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JEE-NEET पर क्यों है विवाद, क्या है सरकार का प्लान और क्यों हो रहा विरोध?

aajtak.in
  • 27 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST
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JEE-NEET परीक्षा उस दौर में आयोजित कराई जा रही है, जब देश में कोरोना संक्रमण के मामले 30 लाख का आंकड़ा पार कर चुके हैं. प्रवेश परीक्षा को पोस्टपोन कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट और सोशल मीडिया से होते हुए अब राजनीतिक मुद्दा बन चुकी है. बता दें जेईई की परीक्षा पहले 18 जुलाई से 23 जुलाई के बीच और नीट की परीक्षा 26 जुलाई को शेड्यूल की गई थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद इस परीक्षा की तारीखें बदल दी गईं. जेईई मेन परीक्षा 1 से 6 सितंबर के बीच और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को तय की गई. इसके अलावा जेईई एडवांस की परीक्षा 27 सितंबर को तय की गई. जा‍निए आख‍िर इसमें पूरा विवाद क्या है.  

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इस पर उम्मीदवारों और उनके अभ‍िभावकों ने विरोध शुरू कर दिया. उम्मीदवारों ने कहा कि जब देश में कोरोना के मामले कुछ हजार थे, उस समय सरकार ने परीक्षा स्थगित कर दी. अब जब मामले 30 लाख के पार हो चुके हैं तो परीक्षा करा रहे हैं. यही मुद्दा लेकर उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. यहां उनकी याचिका पर कोर्ट ने एग्जाम स्थगित करने के लिए मना कर दिया. 

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इन दोनों परीक्षाओं को कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) का इस पर बयान आया कि यदि इस साल परीक्षा स्थगित होती है तो यह अगले साल के शैक्षणिक कैलेंडर को प्रभावित करेगा. आख‍िरकार उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया के जरिये आंदोलन खड़ा किया. ये आंदोलन देखते ही देखते बड़ा होने लगा. मीडिया में ये मुद्दा आने के बाद इससे राजनीतिक दल भी जुड़ने लगे. 

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सोशल मीडिया पर भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के खिलाफ #RIPNTA और  SATYAGRAHagainstExamInCovid जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे. स्टूडेंट सरकार से अपनी मांगों पर ध्यान देने की अपील कर रहे थे. छात्रों का कहना है कि सुबह 7 बजे जेईई परीक्षा केंद्र को रिपोर्ट करना होगा. मेरा केंद्र लगभग 150 किलोमीटर दूर है और वर्तमान में कोई ट्रेन या बस सेवा उपलब्ध नहीं है. हम कैसे पहुंचेगे. इस तरह कई छात्र बताने लगे कि उनके परीक्षा केंद्र 200 से 250 किलोमीटर दूर हैं. अब हम कैसे वहां पहुंच पाएंगे. कई घंटे मास्क पहनकर बैठने को भी छात्र असहज बता रहे थे. 

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देखते ही देखते इस मुद्दे से विपक्षी पार्टी के नेता भी जुड़ने लगे.  वहीं कुछ सत्ताधारी पार्टी के समर्थक भी मोदी सरकार से छात्रों की मांगों को सुनने का आग्रह करते दिखे. सबसे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला और कहा कि छात्रों के मन की बात सुने मोदी सरकार. 

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इसके बाद कई राजनीतिक पार्टी के नेताओं जैसे ममता बनर्जी, ओवैसी और दिल्ली के श‍िक्षामंत्री भी इस पर खुलकर उम्मीदवारों का समर्थन किया. राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा था कि आज हमारे लाखों छात्र सरकार से कुछ कह रहे हैं. NEET, JEE परीक्षा के बारे में उनकी बात सुनी जानी चाहिए और सरकार को एक सार्थक हल निकालना चाहिए. केंद्र सरकार को NEET, JEE परीक्षा को लेकर छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए और एक सार्थक समाधान निकाला जाना चाहिए.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी सरकार से कहा है वह छात्रों की बात पर गौर करे. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने परीक्षा को  "अन्याय" कहा. अब तक सात राज्यों के मुख्यमंत्री सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर चुके हैं. इसके अलावा छात्रों का भी आंदोलन जारी है. वहीं एनटीए की ओर से अपनी प्रक्र‍िया जारी है. बुधवार रात बारह बजे जेईई नीट के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए. गुरुवार सुबह तक 14 लाख अभ्यर्थी इसे डाउनलोड कर चुके हैं. छात्र परीक्षाओं को आगे पोस्टपोन करने की मांग कर रहे हैं. वहीं कुछेक छात्र इसे जल्दी कराने की बात कह रहे हैं. सरकार भी इस परीक्षा में देरी को आने वाले एकेडमिक इयर के लिए बड़ा नुकसान मान रही है. 

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