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अजीम प्रेमजी भारत के ब‍िल गेट्स, ऐसे साबुन-तेल बनाने वाली कंपनी को बना द‍िया IT जगत का धुरंधर

aajtak.in
  • 31 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST
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विप्रो कंपनी के शुरुआती दिनों में 1980 के पहले बैच के टेक लीडर्स ने कंपनी के इतिहास पर एक किताब लिखी है.
ये उनकी कंपनी की अब तक की यात्रा के साथ काम करने के उनके अपने अनुभव पर आधारित है. जिसमें उन्‍होंने कई तकनीकी फर्स्ट को पेश करने की अपनी यादों को भी एक साथ जोड़ा है. जल्द ही जारी होने वाली इस क‍िताब में कंपनी की विरासत के साथ साथ अजीम प्रेमजी के बारे में लिखा है. आइए यहां आपको अजीम प्रेमजी से जुडी कुछ खास बात जानते हैं. 

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मुंबई के एक गुजराती मुस्लिम परिवार में 24 जुलाई 1945 को जन्‍‍‍मे अजीम प्रेमजी को भारत का ब‍िल गेट्स भी कहा जाता है. उन्‍होंने अपनी मेहनत और दूरदर्श‍िता के बलबूते एक साबुन तेल बनाने वाली कंपनी को आईटी का ताज पहनाया तो आज तक वो जगह कोई कंपनी ले नहीं पाई है.

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प्रेमजी की अगुवाई में साबुन तेल बनानी वाली वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल ने विप्रो का रूप लिया और विभिन्न उत्पादों के साथ ही विप्रो ने आईटी क्षेत्र में अपना खास मुकाम बनाया. उनके सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान के लिए साल 2005 में भारत सरकार के अजीम प्रेमजी को पद्म भूषण से सम्मानित किया.

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अजीम प्रेमजी कभी देश के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं. अमेरिकी बिजनेस पत्रिका फोर्ब्‍स के मुताबिक वर्ष 1999 से 2005 तक अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनी व्यक्ति रह चुके हैं.

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अजीम प्रेमजी के परिवार में पत्नी यास्मिन और दो बच्चे रिषाद और तारिक हैं. रिषाद विप्रो में ही कार्यरत हैं. अजीम प्रेमजी आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन हैं. विप्रो के दुनियाभर में एक लाख तीस हजार कर्मचारी हैं और इसकी 54 देशों में शाखाएं हैं. विप्रो का मुख्यालय बेंगलुरू में स्थित है.

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वर्ष 1966 में प्रेमजी के सिर से पिता एम.एच. प्रेमजी का साया उठने के बाद उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पडी. महज 21 साल की उम्र में उन्होंने पारिवारिक कारोबार अपने हाथों में ले ल‍िया.

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प्रेमजी की संस्था ‘दि अजीम प्रेमजी फाउंडेशन’ गरीब बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने में योगदान देती है. विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी से जुड़ी एक खास बात है कि वो हवाई जहाज की इकोनॉमी क्लास में सफर करना पसंद करते हैं. विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन प्रेमजी लग्जरी होटलों की जगह अगर कंपनी गेस्ट हाउस उपलब्ध हो तो उसी में ठहरना पसंद करते हैं. अजीम प्रेमजी को भारत का बिल गेट्स भी कहा जाता है.

 

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प्रेमजी ने जब कारोबार संभाला उस समय उनकी कंपनी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट कंपनी हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल आयल बनाती थी. प्रेमजी की अगुवाई में साबुन तेल बनानी वाली वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल ने विप्रो का रूप लिया और विभिन्न उत्पादों के साथ ही विप्रो ने आईटी क्षेत्र में अपना खास मुकाम बनाया.

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सामाजिक कार्यों में सराहनीय योगदान के लिए साल 2005 में भारत सरकार के अजीम प्रेमजी को पद्म भूषण से सम्मानित किया. प्रेमजी का मानना है कि गुणवत्ता, लागत और डिलीवरी में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उत्कृष्टता के बारे में सोचना चाहिए और जब तक हम उन मानकों से ऊपर ना चले जाएं, विश्राम न करें.

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