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एजुकेशन न्यूज़

गाड़ियां, इंडस्ट्री और पराली... दिल्ली-NCR की हवा में कहां से आता है कितना जहर?

aajtak.in
  • नई द‍िल्ली ,
  • 12 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST
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ठंड आते ही एक बार फिर दिल्ली वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आने लगी है. लोग इस प्रदूषण के लिए तमाम कारकों को जिम्मेदार मानते हैं. पराली से लेकर इंडस्ट्री तक को इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन क्या अप जानते हैं कि दिल्ली की हवा में सबसे ज्यादा जहर किस वजह से घुलता है, क्या हम और आप इसमें कुछ कर सकते हैं, देखें ताजा आंकड़े और स्टडी. 

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ग्रीन थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक विश्लेषण के अनुसार 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक का आकलन है. इस साल की सर्दियों के शुरुआती चरण के दौरान दिल्ली के प्रदूषण में 50 प्रतिशत से अधिक वाहनों का योगदान है. गुरुवार को जारी सीएसई की स्टडी में पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली से स्रोत योगदान पर वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित है. 

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ये विश्लेषण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वायु प्रदूषण में वाहनों का योगदान आधा या इससे ज्यादा है. इसके बाद घरेलू प्रदूषण (12.5-13.5 प्रतिशत), उद्योग (9.9-13.7 प्रतिशत), निर्माण (6.7-7.9 प्रतिशत), कचरा जलाने और सड़क की धूल का स्थान क्रमशः 4.6-4.9 प्रतिशत और 3.6-4.1 प्रतिशत के बीच है. IITM की निर्णय समर्थन प्रणाली वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली का हिस्सा है जो दिल्ली में संभावित उत्सर्जन स्रोतों के बारे में जानकारी देता है.  यह दिल्ली के बाहर के स्रोतों (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 19 जिलों) के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में बायोमास जलने के डेटा को भी ट्रैक करता है. 

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स्टडी के अनुसार इस 2-6 नवंबर के दौरान, प्रारंभिक चरण में एनसीआर में प्रदूषण स्रोतों का योगदान दिल्ली पर 70-80 प्रतिशत तक हावी रहा.  दीपावली के बाद स्मॉग बढ़ने के दौरान इस हिस्से में गिरावट आई क्योंकि तब दिल्ली के अपने स्रोतों से भी सापेक्ष योगदान में वृद्धि हुई. इसी तरह, अन्य राज्यों से बायोमास यानी पराली जलने से प्रदूषण का योगदान प्रारंभिक पूर्व-दिवाली चरण में कम रहा, लेकिन दीवाली के बाद चरम पर रहा. 

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सीएसई स्टडी ये भी दिखाती है कि दिवाली के बाद स्मॉग बढ़ने के दौरान शांत दिनों में भी एनसीआर से सीमा पार से प्रदूषण का घुसपैठ कम हुआ है, लेकिन दिल्ली में स्थानीय प्रदूषण की हिस्सेदारी बढ़ी है. दूसरी ओर, लांग रूट के परिवहन की तुलना करें तो पड़ोसी राज्यों से जलने वाले पराली से ज्यादा प्रदूषण इससे आया. 

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दिन के दौरान, यह देखा गया है कि दिल्ली के अपने स्रोतों का समग्र योगदान सामान्य रूप से शाम के घंटों के दौरान बढ़ता है और सुबह के घंटों (7:30 बजे से 9:30 बजे तक) तक रहता है. स्पष्ट रूप से, सभी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के बंद होने, उद्योग में प्राकृतिक गैस के उपयोग के विस्तार और गंदे ईंधन पर नियंत्रण के बाद, वाहन इस साल दिल्ली में सर्दियों के प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों में सबसे बड़े वास्तविक योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं. 

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सीएसई के कार्यकारी निदेशक, अनुसंधान एंड एडवोकेसी अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा कि परिवहन पर कार्रवाई के लिए मजबूत गति प्राप्त करनी है. साथ ही, अपशिष्ट प्रबंधन, घरों में स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच और धूल नियंत्रण पर कार्रवाई तेज होनी चाहिए. हम अगर अपने घरों से ही तैयारी करें तो वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है. इसके अलावा वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करें. सार्वजनिक वाहनों से कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए लोग सफर करें तो भी दिल्ली का वायु प्रदूषण कम होगा. 

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