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PPC 2023: 'रील्‍स देखते हैं या नहीं?' PM मोदी ने बोर्ड परीक्षार्थियों को दी 'डिजिटल फास्टिंग' की सलाह

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST
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Pariksha Pe Charcha 2023: टेक्नोलॉजी, लोगों पर इस कदर हावी है कि जब तक इसका पता चलता है तब तक टाइम निकल जाता है. कोई वर्ग इससे अछूता नहीं है, खासकर स्कूल बच्चे. बच्चों में टेक्नोलॉजी और डिजिटल गैजेट्स का क्रेज पहले के मुकाबले काफी बढ़ा है. 'परीक्षा पे चर्चा' 2023 में जब छात्रों ने इससे बाहर निकलने के लिए पीएम मोदी से मार्गदर्शन मांगा तो उन्होंने डिजिटल फास्टिंग और घर में नो टेक्नोलॉजी जोन बनाने की सलाह दी.

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छात्रों ने पूछे ये सवाल

भोपाल से 10वीं क्लास के छात्र दिपेश ने पीएम मोदी से पूछा कि आजकल बच्चों में काल्पनिक खेल और इंस्ट्राग्राम की लत एक सामान्य सी बात हो गई है. ऐसे समय में हम अपनी पढ़ाई पर कैसे ध्यान केंद्रित करें? हम बिना ध्यान भटकाए अपनी पढ़ाई पर कैसे ध्यान केंद्रित करें? 10वीं क्लास के अदिताभ गुप्ता ने पूछा- जैसे कि टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है, हमारा फोकस पढ़ाई पर कम होता है और सोशल मीडिया पर ज्यादा होता है तो मेरा आपसे यह सवाल है कि हम पढ़ाई पर कैसे फोकस करें और सोशल मीडिया पर कम करें, क्योंकि आपके टाइम पर इतना डिस्ट्रेक्शन नहीं होती थी जितनी हमारी टाइम पर है.दिल्ली की 10वीं क्लास की छात्रा कामाक्षी राय ने पूछा कि परीक्षा के दौरान किन तरीकों से ध्यान भटकने से रोका जा सकता है? और दिल्ली पब्लिक स्कूल बेंगलुरु साउथ के छात्र मनन ने पीएम मोदी से पूछा कि ऑनलाइन पढ़ाई करते समय बहुत से डिस्ट्रेक्शन होते हैं जैसे ऑनलाइन गेमिंग आदि हम इनसे कैसे बचें?

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आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है?
पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले निर्णय यह करना है कि आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है. कभी-कभी आप अपने से गैजेट को ज्यादा स्मार्ट मान लेते हैं और गलती वहीं से शुरू हो जाती है. आप विश्वास कीजिए परमात्मा ने आपको बहुत शक्ति दी है, आप स्मार्ट हैं, गैजेट आपसे ज्यादा स्मार्ट नहीं हो सकता है. आपकी जितनी स्मार्टनेस ज्यादा होगी आप गैजेट का उतना सही इस्तेमाल कर सकते हैं. वो एक स्ट्रूमेंट है जो आपकी गति में नई तेजी लाता है, ये अगर हमारी सोच बनी रही तो मैं समझता हूं कि शायद आप इससे छुटकारा पा सकते हैं.

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नो टेक्नोलॉजी जोन
परिवार भी डिजिटल दुनिया में फंस रहे हैं. एक ही घर में मां, पिता, भाई, बहन सभी रह रहे हैं और एक ही कमरे में व्हॉट्सएप कर रहे हैं. पहले बस-ट्रेन में लोग एक-दूसरे बात करते थे लेकिन अब फोन में लग जाते हैं. हमें इन बीमारियों को पहचानना होगा. घर में एक एरिया बना लीजिए जहां नो टेक्नोलॉजी जोन हो. अगर घर के उस जगह जाना है तो मोबाइल अलग रखकर आओ और वहां आराम से बैठेंगे, बाते करेंगे. जैसे घर में मंदिर होता है. आप धीरे-धीरे जीवन जीने का आनंद आने लगेगा, आनंद शुरू होगा तो आप खुद उसकी गुलामी से बाहर आने लगेंगे.

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'रील्‍स देखते हैं या नहीं?'
पीएम मोदी ने कहा किसी से पता चला है कि भारत में लोग एवरेज 6 घंटे स्क्रीन पर लगाते हैं. जब मोबाइल फोन में टॉकटाईम होता था तो उस समय एवरेज 20 मिनट जाती थी. लेकिन जब से स्क्रीन और उसमें रील आ गई, एक बार शुरू करने के बाद उसमें से बाहर निकलते हैं क्या? पीएम ने कहा कि हमारी क्रिएटिव उम्र और क्रेएटिविटी का सामर्थ्य एवरेज 6 घंटे स्क्रीन पर जाए तो यह बहुत चिंता का विषय है. एक प्रकार से गैजेट हमें गुलाम बना देता है, हम उसके गुलाम बनकर नहीं जी सकते. इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए कि कहीं मैं इसका गुलाम तो नहीं हूं.

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गैजेट के गुलाम न बनें
आपने मेरे हाथ में रेयरली मोबाइल फोन देखा होगा. मैंने उसके लिए समय तय किया हुआ है, उस समय से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करता हूं. मैं समझता हूं कि हमें खुद से कोशिश करनी चाहिए कि हम इन गैजेट के गुलाम नहीं बनेंगे. मैं एक स्वतंत्र व्यक्तित्व हूं और मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है और उसमें से जो मेरे काम की चीजें हैं उस तक ही सीमित रहूंगा. उसकी उपयोगिता और आवश्यकता अपने मुताबिक करूंगा.

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क्षमता को आगे बढ़ाने की कोशिश करें
पहले के जमाने में बच्चे आराम से पहाड़े सुना देते थे, भारत के बच्चे विदेश जाकर बच्चे पहाड़े सुनाते थे तो वहां के लोग आश्चर्य में पड़ जाते थे कि कैसे इतने पहाड़े सुना रहा. लेकिन अब हमें पहाड़ा सुनाने वाला बच्चा ढूंढना पड़ता है.  यानी हम अपनी क्षमता खो रहे हैं. हमें अपनी क्षमता खोए बिना क्षमता को आगे बढ़ाने की कोशिश करनी होगी. वरना धीरे-धीरे वो विधा खत्म हो जाएगी.

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खुद को टेस्ट करते रहें
हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने आप को लगातार टेस्ट करना चाहिए. वरना आजकल तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इतने प्लेटफॉर्म आ गए हैं कि आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है उस प्लेटफॉर्म पर दुनियाभर की चीजें निकालकर दे दी जाती हैं. गूगल से भी एक स्टेप आगे चला गया है. अगर उसमें फंस गए तो आपकी क्रिएटिविटी खत्म हो जाएगी.

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डिजिटल फास्टिंग करें
आरोग्य शास्त्र में उपवास की परंपरा होती है. अगर कुछ लगता है तो फास्टिंग करने के लिए कहा जाता है. अब वक्त बदल चुका है तो मैं आपको कहूंगा कि आप हफ्ते में कुछ दिन या दिन में कुछ घंटे टेक्नोलॉजी या डिजिटल फास्टिंग कर सकते हैं. कि उतने घंटे उसकी तरफ जाएंगे ही नहीं. 10वीं-12वीं एक बड़ा टेंशन हो जाता है. लोग 10वीं या 12वीं के एग्जाम हैं तो टीवी पर भी पर्दा लगा देते हैं. टीवी पर तो पर्दा लगा देते हैं लेकिन क्या हम स्वभाव से तय कर सकते हैं कि सप्ताह में एक दिन मेरा डिजिटल फास्टिंग होगा, मैं किसी डिजिटल डिवाइस को हाथ नहीं लगाऊंगा. उसके फायदे देखें और समय बढ़ाने का मन करेगा.

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