सरकार ने इस साल बजट 2021 में 100 नए सैनिक स्कूल खोलने की घोषणा की थी. इसमें जवाहर नवोदय विद्यालयों (JNV) को सैनिक स्कूलों में बदलने का भी प्रावधान रखा गया है. कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि मध्यप्रदेश के भोपाल रीजन के अंतर्गत आने वाले पांच नवोदय विद्यालयों को सैनिक स्कूल में बदला जाएगा. इसके अलावा छह और राज्यों में भी 10 स्कूलों को चिह्नित किया गया है. इसे लेकर विरोध अभी से शुरू हो गया है. क्या आपको पता है कि जेएनवी को सैनिक स्कूलों में तब्दील करने से क्या बदलाव आएंगे.
वहीं सरकार की ओर से नवोदय विद्यालयों को सैनिक स्कूलों में बदले जाने के फैसले का छात्र संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. जवाहर नवोदय विद्यालय के सैनिक स्कूल में बदलने के फैसले की वजह की बात करें तो लंबे समय से सरकार से मांग हो रही है कि जिला स्तर पर और नवोदय विद्यालय खोले जाएं. 1980 से सरकार की नवोदय विद्यालय स्कीम ने हाशिये पर जीवन जी रहे परिवारों के सामने नई उम्मीद रखी है.
अगर फीस स्ट्रक्चर की बात करें तो देश भर में 650 से ज्यादा जेएनवी हैं. जहां पहले मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था है. फिर वाजपेयी सरकार के शासन के दौरान सामान्य वर्ग के लिए फीस 200 रुपये प्रति माह कर दी गई थी. लेकिन हाल ही में मोदी सरकार के कार्यकाल में एक बार फिर फीस में वृद्धि की गई है. मौजूदा वृद्धि 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है. वहीं नॉन बीपीएल के लिए यह फीस 600 रुपये प्रतिमाह है.
अब चिंता का विषय यह है कि अगर जेएनवी को सैनिक स्कूल में बदला गया तो यह फीस और बढ़ सकती है. क्योंकि सैनिक स्कूल की फीस एक लाख 39 हजार के आसपास हो सकती है. यह फीस गैर आरक्षित वर्ग के लिए है. वहीं 1.38 लाख SC, ST और OBC छात्रों के लिए है जो कि अब जेएनवी के लिए भी हो सकती है. इस तरह की फीस में वृद्धि होने से ये स्कूल गरीब या सामान्य परिवारो की पहुंच से दूर हो जाएंगे.
सैनिक स्कूलों में छात्राओं के लिए 10% आरक्षण किया गया है. वहीं JNVs में लड़कियों के लिए ये आरक्षण 33% है. JNV के सैनिक स्कूलों में रूपांतरण से लड़कियों के नामांकन अनुपात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. यही नहीं जेएनवी में ग्रामीण क्षेत्रों से कम से कम 75% छात्रों का चयन करने की व्यवस्था है. आईसा संगठन का कहना है कि जेएनवी को सैनिक स्कूलों में परिवर्तित करने का मतलब होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हो जाएंगे.
जेएनवी स्कूलिंग प्रणाली ने छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान देने वाली गुणवत्ता, समावेशी और सस्ती शिक्षा प्रणाली के लिए एक उत्कृष्ट प्रणाली बनाई है. जेएनवी के पीछे मूल विचार यह था कि देश के प्रत्येक जिलों में एक ऐसा स्कूल बनाया जाए जो हाशिये में रह रहे समाज के बच्चों को भी क्वॉलिटी एजुकेशन दे.
आज 650 से ज्यादा जेएनवी स्कूलों में 2.5 लाख से अधिक छात्र नामांकित हैं. आज, इन स्कूलों को हमारे देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला स्कूल नेटवर्क माना जाता है, जिसमें बोर्ड परीक्षाओं में पास होने वालों का प्रतिशत भी सबसे ऊपर रहता है. ये स्कूल सामाजिक समावेश के मामले में भी शानदार रिकॉर्ड पेश करते हैं.
NITI AYOG द्वारा किए गए एक मूल्यांकन के अनुसार जेएनवी में 2011-12 में 24.79% छात्र SC पृष्ठभूमि से थे, वहीं ST समुदाय से 18.17%, अनारक्षित वर्ग से 57.04% और 37.37% छात्र छात्राएं थे. सही कहा जाए तो हमें अपने देश में ऐसे और स्कूलों की आवश्यकता है यदि हम निर्णायक रूप से अपने देश में कम नामांकन अनुपात और उच्च ड्रॉप-आउट अनुपात को घटाना चाहते हैं.