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UP TET 2021 के अभ्यर्थी याचियों को मिलेंगे 2 प्रश्नों के ग्रेस मार्क, 2019 वालों को 1-1 अंक, HC का फैसला

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने टीईटी परीक्षा 2021 के 230 अभ्यर्थी, प्रगति अग्रवाल व 15 अन्य याचिकाओं और  टीईटी परीक्षा 2019 के 727 अभ्यर्थी, अखिलेश व 14 अन्य याचिकाओं को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए दिया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट. (File Photo/PTI) इलाहाबाद हाई कोर्ट. (File Photo/PTI)
aajtak.in
  • प्रयागराज,
  • 06 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:32 AM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी टीईटी परीक्षा 2021 के दो गलत सवालों के बदले सभी 230 अभ्यर्थी याचियों को ग्रेस मार्क देकर एवं यूपी टीईटी 2019 के दो सवालों को लेकर 727 अभ्यर्थी याचियों को एक अंक देकर नए सिरे से परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने अन्य सवालों को लेकर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि याचियों ने उत्तर कुंजी पर आपत्ति की है या नहीं इसके आधार पर विभेद नहीं किया जा सकता. सभी याचियों को राहत पाने का अधिकार है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने टीईटी परीक्षा 2021 के 230 अभ्यर्थी, प्रगति अग्रवाल व 15 अन्य याचिकाओं और  टीईटी परीक्षा 2019 के 727 अभ्यर्थी, अखिलेश व 14 अन्य याचिकाओं को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए दिया है. याचियों का कहना था कि मोहम्मद रिजवान केस में जिन सवालों को लेकर कोर्ट में गलती पाई गई थी और ग्रेस मार्क देने का आदेश हुआ था, उन्हीं सवालों को 2021 की परीक्षा में शामिल किया गया है. इसलिए उन्हें भी वैसी ही राहत पाने का हक है.

सरकार की तरफ से कहा गया कि सवाल विशेषज्ञ तय करते हैं और अदालत विशेषज्ञ नहीं हो सकती. दूसरा जिन याचियों ने उत्तर कुंजी पर आपत्ति नहीं की है उन्हें राहत पाने का हक नहीं है. पिछली परीक्षा के गलत सवाल इस परीक्षा में दुबारा लिए गए हैं, इस गलती को सरकार की तरफ से स्वीकार किया गया. जो सवाल पिछली परीक्षा में क्रमांक 16 व 131 पर थे वही 2021 की परीक्षा में 8वें और 141वें क्रमांक पर हैं. कोर्ट ने दोनों प्रश्नों के ग्रेस मार्क देने का निर्देश दिया है.

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टीईटी 2019 की परीक्षा में प्रश्न 83 व 144 सही नहीं पाए गए. हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रणविजय सिंह केस के आधार पर इन प्रश्नों के लिए एक-एक अंक देने का निर्देश दिया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अन्य सवालों पर पर्याप्त संदेह नहीं होने के कारण हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

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