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डॉक्टर क्यों स्टेरॉयड्स को कहते हैं दोस्त भी दुश्मन भी, कोरोना के इलाज में कैसे आएंगे काम

aajtak.in
  • 04 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से भी जून में कई अस्पतालों में रिकवरी ट्रायल चलाया गया था. इस ट्रायल में सामने आया कि कोरोना से हर 8 में से एक गंभीर व्यक्ति की जान डेक्सामेथासोन नामक स्टेरॉयड से बचाई गई थी. श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीटयूट की सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ मनीषा अरोड़ा कहती हैं कि चिकित्सा विज्ञान में स्टेरॉयड्स इंसान के सबसे बड़े दोस्त भी हैं और दुश्मन भी. 

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डॉ मनीषा बताती हैं कि स्टेरॉयड एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ होता है जो इंसान के शरीर में ही स्वत: बनता है. ये एक ऐसा एंटी इन्फ्लामेट्री केमिकल है जो तमाम बीमारियों के इलाज में मदद करता है. लेकिन इसका इस्तेमाल बिना डॉक्टरी सलाह के कभी नहीं करना चाहिए, वरना इसके दुष्प्रभाव भी बहुत ज्यादा होते हैं. 

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दो तरह से होता है स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल 
स्टेरॉयड के रूप में कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स और एनॉबॉलिक या एंड्रोजेनिक स्टेरायड्स प्रयोग में आते हैं. इनमें से पहले कॉर्टिको स्टेरॉयड्स सूजन को नियंत्र‍ित करने में मदद करता है. फेंफड़ों के इन्फेक्शन, श्वांस नली में सूजन और म्यूकस उत्पादन इसके इस्तेमाल से कम होता है. तभी डॉक्टर इस स्टेरॉयड्स को कोरोना के इस्तेमाल में भी कारगर मान रहे हैं. 

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दूसरे नंबर एनाबॉलिक स्टेरॉयड एक तरह से सिंथेटिक हॉर्मोन है, ये मशल्स बढ़ाने या मशल्स को टूटने से रोकने में शरीर की क्षमता को बढ़ा सकता है. इसलिए इस स्टेरॉयड्स के इस्तेमाल के कई मामले सामने आते हैं जब ख‍िलाड़ी, बॉडी बिल्ड‍िंग या जिम में इस तरह के इस्तेमाल की बात उठती है. ये भारत में प्रतिबंध‍ित है. अक्सर आपने सुना होगा कि डोप टेस्ट में इस तरह के स्टेरायडस के प्रयोग की बात सामने आती है. 

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अगर दोस्त की तरह देखें तो डॉ मनीषा कहती हैं कि इसके बहुत फायदे हैं. कॉर्ट‍िकोस्टेरॉइड्स सूजन को कम करता है और इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है. ये स्टेरॉइड्स अस्थमा और एग्ज‍िमा जैसी सूजन में इलाज में मददगार है. इसके अलावा रूमेटाइड अर्थराइटिस, ऑटो इम्यून हेपेटाइट‍िस के इलाज में भी उपयोगी है. 

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कोरोना में जिन दो स्टेरॉइड्स के जरिये इलाज की बात कही जा रही है, उनमें डेक्सामेथासोन और हाइड्रोकार्टिसोन के नाम सामने आ रहे हैं. ये दोनों ही सूजन को कम करने और इंफेक्शन को रोकने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. स्टेरॉइड्स की कीमत कम होने के कारण डॉक्टर और रीसर्चर्स इसे एक अच्छे विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. 

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ध्यान रहे खुद से कभी न लें स्टेरॉयड्स 
डॉ मनीषा ने कहा कि ये हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि स्टेरॉयड्स कभी भी बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लेना चाहिए. अक्सर ऐसा देखा गया है कि जिन लोगों को डॉक्टर इलाज में स्टेरॉयड्स लिखते हैं, वो फायदा होने पर दोबारा भी अपने मन से वही दवाएं लेकर खा  लेते हैं, इसके ज्यादा इस्तेमाल से उन्हें कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. स्टेरॉयड्स का ज्यादा इस्तेमाल लिवर, हृदय, त्वचा सहित शरीर के अन्य हिस्सों में दुष्प्रभाव पैदा करता है. 
 

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