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कोरोना के बाद पटरी पर आई शिक्षा, ग्रामीण इलाकों में तेजी से सुधार... ASER 2024 की रिपोर्ट जारी

एएसईआर 2024 की रिपोर्ट जारी हो चुकी है. इसमें ग्रामीण शिक्षा में सुधार और बच्चों पर नई शिक्षा नीति का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है.

ASER की वार्षिक रिपोर्ट जारी ASER की वार्षिक रिपोर्ट जारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

एएसईआर (ASER) की वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट 2024 मंगलवार को जारी हो चुकी है. इसमें कोरोना महामारी के बाद शिक्षा में सुधार और बच्चों में डिजिटल साक्षरता की दर में बढ़ोतरी देखी गई है. इसके अलावा भी कई सुधार हुई हैं.

ASER रिपोर्ट 2024 में यह सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 और 5 के छात्रों के बुनियादी पढ़ने और गणितीय कौशल में महामारी के बाद सुधार देखने को मिला है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि केवल 57% किशोर स्मार्ट डिवाइस का उपयोग शिक्षा संबंधित गतिविधियों के लिए करते हैं, जबकि 76% किशोर इसे सोशल मीडिया के लिए इस्तेमाल करते हैं.

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स्मार्ट फोन का उपयोग और डिजिटल साक्षरता
14-16 आयु वर्ग के  90% बच्चों के घर में स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. 82.2% बच्चे उनका उपयोग करना जानते हैं. लड़कों में 36.2% और लड़कियों में 26.9% के पास अपना स्मार्टफोन है.  वहीं 76% किशोर स्मार्ट फोन पर  सोशल मीडिया का सही तरीके से इस्तेमाल करना जानते हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 14 से 16 वर्ष के आयुवर्ग वाले 57% बच्चे स्मार्ट डिवाइस का उपयोग शिक्षा संबंधित गतिविधियों के लिए करते हैं.

कम उम्र में पढ़ाई शुरू करने वाले बच्चों का प्रतिशत बढ़ा 
सरकारी प्राथमिक स्कूलों में 60 से कम बच्चों वाले स्कूलों का प्रतिशत 2022 में 44% से बढ़कर 2024 में 52.1% हो गया. कक्षा 1 और 2 के दो-तिहाई कक्षाएं मल्टीग्रेड थीं, जिसमें अलग-अलग कक्षाओं के बच्चे एक साथ पढ़ते थे. पांच वर्षीय बच्चों के पूर्व-प्राथमिक स्कूलों में नामांकन दर कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल और नागालैंड में 90% से अधिक रही.

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शिक्षा में बदलाव और नई शिक्षा नीति का प्रभाव
यह रिपोर्ट गैर-लाभकारी संगठन प्रथम द्वारा ग्रामीण भारत के 605 जिलों में 6,49,491 बच्चों पर किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है. एएसईआर सेंटर की निदेशक विलिमा वाधवा ने बताया कि  बुनियादी शिक्षा स्तर में अचानक इस तरह का सुधार कैसे हुआ? पिछले 20 वर्षों में हमने ऐसा सुधार नहीं देखा. ऐसा लगता है कि यह नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) और इसकी फाउंडेशनल स्किल्स पर ध्यान केंद्रित करने का परिणाम है.

पढ़ने की क्षमता में सुधार
कक्षा 5 के 44.8% बच्चे अब कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, जो 2022 में 38.5% था.
सरकारी स्कूलों में यह प्रतिशत महामारी से पहले के स्तर के करीब पहुंच गया है, लेकिन निजी स्कूल अब भी 2018 के 65.1% से कम हैं.

स्कूलों में उपस्थिति की दर में वृद्धि
2024 में सरकारी प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की औसत उपस्थिति 75.9% रही, जो 2022 में 73% और 2018 में 72.4% थी. शिक्षकों की औसत उपस्थिति 2018 के 85.1% से बढ़कर 2024 में 87.5% हो गई.

एएसईआर 2024 की रिपोर्ट दर्शाती है कि ग्रामीण भारत में शिक्षा की स्थिति में सुधार हो रहा है. नई शिक्षा नीति 2020 और डिजिटल उपकरणों की बढ़ती पहुंच ने इस प्रगति को गति दी है. हालांकि, स्मार्टफोन रखने और डिजिटल पहुंच में लैंगिक असमानता, मल्टीग्रेड क्लास और छोटे स्कूल जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं.

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