
NEET-NET offline vs online debate: NEET UG और UGC NET 2024 परीक्षा में गड़बड़ियों को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की टीम एक्शन में है. डार्कनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टेलीग्रीम पर यूजीसी नेट पेपर लीक की जांच के बाद सीबीआई को नीट केस भी सौंप दिया गया है. नीट पेपर लीक की जांच कर रही बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने सीबीआई को अब तक की जांच रिपोर्ट और सबूत सौंप दिए हैं. शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की परीक्षा प्रक्रिया और कार्यप्रणाली के सभी पहलुओं की समीक्षा के लिए एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया है. इस बीच अब परीक्षाओं के ऑफलाइन (पेन-पेपर मोड) या ऑनलाइन (कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट या CBT) मोड में आयोजित कराने को लेकर बहस तेज हो गई है.
दरअसल, परीक्षाओं में सॉल्वर गैंग की सेंधमारी से परीक्षा की शुचिता भंग हो रही है और सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. परीक्षा के मोड (ऑफलाइन या ऑनलाइन) पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. अंडरग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट यानी NEET-UG पारंपरिक रूप से एक ही बार में होने वाली पेन-पेपर परीक्षा होती है, जबकि UGC-NET, जो 2018 से कंप्यूटर आधारित है, इस बार इसे पेन-एंड-पेपर OMR मोड में कराया गया था. नीट परीक्षा में जहां हर साल 20 से 23 लाख उम्मीदवार शामिल होते हैं, वहीं यूजीसी नेट परीक्षा में भी 11 लाख से ज्यादा उम्मीदवार बैठते हैं. इसलिए सुरक्षित मोड में परीक्षा कराना बहुत जरूरी है.
अब सवाल यह है कि परीक्षा का ऑनलाइन मोड सही है या ऑफलाइन मोड? कुछ एक्सपर्ट्स का तर्क है कि कंप्यूटर बेस्ड टेस्ट (सीबीटी) पारंपरिक पेन-एंड-पेपर परीक्षा की तुलना में अधिक सुरक्षित है.
ट्रांसपोर्टेशन में लीक
शिक्षाविद् डॉ. अमित कुमार बताते हैं कि ऑफलाइन मोड की परीक्षा में सबसे बड़े रोल ट्रांसपोर्टेशन का है. परीक्षा से उचित समय पहले परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षित प्रश्न पत्र पहुंचाना बड़ी चुनौती है. नीट और यूपी पुलिस सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में सामने आया है कि प्रश्न पत्र ट्रांसपोर्टेशन के दौरान लीक हुआ था. शिक्षाविद अमित कुमार निरंजन कहते हैं, 'यूजीसी नेट जेआरएफ के लिए हमेशा से ऑफलाइन मॉड से ज्यादा बेहतर ऑनलाइन मोड रहा है, क्योंकि ऑनलाइन बोर्ड की बहुत सारी विशेषताएं जैसे ऑनलाइन बोर्ड में जो क्वेश्चन पेपर है वह क्वेश्चन पेपर समय से ठीक 5 मिनट पहले ही ऑन होता है जिससे कि पेपर लीक होने की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं.'
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परीक्षा केंद्र पर गड़बड़ी
ऑफलाइन एग्जाम में परीक्षार्थियों को क्वेश्चन पेपर मैनुअली बांटे जाते हैं. इस बार नीट परीक्षा में कई एग्जाम सेंटर्स पर अंग्रेजी के बजाय हिंदी का क्वेश्चन पेपर बांट दिया गया था, जिसकी वजह से देरी हुई और परीक्षार्थियों ग्रेस मार्क्स दिए गए. सीबीटी मोड में इस तरह की गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती. सिक्योरिटी वेरिफिकेशन के बाद कंप्यूटर स्क्रीन पर क्वेश्चन पेपर मिल जाता है. डॉ. अमित कहते हैं कि ऑनलाइन मोड में पेपर सबमिशन करते ही पेपर लॉक हो जाता है जो किसी भी माध्यम से खुल नहीं सकता है तो पेपर के बाद होने वाली पेपर लीक होने की समस्या भी खत्म हो जाती है.
समय की बर्बादी
सात बार नेट क्लियर कर चुके शिक्षाविद अमित कुमार का कहना है कि ऑफलाइन मोड के दौरान कैंडिडेट्स को ओएमआर शीट भरने से पहले तीन बार अपना वेरिफिकेशन करना पड़ा, ऐसे में उनका काफी समय बर्बाद होता है और पेपर की बर्बादी भी होती है. कंप्यूटर पर ऐसा नहीं होता था, एक ही बार फेस स्कैन करके एंट्री मिल जाती थी, इसमें ना ओएमआर फटने-खोने का कोई डर नहीं होता.
सबमिट के बाद पेपर लीक का सबसे बड़ा डर
ऑफलाइन मोड में परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को मुख्य केंद्र पर ले जाया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान भी परीक्षा में धांधली का सबसे ज्यादा चांस रहता है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, परीक्षा शुरू होने से पहले जिस छात्र की सेटिंग होती है उसे डुप्लीकेट ओएमआर शीट दी जाती है और ओरिजनल सीट किसी सॉल्वर से भरवा ली जाती है. कैंडिडेट को ओएमआर शीट भरने का बस नाटक करने के लिए कहा जाता है. जब ओएमआर शीट सबमिट करने का समय आता है तो बड़ी सफाई से ओरिजनल ओएमआर शीट रिप्लेस कर दी जाती है. यह काम इतनी सफाई से होता है कि गडबड़ी सामने आने की गुंजाइश न के बराबर होती है.
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शिक्षाविद अमित ने बताया कि परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को मुख्य सेंटर तक पहुंचाने में समय लग सकता है. ऐसे में कोई भी परीक्षक अपने पसंदीदा कैंडिडेट को यह भी कह सकता है कि ओएमआर शीट ब्लैंक छोड़ दो. अगर सारे सवाल पता हों तो कुछ ही देर में ओएमआर शीट भरकर पेपर भिजवाया जा सकता है और किसी को शक भी नहीं होगा क्योंकि सेंटर इतनी दूर है तो यह कह सकते हैं कि आने में काफी देरी हुई.
खराब और हल्की ओएमआर शीट
अमित कुमार ने इस साल हुए यूजीसी नेट एग्जाम में खराब और हल्की ओएमआर शीट दिए जाने का भी सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि पहले नेट की परीक्षा सीबीटी मोड में होती थी, ऐसे में पेपर तुरंत लॉक हो जाता था. इस साल एग्जाम पेन और पेपर मोड में हुआ है. छात्रों की ओएमआर शीट इतनी पतली थी कि अगर उसपर थोड़ा जोर डाला जाता तो वह तुरंत फट जाती. लकड़ी की बेंच पर शीट रखकर स्टूडेंट्स उसे भर रहे हैं. अंत में कई छात्रों की ओएमआर शीट इनवैलिड हो सकती थी. एनटीए को इन छोटी गलतियों पर भी ध्यान देना चाहिए था.
डॉ. अमित का कहना है कि ऑनलाइन मोड में ओएमआर शीट खराब होने का कोई डर नहीं रहता है ना ही तो इसके फटने का डर रहता है, क्योंकि आपको पेन से कुछ करना ही नहीं है सब कुछ ऑनलाइन ऑप्शंस के थ्रू फीड हो जाता है ऑनलाइन मोड हर एक स्टूडेंट के लिए एक बहुत ही सुविधाजनक मोड है. क्योंकि इसमें आप अपने क्वेश्चन को बार-बार रिव्यू कर सकते हैं, अपने आंसर को बार-बार बदल सकते हैं, आप इसमें सिर्फ मार्क लगाकर भी छोड़ सकते हैं जिससे की आखिरी में समय बचाने पर आप अपने क्वेश्चंस को दोबारा अटेम्प्ट कर सके.
ऑनलाइन मोड बहुत ही आधुनिक सिस्टमय...
एक्सपर्ट कहते हैं कि ऑनलाइन मोड बहुत ही आधुनिक सिस्टम है किसी भी क्वेश्चन पेपर को करने का इसका फायदा रिजल्ट के डिक्लेयर होने में भी है क्योंकि जैसे आपने फीडिंग करिए एक कंप्यूटर सिस्टम प्रोग्राम के थ्रू काम करता है और आपके आंसर्स को इम्मीडिएटली चेक करके ऑप्शन दे देता है. इसमें रैंकिंग बनाना भी बहुत आसान है जो कंप्यूटर सॉफ्टवेयर खुद कर देता है. बिना किसी गलती के ओएमआर शीट में हमें एडिशनल कंप्यूटर सिस्टम की जरूरत पड़ती है जो एक बहुत ही जटिल कार्य है जिसमें कुछ भी ऑटोमेटिक नहीं होता है. हमें मैन्युअल और ऑटोमेटिक दोनों की मदद लेनी पड़ती है जिसमें गलती होने के चांसेस बहुत ज्यादा होता है. अगर किसी बच्चे की ओएमआर शीट खराब हो जाती है तो दोबारा वेरीफाई करके उसको सही करने का वक्त ही नहीं मिलता उसे बच्चों को इसीलिए ऑनलाइन मोड बहुत ही एडवांस मोड है और हमें इस ऑनलाइन मोड को ही और बेहतर बनाने में ध्यान देना चाहिए ना कि ऑफलाइन मॉड आने में.
खर्च
ऑफलाइन परीक्षा का आयोजन करना अधिक महंगा हो सकता है, क्योंकि इसमें कागज, कलम, पर्यवेक्षकों और परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था जैसी लागतें शामिल होती हैं. जबकि ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन करना कम खर्चीला हो सकता है, क्योंकि इसमें कम संसाधनों की आवश्यकता होती है. ऑफलाइन परीक्षा में कागज और अन्य सामग्री का उपयोग होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है. ऑनलाइन परीक्षा में कागज रहित होती है, जिससे पर्यावरण पर बोझ कम होता है.
बता दें कि साल 2018-19 में, शिक्षा मंत्रालय ने JEE (मेन) की तरह NEET-UG के लिए कंप्यूटर-आधारित मल्टी-सेशन मोड का प्रस्ताव रखा था, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के भीतर इस पर कोई सहमति नहीं बनी. पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने साल में दो बार परीक्षा और डिजिटल NEET-UG परीक्षाओं की संभावना जताई थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था.
शिक्षाविद् अमित कुमार निरंजन, राष्ट्रीय स्तर के काउंसलर और प्रेरक हैं. लगभग 2 लाख से ज्यादा छात्रों की बिना शुल्क लिए करियर काउंसलिंग कर चुके हैं. वे राष्ट्रीय स्तर के शिक्षक प्रशिक्षक हैं, 5000 से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया है. अमित का एक प्रकाशन भी है. वे 7 अलग-अलग विषयों से यूजीसी नेट पास कर चुके हैं और 9 विषयों से मास्टर्स डिग्री ली है, ऐसा करने वाले वे अकेले भारतीय हैं.