कोरोना महामारी को भारत में दस्तक दिए एक साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक पहले जैसी स्थितियां बहाल नहीं हो सकी हैं. करीब 11 महीने से घरों में रह रहे बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं कई बच्चे संसाधनों की कमी से ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं कर पाए हैं. ऐसे हालातों को देखते हुए इस साल भी भी कई राज्यों जैसे बिहार, दिल्ली, झारखंड, तमिलनाडु आदि राज्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि आठवीं कक्षा तक के बच्चों की वार्षिक परीक्षा नहीं होगी. इन कक्षाओं के बच्चों पर एनुअल एग्जाम का प्रेशर डाले बिना आगे प्रमोट किया जाएगा. जानिए राज्यों का हाल...
बिहार की बात करें तो यहां की सरकार ने क्लियर कर दिया है कि सरकारी प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 1.66 करोड़ बच्चे इस साल भी बिना वार्षिक परीक्षा अगली कक्षा में प्रमोट किए जाएंगे. मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा है कि पढ़ाई में नुकसान की भरपाई के लिए अपने तीन माह की कैच-अप क्लास आयोजित करने का फैसला किया है. इन कक्षाओं में स्टूडेंट्स को बेसिक व जरूरी टॉपिक्स पढाए जाएंगे ताकि अगली कक्षा के कोर्स की पढ़ाई के दौरान उन्हें कोई दिक्कत न आए.
बता दें कि कोरोना संकट की वजह से बिहार में शैक्षिक सत्र 2019-20 में भी वार्षिक परीक्षा नहीं ली जा सकी थी और दसवीं, 12वीं को छोड़कर अन्य सभी कक्षाओं के बच्चों को अगली कक्षा में प्रोन्नत किया गया था. यहां राज्य सरकार ने 13 मार्च 2020 को ही राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दे दिया था. फिर किताबें पाठ्य पुस्तक निगम की साइट पर लेट अपलोड हो पाईं जिससे दूरदर्शन पर कक्षाएं चलाकर शिक्षा विभाग और बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने बच्चों को शिक्षण से जोड़े रखने की कोशिश की.
बिहार की ही तरह दिल्ली सरकार ने भी कक्षा 3 से 8 तक के छात्रों को बिना एग्जाम के अगली कक्षा में प्रमोट करने का आदेश दिया है. फिलहाल सरकार ने यह फैसला दिल्ली के सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए किया है, जिसमें 'नो डिटेंशन पॉलिसी' के तहत इन छात्रों को अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जाएगा. दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय का कहना है कि तीसरी से आठवीं तक के छात्रों का मूल्यांकन 100 अंकों के आधार पर होगा.
दिल्ली में छात्रों को स्कूल द्वारा 1 से 15 मार्च के बीच प्रोजेक्ट कार्य दिया गया है. इसी प्रोजेक्ट कार्य के अंकों के साथ-साथ छुट्टियों में दिए गए कार्य और वर्कशीट के अंक भी मूल्यांकन में जोड़े जाएंगे. वर्ष 2020 में भी इसी आधार पर बच्चों को अगली कक्षाओं में भेजा गया था.
शिक्षा निदेशालय के मुताबिक छात्रों का मूल्यांकन विषयवार प्रोजेक्ट और वर्कशीट के आधार पर होगा उनकी वार्षिक परीक्षाएं नहीं ली जाएंगी. सरकारी स्कूलों को अंक अपलोड करने के लिए 15 से 25 मार्च तक का समय दिया गया है। स्कूल छात्रों को केवल ग्रेड देंगे. मूल्यांकन के बाद रिजल्ट 31 मार्च को घोषित किए जाएंगे. रिजल्ट के लिए भी छात्रों को स्कूल नहीं जाना पड़ेगा.
केरल राज्य के स्कूलों में कक्षा 8 तक के छात्रों को नो-डिटेंशन पॉलिसी के तहत अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाएगा और संभवतः कक्षा 9 के छात्रों के लिए भी यही होगा. COVID-19 केस लोड अभी भी हाई है, इसलिए ऑनलाइन कक्षाएं जारी हैं. सरकार विचार कर रही है कि केवल 10 वीं कक्षा और 12 (प्लस टू) के छात्र सार्वजनिक परीक्षाओं के लिए उपस्थित होंगे. अन्य ग्रेड के छात्रों को संभवतः किसी भी परीक्षा के बिना पदोन्नत किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में पिछले साल कक्षा आठवीं तक के छात्रों को बिना परीक्षा के अगली कक्षा में प्रमोट किया गया था. इससाल भी जबकि ऑनलाइन माध्यम से कोर्स पूरी नहीं हो सकी है. सरकार ने आठवीं तक किसी को फेल न करने का अपना फैसला वैसा रखा है. यहां भी स्कूल आठवीं तक ऑफलाइन एग्जाम के लिए किसी छात्र को बाध्य नहीं कर सकते. इसी तर्ज पर केंद्रीय विश्वविद्यालय भी ऑनलाइन परीक्षाएं करा रहा है. यहां जिन छात्रों के पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है, वो ऑफलाइन एग्जाम दे सकते हैं.
तमिलनाडु सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य में 9वीं, 10 वीं और 11 वीं कक्षा के छात्र बिना परीक्षा के पास होंगे. मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीस्वामी ने नियम 110 के तहत विधानसभा में घोषणा की कि 2020-21 के शैक्षणिक वर्ष में इस कक्षाओं के लिए परीक्षा आयोजित नहीं होगी और छात्र सीधे पास कर दिए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के कारण आई असामान्य स्थिति के चलते शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के अनुरोध पर यह फैसला लिया जा रहा है. कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान छात्रों को केवल ऑनलाइन क्लासेज पढ़ने का मौका मिला है. इससे पहले, राज्य में कक्षा 1 से 8 तक के लिए स्कूल खोलने के लिए राज्य शिक्षामंत्री ने इनकार कर दिया था. 12 फरवरी को के. ऐ. सेनगोट्टियन ने कहा था कि अभी स्कूल दोबारा खोलने पर फैसला नहीं लिया गया है.