पाकिस्तान में बड़ों के स्कूल-कॉलेज खुलने के 15 दिनों बाद 30 सितंबर से अब बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल खोले जा रहे हैं. कोविड-19 प्रोटोकॉल पर सख्ती के लिए पाकिस्तान सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं. प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के लिए इसे खास तौर पर लागू किया जाएगा.
पाकिस्तान ने देश के शैक्षणिक संस्थानों को तीन फेज में खोलने का निर्णय लिया था. इसके तहत पहले चरण में 15 सितंबर से कॉलेज, यूनिवर्सिटी के साथ 9वीं से 12वीं के स्कूल खोले गए. इसके बाद 23 सितंबर से 8वीं, 7वीं और छठी कक्षा के स्कूल खोले गए. इसके बाद 30 सितंबर से बच्चों के स्कूल खुल रहे हैं.
प्राइमरी स्कूल के बच्चों को कोविड-19 के प्रकोप से बचाने के लिए स्कूलों को सेनिटाइज किया गया है. स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो कराने के लिए ग्राउंड में सर्किल बनाए गए हैं. बच्चों को इन सर्किल पर ही चलना होगा. वहीं क्लासरूम में भी तकरीबन 12 बच्चों को बैठने की इजाजत दी गई है. पाकिस्तान सरकार ने कोविड-19 को लेकर जारी एसओपी में ये भी कहा था कि स्कूल-कॉलेज खुलने के दो हफ्ते बाद उन सभी का कोरोना टेस्ट होगा जो रेगुलर हैं. इनमें कर्मचारी, शिक्षक और स्टूडेंट्स सभी को शामिल किया गया है.
बच्चों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार ने सख्ती अपनाई है. बता दें कि स्कूल-कॉलेज खुलने के 48 घंटे के भीतर सरकार की ओर से जारी कोविड-19 गाइडलाइन न मानने वाले स्कूलों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. यहां गाइडलाइन न मानने 32 स्कूलों को 32 घंटे के भीतर सील कर दिया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के नेशनल कमांड एंड ऑपरेशंस सेंटर (NOCC) की ओर से बताया गया कि पहले शुरुआती 48 घंटे में जो 22 संस्थान बंद किए गए उनमें से 16 खैबर पख्तूनखा इलाके के थे. सील किए स्कूल कॉलेजों में से पांच पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और एक इस्लामाबाद का है. वहीं सिंध सरकार ने भी ऐसे 10 स्कूल कॉलेज सील किए जो कोविड 19 को लेकर जारी एसओपी को नहीं मान रहे थे. इसके अलावा यहां कोविड 19 केस भी रिपोर्ट हुए थे.
बता दें कि कोरोना संकट में पाकिस्तान के रवैये को लेकर पूरी दुनिया में उसकी तारीफ हो रही है. यहां तक कि डब्ल्यूएचओ ने भी पाकिस्तान की तारीफ करते हुए कहा था कि पूरी दुनिया को पाकिस्तान से सीखना चाहिए कि किस तरह उन्होंने कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण पाया है. पाक सरकार ने कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए स्कूल-कॉलेजों के लिए पूरी गाइडलाइन तैयार की थी और इसे सख्ती से पालन करने की ताकीद की थी.
इसके अलावा कक्षाओं में सिटिंग अरेंजमेंट और पढ़ाने का तरीका भी पूरी तरह बदला गया है. छात्रों या शिक्षकों किसी को भी क्लास में मास्क उतारने की इजाजत नहीं है. कोई भी स्टूडेंट अपना कोई सामान आपस में साझा नहीं कर सकता. इसके अलावा प्रवेश द्वार पर ही उनका थर्मल गन से टेंप्रेचर मापा जा रहा है. प्राइमरी के बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का फॉलो कराने के लिए कर्मचारी की ड्यूटी लगाने को कहा गया है जो बच्चों की मॉनीटरिंग करे.