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UPSC Success Story: बस ड्राइवर का बेटा बनेगा अफसर, साइबर कैफे चलाकर जोड़े कोचिंग के पैसे, जानें मोईन की कहानी

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST
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UPSC Success Story: 'हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है.' शकील आज़मी की ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश के मोईन अहमद पर सटीक बैठती हैं. जिन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी, तंगहाली में भी हिम्मत नहीं हारी. मालूम था अफसर बनने का जुनून इम्तिहान लेगा. मोईन ने परिवार का मान बढ़ाने की ठान ली थी. समय लगा लेकिन अब मोईन और उनके परिवार का सपना सच हो चुका है. मोईन ने चौथे अटेंप्ट में 296 रैंक के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा क्रैक की है. एक बस ड्राइवर का बेटा अब अफसर बनेगा.

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बस ड्राइवर हैं पिता, बेटे ने चलाया साइबर कैफे
दरअसल, मोईन उत्तर प्रदेश मुरादाबाद के डिलारी के गांव जटपुरा के रहने वाले हैं. उनके पिता बली हसन संविदा पर मुरादाबाद में रोजवेड बस के ड्राइवर हैं और मां तसलीम जहां गृहणी हैं. मोईन 5 भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. उनके बड़े भाई दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं. परिवार कई आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है, बावजूद इसके मोईन ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने किसी तरह एक साइबर कैफे खोला और अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाला.

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साइबर कैफे से कोचिंग के पैसे जोड़े, लोन लिया...
मोईन ने द लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही मन बना लिया था कि वे आगे चलकर सिविल सेवा में जाएंगे. 2016 से साइबर कैफे से कोचिंग के लिए पैसे जोड़े और साल 2019 में दिल्ली आ गए और यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. 

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पहले 2019, फिर 2020 और 2021 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी, पहले तीन में प्रीलिम्स क्वालीफाई नहीं हुआ था लेकिन असफलता हाथ ली लेकिन 2022 की परीक्षा में 296वीं रैंक हासिल की. बीच में पैसे खत्म हो गए तो ढाई लाख रुपये का लोन लेना पड़ा जिसमें से एक लाख रुपये चुका दिए हैं. 

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चौथे अटेंम्ट में क्या बदलाव किए?
मोईन ने बताया कि पहले तीन प्रयारसों में अपनी कमियों को जाना. हर अटेंप्ट की जो कमी नजर आई, उसे दूर किया. 2019 में पांच छह महीने की तैयारी में पहला अटेंप्ट किया, बाद में लगा कि बहुत जल्दबाजी कर दी थी. 2020 में दूसरे अटेंप्ट में बहुत मॉक टेस्ट दिए, ओवर थ‍िकिंग बहुत ज्यादा हो गई थी. पढ़ाई और रिव‍ीजन भी बहुत ज्यादा हो गया था.

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मोईन ने बताया, तीसरे में (2021 में) दूसरों की स्ट्रेटजी फॉलो की, सेलेक्ट‍िव होकर पढ़ाई करता रहा, तीन चार सब्जेक्ट की जगह सभी सब्जेक्ट को महत्व दिया. जब मैं दिल्ली आया था तो कोचिंग की थी, फिर खुद से ही पढ़ाई करता था. मोईन ने बताया कि वह रोजाना 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते थे. जब ज्यादा लगने लगता था तो सोशल मीडिया देखता था.

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देख‍िए सबसे पहली चीज अपनी जिंदगी में रहता है कि किस चीज को कितनी देर में पूरा कर लूंगा. मैं सोचता था कि तीन साल में हो जाएगा. दूसरे अटेंप्ट में एक्चुअल फेलियर लगा, तीसरे अटेंप्ट में लगा कि इसमें कोरोना का समय शामिल था, जिसमें मूमेंटम ब्रेक हुआ. फुल फ्लेज्ड होकर तैयारी की. 

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छह सात महीने को पूरी मेहनत के साथ प्रयास किया. शुरू में गांव से आया तो लोगों ने हेल्प की, राजेश मिश्रा, दिव्य कीर्ति, अवध ओझा के वीडियो सुनकर बहुत कुछ सीखा और फाइनेंशियल प्रॉब्लम के लिए साहिल सर ने मदद की.

(सभी फोटोज मोईन अहमद के फेसबुक अकाउंट से ली गई हैं)

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