देश की टॉप खबरों में सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी बनी हुई है. हर जगह एक ही चर्चा है कि आखिर सुशांत की मौत कैसे हुई. उन्होंने खुद आत्महत्या का रास्ता चुना या किसी ने उन्हें मारकर फिर फंदे से लटकाया. फिलहाल ये केस सीबीआई के हाथ में पहुंच चुका है. सीबीआई अब इस मामले में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा ले रही है जो कि जांच का खास अंग बन सकती है.
सीबीआई की CFSL (सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री) की टीम अब इस मामले में जांच कर रही है. ये ऑटोप्सी पहले भी दो हाईफाई मामलों में इस्तेमाल हो चुकी है. सबसे पहले ये कांग्रेसी नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के केस में इस्तेमाल हुई थी. वहीं दूसरी बार दिल्ली के बुराड़ी में हुई 11 मौतों के मामले इसका प्रयोग किया गया था.
ये ऑटोप्सी एक तरह से मृतक व्यक्ति के दिमाग का पोस्टमॉर्टम होती है. सुशांत मामले में इस जांच से ये पता चल सकेगा कि क्या वो सही में मानसिक रूप से परेशान थे. जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया होगा. या इसके पीछे कोई और ही वजह रही होगी.
इसके लिए सीएफएसएल की टीम उनके परिवार, करीबियों और दोस्तों से बात करेगी. इसके अलावा उनके रहन-सहन और दिनचर्या का अध्ययन करेगी. बता दें कि जांच एजेंसियों की ओर से ये भी एक आत्महत्याओं की जांच का तरीका माना जाता है.
इसी सिलसिले में CBI ने कूपर अस्पताल के डॉक्टरों से मुलाकात की. इसी अस्पताल में सुशांत की डेड बॉडी का पोस्टमॉर्टम किया गया था. अब सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट CBI के पास आ चुकी है. CBI टीम से जुड़े फॉरेंसिक एक्सपर्ट को जांच के लिए 20 फीसदी बचे हुए विसरा के नमूने पर ही निर्भर रहना होगा.
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी में व्यक्ति की मौत से पहले के दो हफ्तों के बारे में पता किया जाता है. इसमें ये पता लगाने की कोशिश की जाती है कि मृतक दो हफ्ते पहले किस ढंग से सोच रहा था, कहां वक्त बिताया था, किनसे बात की, अगर बात की तो किस तरह की बात की. उनका लोगों से व्यवहार कैसा था. क्या उनमें सुसाइडल टेंडेंसी भी नजर आ रही थी. सुसाइडल टेंडेंसी एक तरह का मनोविकार है जो डिप्रेशन के एक इमरजेंसी लक्षण के तौर पर जाना जाता है.
इसके अलावा सीबीआई ने सुशांत की मेडिकल रिपोर्ट को एम्स के डॉक्टरों के एक्सपर्ट कमेंट के लिए भेजा है. कहा जा रहा है कि यहां विसरा का फिर से टेस्ट होगा. बता दें कि विसरा रिपोर्ट पाइजनस चीजों का खुलासा करती है कि कहीं सुशांत को जूस या किसी चीज में जहरीली चीज तो नहीं दी गई.
सिर्फ यही नहीं इस पूरी प्रक्रिया में सुशांत सिंह राजपूत के लिखे नोट्स, व्हाट्सएप चैट और सोशल मीडिया पर लिखी हुई उनकी पोस्ट का सीबीआई फॉरेंसिक टीम अध्ययन करेगी. इसके जरिए उनकी मौत से कुछ दिन पहले की मन की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकेगा. पूरी दुनिया की जांच एजेंसियां इंसानी दिमाग के राज खोलने के लिए इस तरह की जांच प्रक्रिया का सहारा लेती हैं.