॉडी में डाल दिया तो वो कोवि‍शील्‍ड कहलाता है.

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क्‍या डॉक्‍टर लगवाएंगे वैक्‍सीन

डॉ केके अग्रवाल ने कहा क‍ि चिक‍ित्‍सा समुदाय खासकर डॉक्‍टर इसे 100 फीसदी सकारात्‍मक तौर पर ले रहे हैं. उन्‍होंने कहा क‍ि अगर मुझे ऑफर हुआ तो मैं तत्‍काल ये वैक्‍सीन लगवाऊंगा. वैक्‍सीन से कोरोना हो सकता है जैसे मिथ भी फैलाए जा रहे हैं. इस मिथ का जवाब आगे पढिए.

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वो कहते हैं क‍ि भला कैसे हो जाएगा वैक्‍सीन से कोरोना, ये समझने वाली बात है. वैक्‍सीन के जरिये जो भेजा गया वो मरा हुआ वायरस है, उससे कैसे हो जाएगा. ये संभव ही नहीं है जब वायरस जिंदा है ही नहीं. वैसे भी मरा हुआ वायरस ज्‍यादा एंटीबॉडी बनाता है. इसलिए इस तरह के म‍िथक बिल्‍कुल नहीं पालने चाहिए. 

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ये भी कहा जा रहा है क‍ि वैक्‍सीन से नपुंसकता हो सकती है. डॉ अग्रवाल कहते हैं क‍ि ये तो हास्‍यास्‍पद बात है. आज तक कौन सी वैक्‍सीन से नपुंसकता हुई है, जो इससे हो जाएगी. वैक्‍सीन पूरी तरह ये देखकर बनाई जाती है क‍ि इससे दूसरी बीमारियां नहीं होती. ये पूरी तरह टेस्‍टेड होती हैं.

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दस साल के बाद जीन-डीएनए बदल जाएंगे!

क्‍या वैक्‍सीन से बदल जाएंगे DNA? इस सवाल के जवाब में डॉ केके अग्रवाल कहते हैं क‍ि ऐसा कभी संभव नहीं हो सकता. क्‍योंक‍ि न्‍यूक्‍ल‍ियस में वायरस जा ही नहीं रहा, न वैक्‍सीन इस स्‍तर पर जा रही. इसलिए इस तरह से सोचना पूरी तरह अवैज्ञानिक है.

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मेदांता अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर नरेश त्रेहन ने आजतक से कहा कि समय के साथ ही वैक्सीन को लेकर लोगों की सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी. फ्रंटलाइन वर्कर्स, डॉक्टर्स, नर्स सभी लोग पिछले 10 महीनों से लगातार काम कर रहे हैं. इसलिए वैक्सीन के आने के बाद उन्हें बड़ी राहत मिलने वाली है.

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डॉ त्रेहन ने कहा क‍ि लोगों को वैक्सीन को लेकर हमेशा ही आशंका रहती है लेकिन जैसे-जैसे ड्राइव आगे बढ़ेगी लोगों को उसके परिणाम दिखने लगेंगे उसके साथ ही आशंकाएं दूर होती रहेंगी. जब हम 60 से 70 फीसदी आबादी को वैक्सीनेट कर लेंगे तो हर्ड इम्युनिटी डवलप हो जाएगी जिसके बाद वायरस के फैलने के चांस बहुत कम हो जाएंगे.

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