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बाबरी मस्जिद विध्वंस के उदाहरण हटे, अब NCERT की किताबों में राम जन्मभूमि आंदोलन पढ़ेंगे छात्र

 एनसीईआरटी ने 12वीं पॉलिटिकल साइंस की नई किताब के अध्याय 8 में शामिल अयोध्या विध्वंस का संदर्भ हटा दिया है. साथ ही गुजरात दंगों के बारे में अब बताया गया है कि "दंगों में हर समुदाय के लोग मारे गए" और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बारे में अब बताया गया है कि ये असल में "भारतीय इलाका है जिसे पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है."

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST

स्कूली छात्रों की किताबों से अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों के कुछ उदाहरण हटाए गए हैं. इसके अलावा हिंदुत्व के संदर्भ को हटाना और मणिपुर के भारत में विलय के संदर्भ में भी बदलाव किया गया है. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने अपनी किताबों में कई बदलाव करते हुए हाल के कुछ वर्षों में हुए संवेदशील विषयों को हटा दिया है.

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12वीं पॉलिटिकल साइंस की किताब में हुए ये बदलाव

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीईआरटी ने 12वीं पॉलिटिकल साइंस की नई किताब के अध्याय 8 में शामिल अयोध्या विध्वंस के कुछ संदर्भ हटा दिए हैं. "राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?" इसे बदलकर "राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?" कर दिया गया है. उसी अध्याय में बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति के कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं.

पहले पैराग्राफ में लिखा था: "चौथा, कई घटनाओं की परिणति दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है) के विध्वंस के रूप में हुई. इस घटना ने देश की राजनीति में विभिन्न बदलावों का प्रतीक और शुरुआत की और इस पर बहस तेज हो गई. भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति. ये घटनाक्रम भाजपा और 'हिंदुत्व' की राजनीति के उदय से जुड़े हैं."

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इसे इस प्रकार बदल दिया गया: "चौथा, अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने विभिन्न राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया. राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने दिशा बदल दी धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की परिणति सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के रूप में हुई."

सिलेबस में बदलाव पर NCERT का तर्क

इन बदलावों को लेकर एनसीईआरटीई ने कहा है कि देश की राजनीति में हाल के कुछ वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जिसकी वजह से सिलेबस को अपडेट किया गया है. अधिकारियों ने कहा कि बदलाव रूटीन अपडेट का हिस्सा हैं और नए पाठ्यक्रम ढांचे (एनसीएफ) के अनुसार नई किताबों के विकास से जुड़े नहीं हैं. यह बदलाव अन्य के अलावा कक्षा 11 और 12 की राजनीति साइंस की किताबों में भी किए गए हैं.

एनसीईआरटी की करिकुलम ड्राफ्टिंग कमेटी द्वारा तैयार किए गए बदलावों की डिटेल्स देने वाले एक डॉक्यूमेंट के अनुसार, राम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भों को "राजनीति में नए विकास के अनुसार" बदल दिया गया है.

11वीं क्लास की किताबों में क्या-क्या बदला

11वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक में धर्मनिरपेक्षता पर अध्याय 8 में पहले लिखा गया था, "2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों का नरसंहार किया गया था, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे." इसे बदलकर "2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे" कर दिया गया है. बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क है, "किसी भी दंगे में सभी समुदायों के लोगों को नुकसान होता है. यह सिर्फ एक समुदाय नहीं हो सकता".

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कुछ घटनाओं के बारे में अब थोड़ा अलग बताया गया-

  • गुजरात दंगों के बारे में अब बताया गया है कि "दंगों में हर समुदाय के लोग मारे गए."
  • पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बारे में अब बताया गया है कि ये असल में "भारतीय इलाका है जिसे पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है."
  • मणिपुर के भारत में विलय के बारे में अब बताया गया है कि "भारत सरकार ने राजा को 1949 में विलय के समझौते पर दस्तखत करने के लिए मना लिया."

कश्मीर के बारे में अब क्या पढ़ाया जाएगा?

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में लिखा गया था, "भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है. पाकिस्तान इस क्षेत्र को आज़ाद पाकिस्तान के रूप में वर्णित करता है". बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और इसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POJK) कहा जाता है." बदलाव के पीछे एनसीईआरटी का तर्क यह है कि "जो बदलाव लाया गया है वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत सरकार की ताजा स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है".

मणिपुर पर, पहले की पाठ्यपुस्तक में कहा गया था, "भारत सरकार मणिपुर की लोकप्रिय निर्वाचित विधान सभा से परामर्श किए बिना, सितंबर 1949 में विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराजा पर दबाव डालने में सफल रही. इससे मणिपुर में बहुत गुस्सा और आक्रोश पैदा हुआ, जिसके परिणाम उसका अहसास अभी भी किया जा रहा है." बदले हुए संस्करण में कहा गया है, "भारत सरकार सितंबर 1949 में महाराजा को विलय समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाने में सफल रही."

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एनसीईआरटी ने पिछले सप्ताह सीबीएसई स्कूलों को जानकारी दी थी कि कक्षा 3 और 6 के लिए नई किताबें तैयार की जा रही है, जबकि एनसीएफ के अनुसार अन्य कक्षाओं के लिए किताबों में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि, बदलावों की सीरीज अब उन किताबों में पेश की जाएगी जो अभी बाजार में नहीं आई हैं, जबकि नया सत्र शुरू हो चुका है.

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