Advertisement

7 छात्रों ने की थी शुरुआत, आज 37 हजार छात्र हैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में, दिलचस्प है AMU का इतिहास

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी. इसे पहले मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल के रूप में शुरू किया गया था. कहा जाता है कि शुरुआत में यहां सिर्फ सात छात्र थे, और आज इसमें 37 हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. आइए इस यूनिवर्सिटी के बारे में कुछ खास बाते जानते हैं.

History of Aligarh Muslim University (Image: Getty Images) History of Aligarh Muslim University (Image: Getty Images)
aajtak.in
  • ,
  • 08 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम को अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार माना है. इस मामले में अपना ही 1967 का फैसला बदल दिया है. जिसमें कहा गया था कि AMU अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जे का दावा नहीं कर सकती है. अन्य समुदायों को भी इस संस्थान में बराबरी का अधिकार है. यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की  संवैधानिक बेंच ने दिया है. इस बेंच में 7 जज शामिल थे. जिसमें से 4 ने पक्ष मे और 3 ने विपक्ष मे फैसला सुनाया. इस फैसले को देते हुए मामले को 3 जजों की रेगुलर बेंच को भेज दिया गया है. इस बेंच को यह जांच करनी है कि एएमयू की स्थापना अल्पसंख्यकों ने की थी क्या?. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस प्रमुख यूनिवर्सिटी का इतिहास क्या रहा है..

Advertisement

स्कूल के रूप में शुरू हुआ था AMU

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक है. इसका इतिहास सन् 1875 से शुरू होता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रिटिश राज में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की तर्ज पर AMU भारत का पहला उच्च शिक्षण संस्थान था. 1875 में, सर सैयद ने मुसलमानों को आधुनिक शिक्षा देने की जरूरत को समझते हुए मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की. उस समय निजी विश्वविद्यालयों की अनुमति नहीं थी, इसलिए इसे स्कूल के रूप में शुरू किया गया. 

बाद में, इसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में बदल दिया गया और फिर 1920 में इसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया. उसी वर्ष ब्रिटिश सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली ने AMU एक्ट लाकर इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया. कहा जाता है कि सर सैयद ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बहुत संघर्ष किया. उन्होंने इसके लिए अनोखे तरीके अपनाए, जैसे कि लोगों से चंदा इकट्ठा करना, नाटक में काम करना और लोगों से सहयोग मांगना.

Advertisement

ड्रामा और संगीत की भी होती है पढ़ाई

AMU में आज 37 हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं, जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे भारत से यहां आते हैं. यहां 13 फैकल्टी, 21 सेंटर और 117 विभाग हैं. छात्रों और कर्मचारियों के लिए 80 छात्रावास सहित 19 हॉल भी हैं. AMU में तकनीकी, व्यावसायिक और अनुसंधान के कई विशेष पाठ्यक्रम हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, मेडिकल, डेंटल, जैव प्रौद्योगिकी और इस्लामिक अध्ययन जैसे प्रमुख कॉलेज और विभाग शामिल हैं.

इसके अलावा, AMU ने पश्चिम बंगाल, केरल और बिहार में अपने तीन नए केंद्र भी खोले हैं. विश्वविद्यालय खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय है, जहाँ क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी और घुड़सवारी के लिए विशेष क्लब मौजूद हैं. "सामान्य शिक्षा केंद्र" पाठ्यक्रमेतर गतिविधियों जैसे ड्रामा, संगीत और साहित्यिक क्लबों का आयोजन करता है.

AMU में कितने मुस्लिम छात्र

द हिंदू के अनुसार, 1920 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में लगभग 70 प्रतिशत मुस्लिम छात्र पढ़ाई करते हैं. वहीं, कुल में से 30 प्रतिशत छात्र हिंदू हैं. सूत्रों के मुताबिक, खासकर चिकित्सा और कानून जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में हिंदू छात्रों की संख्या 40 प्रतिशत तक हो जाती है. वरिष्ठ माध्यमिक तक सभी छात्रों के लिए उर्दू एक अनिवार्य विषय होता है, और उन्हें उन्नत हिंदी-प्राथमिक उर्दू या उन्नत उर्दू-प्राथमिक हिंदी में से एक चुनना होता है. बता दें कि विश्वविद्यालय एएमयू से संबद्ध संस्थानों के छात्रों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखता है.

Advertisement

AMU का छात्र संघ

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संघ (AMUSU) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का आधिकारिक छात्र संगठन है. यह छात्रों का एक ऐसा प्रतिनिधि निकाय है, जो विश्वविद्यालय के पूरे परिसर में काम करता है और स्वतंत्र रूप से अपनी गतिविधियां संचालित करता है. इसका संविधान अमीन ए. बुलबुलिया द्वारा लिखा गया है. 

कैसे मिलेगा AMU में एडमिशन?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में एडमिशन के लिए सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट amucontrollerexams.com पर जाकर आवेदन पत्र भरना और पंजीकरण करना होता है. परीक्षा परिणामों के आधार पर मेरिट लिस्ट और वेटलिस्ट के अनुसार काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल होने का मौका मिलता है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत पात्रता मानदंड, योग्यता मानदंड और अन्य ज़रूरी शर्तों को पूरा करने वाले उम्मीदवारों को सीटें आवंटित की जाती हैं. यहां के ज्यादातार कोर्सेस में एडमिशन के लिए सीयूईटी परीक्षा पास करना जरूरी होता है. वहीं. पीजी कोर्स में एडमिशन के लिए, कुछ कोर्स में सीयूईटी पीजी के स्कोर के आधार पर प्रवेश होता है. वहीं, कुछ कोर्स के लिए यूनिवर्सिटी अपना खुद का एंट्रेंस एग्ज़ाम आयोजित करती है

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement