
'हर कामयाब इंसान के साथ एक 'पांडे' भी होता है...' हाल ही में रिलीज हुई विक्रांत मैसी स्टारर बॉलीवुड फिल्म '12th Fail' को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है. आईपीएस मनोज शर्मा की रियल स्टोरी से प्रेरित इस फिल्म में सिविल सर्विसेज यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के संघर्ष को बहुत करीब से बखूबी दिखाया गया है. दर्शकों ने फिल्म के हर किरदार को करीब से महसूस किया है. इसका ताजा उदाहरण आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण का है, जिन्हें फिल्म देखने के बाद अपनी जिंदगी के 'पांडे' की याद आई है.
दरअसल, '12वीं फेल' फिल्म में 'पांडे' वो किरदार है, जो मनोज शर्मा (विक्रांत मैसी) को न सिर्फ यूपीएससी की राह दिखाता है बल्कि अपने खर्च पर दिल्ली के मुखर्जी नगर लाता है, रहने की व्यवस्था करता है और कई तरह से छोटी-बड़ी मदद करता है. मनोज शर्मा के लिए भी इस इंसान की अहमियत कम नहीं है, वे अपने यूपीएससी इंटरव्यू से पहले 'पांडे' से मिलते हैं. आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण ने भी अपनी लाइफ के 'पांडे' यानी वो इंसान जिन्होंने आईएएस बनने तक की जर्नी में काफी मदद की है, उसे याद करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है.
12वीं फेल मूवी के फैन आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण ने एक्स (पहले ट्विटर) पर स्टोरी शेयर करते हुए लिखा, 'हर सफल व्यक्ति के साथ एक 'पांडे' भी होता है. मेरा पांडे मुझे तब मिला जब मैं कमरा ढूंढने 'मुखर्जी नगर' की गलियों में भटक रहा था.
उन्होंने आगे लिखा, 'देव एक कोचिंग में मुझे मिला और अपने फ्लैट का एक कमरा मुझे रहने को दिया. मुख्य परीक्षा के समय जब मैं 103-104 डिग्री बुखार से तप रहा था और परीक्षा दे पाने की स्थिति में नहीं था, देव ऑटो में लेकर परीक्षा केंद्र ले जाया करता था. पूरी परीक्षा के दौरान धौलपुर हाउस के बाहर खड़ा होता था. अपने हाथ से खिलाता था. 4 मई को रिजल्ट वाले दिन भी मेरा पांडे मेरे साथ था. मेरे परीक्षा परिणाम को लेकर जितना मेरे पेरेंट्स आशान्वित नहीं थे, मेरा वह दोस्त था.'
"12वीं फेल" की कहानी और शरण का पर्सलन एक्सपीरियंस वाकई में विपरीत परिस्थितियों में दिल छू जाने वाली दोस्ती और एकजुटता के गहरे संबंध को उजागर करते हैं. आईएएस ऑफिसर की अपने 'पांडे' के लिए हार्दिक स्वीकृति उन लोगों के बलिदानों और उदारता को याद दिलाती है जो किसी की उपलब्धियों में योगदान करते हैं. विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन और अनुराग पाठक की किताब पर आधारित यह फिल्म अवनीश शरण को पसंद आई, जिससे उन्हें अपनी जर्नी और देव से मिले स्नेह और समर्थन के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया गया.