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VIDEO: अफगानिस्तान में छात्राओं के लिए फिर से खुले स्कूल, सत्ता में आने के बाद तालिबान ने लगाया था प्रतिबंध

काबुल के राबिया बाल्खी स्कूल में भी दर्जनों लड़कियां गेट पर जमा होने का इंतजार कर रही थीं. अन्य प्रांतों जैसे हेरात और पंजशीर में स्कूल अब भी खुलने बाकी हैं. मंत्रालय ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलना हमेशा एक सरकारी उद्देश्य था. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुश करने के लिए स्कूलों को फिर से नहीं खोल रहे हैं और न ही दुनिया से पहचान हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • काबुल,
  • 23 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST
  • पिछले साल तालिबान ने बनाई थी सरकार
  • लड़कियों की शिक्षा पर लगाए गए थे बैन

Afghanistan School Reopen: अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होते ही लड़कियों की शिक्षा पर लगाया गया अब प्रतिबंध खत्म होने लगा है. बुधवार को राजधानी काबुल में कई लड़कियां स्कूलों में वापस जाती हुई दिखाई दीं. मालूम हो कि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को आए हुए सात महीने से अधिक समय हो चुका है और सेकंडरी स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला लिया गया है. सरकार बनने के बाद स्कूल समेत विभिन्न गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

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पिछले अगस्त में जब तालिबान ने सत्ता संभाली थी, तब कोविड-19 महामारी के कारण सभी स्कूल बंद कर दिए गए थे - लेकिन केवल लड़कों और कुछ कम उम्र की लड़कियों को ही दो महीने बाद कक्षाएं फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई थी.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शिक्षा के अधिकार को नए शासन की सहायता और मान्यता पर बातचीत में एक महत्वपूर्ण बिंदु बना दिया है. कई देशों और संगठनों ने शिक्षकों को भुगतान करने की पेशकश की है. शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि राजधानी काबुल सहित कई प्रांतों में बुधवार को स्कूल फिर से खुलेंगे, लेकिन तालिबान के आध्यात्मिक केंद्र कंधार के दक्षिणी क्षेत्र में अगले महीने तक स्कूल नहीं खुलेंगे. हालांकि, इसके पीछे कोई वजह नहीं बताई गई है. 

बुधवार की सुबह, न्यूज एजेंसी एएफपी की टीमों ने कुछ लड़कियों को राजधानी के कई स्कूलों में प्रवेश करते हुए देखा. एएफपी के एक रिपोर्टर के अनुसार, सैकड़ों लोग सुबह 7:00 बजे जरघोना हाई स्कूल में पहुंचे, जो राजधानी के सबसे बड़े स्कूल में से एक है.

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राजधानी के राबिया बाल्खी स्कूल में भी दर्जनों लड़कियां गेट पर जमा होने का इंतजार कर रही थीं. अन्य प्रांतों जैसे हेरात और पंजशीर में स्कूल अब भी खुलने बाकी हैं. मंत्रालय ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलना हमेशा एक सरकारी उद्देश्य था और तालिबान दबाव के आगे नहीं झुक रहे थे. मंत्रालय के प्रवक्ता अजीज अहमद रायन ने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुश करने के लिए स्कूलों को फिर से नहीं खोल रहे हैं और न ही दुनिया से पहचान हासिल करने के लिए ऐसा कर रहे हैं."

उन्होंने एएफपी को बताया, "हम अपने छात्रों को शिक्षा और अन्य सुविधाएं प्रदान करने की अपनी जिम्मेदारी के तहत ऐसा कर रहे हैं." तालिबान ने जोर देकर कहा था कि वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि 12 से 19 साल की लड़कियों के लिए स्कूल अलग-अलग हों और इस्लामी सिद्धांतों के अनुसार काम करें.

 

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