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बॉर्डर पर बांग्लादेशियों की भीड़, कई घुसपैठी गिरफ्तार... जानिए क्या बांग्लादेशी भारत में शरण ले सकते हैं?

भारत ने पिछले समय में शरणार्थियों का स्वागत किया है. लगभग 3 लाख लोगों को शरणार्थी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें तिब्बती, बांग्लादेश के चकमा और अफगानिस्तान, श्रीलंका जैसे देशों के शरणार्थी शामिल हैं. ऐसा में सवाल उठता है कि क्या अब भारत बांग्लादेशियों को शरण देगा?

India Bangladesh Border India Bangladesh Border
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST

बांग्लादेश में शेख हसीना के जाने के बाद हिंदुओं की स्थिति भयावह है. अल्पसंख्यकों को मारा जा रहा है, उनके घर-दुकानें लूटी जा रही हैं. स्थिति इतनी डरावनी है कि लाखों लोग देश छोड़ने को मजबूर हैं. बांग्लादेश में दंगे छिड़ने के बाद भारत के बॉर्डर पर बांग्लादेशी नागरिकों की भीड़ देखी गई. इसके अलावा कई बांग्लादेशी घुसपौठियों को गिरफ्तार किया गया है. ऐसे में हर किसी के मन में यही सवाल है कि क्या बांग्लादेशी नागरिक भारत आकर रह सकते हैं? आइए जानते हैं कि भारत की रेफ्यूजी नीति क्या कहती है.

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क्या भारत में शरण ले सकते हैं बांग्लादेशी?
सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि भारत में शरणार्थियों को लेकर कोई कानून नहीं है. इस मामले में भारत पूरी स्वतंत्र है कि वह अन्य देशों के लोगों को अपने यहां शरण देना चाहता है या नहीं, लेकिन घुसपैठ करके किसी भी अन्य देश का नागरिक भारत में आकर नहीं रह सकता है. साल 1951 में लीग ऑफ नेशन्स (अब यूनाइटेड नेशन्स) ने शरर्णार्थियों के लिए एक पॉलिसी तैयार की थी. इस पॉलिसी को जेनेवा कन्वेंशन के रूप में भी जाना जाता है. यह पॉलिसी बताती है कि शरणार्थी कौन हैं और शरण पाने वाले व्यक्तियों के अधिकार और शरण देने वाले देशों की ज़िम्मेदारियां निर्धारित क्या हैं. 

कन्वेंशन यह भी निर्धारित करता है कि कौन से लोग शरणार्थी के रूप में योग्य नहीं हैं. साल 1967 आते-आते ये पॉलिसी पूरी दुनिया या कहें तो कई देशों में लागू हो गई थी, लेकिन भारत इस पॉलिसी का हिस्सा नहीं है. इसका मतलब यह नहीं है कि भारत में कभी शरणार्थी नहीं आए. पिछले काफी समय में तिब्बती, बांग्लादेश के चकमा और अफगानिस्तान, श्रीलंका के लोग भारत में शरण ले चुके हैं.

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इस एजेंसी के जरिए मिलती है रेफ्यूजी को नागरिकता
भारत में किसी भी देश के आम इंसान को शरण युनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी (UNHCR) के जरिए मिलती है. यह संयुक्त राष्ट्र की रिफ्यूजी एजेंसी है. इसकी ऑफिशियल वेबसाइट से आवेदन करना पड़ता है. जांच और सवाल-जवाब के बाद तय होगा कि उन्हें शरण दी जाएगी या नहीं. अगर किसी विदेशी को लगता है कि उसकी सुरक्षा को खतरा है और अपने देश नहीं लौटना चाहता है, तो वो भारत में शरण ले सकता है. इस प्रोसेस में कैंडिडेट का इंटरव्यू होता है, उसके कागजात और परिवार के बारे में जानकारी जुटाई जाती है. यानी कि बांग्लादेशियों को भारत में शरण देनी है या नहीं, यह पूरी तरह भारत सरकार पर निर्भर करता है.

भारत में कितने बांग्लादेशी शरणार्थी
साल 1971 में बांग्लादेश के वजूद में आने से पहले वहां भयानक हिंसा चल रही थी तो लाखों की संख्या में बांग्लादेशी लोग शरण की तलाश में भारत पहुंचे थे. तब से भारत में बांग्लादेशी शरणार्थियों को लेकर अलग-अलग दावे हैं. 2004 में यूपीए सरकार ने बताया था कि भारत में करीब 12 लाख अवैध बांग्लादेशी प्रवासी रह रहे हैं. लेकिन 2016 में इस संख्या को करीब 20 लाख बताया गया. जबकि 2018 में गृहमंत्री अमित शाह ने ये आंकड़ा 40 लाख के करीब बताया.

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