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धरने पर बैठी BHU टीचर का आरोप- 'दलित हूं, इसलिए परेशान किया जा रहा'

अपने आरोपों को लेकर शिक्षिका शोभना ने पहले फर्श पर और बाद में केंद्रीय कार्यालय गेट के सामने ही जमीन पर धरना देना शुरू कर दिया. जान‍िए- क्‍या है उनका आरोप.

धरने पर बैठी श‍िक्ष‍िका (Photo: aajtak.in) धरने पर बैठी श‍िक्ष‍िका (Photo: aajtak.in)
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 01 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

वाराणसी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय अक्सर अपने शैक्षणिक गतिविधियों से ज्यादा छात्र आंदोलनों की वजह से चर्चा में रहता है. इस बार लेकिन छात्र-छात्राओं ने नहीं, बल्कि यहां के पत्रकारिता एवं जनसंप्रेषण विभाग में बीते 19 वर्षों से पढ़ाने वाली एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर शोभना नार्लीकर ने एक आंदोलन शुरू कर दिया है. वो प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रही हैं.

मामले पर बात करने वो बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय पहुंची थी. लेकिन बात न सुने जाने पर पहले तो वही केंद्रीय कार्यालय में ही शिक्षिका शोभना फर्श पर धरने पर बैठ गईं. फिर बाद में केंद्रीय कार्यालय गेट के सामने जमीन पर धरना देना शुरू कर दिया. 

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धरने के पीछे की वजह बताते हुए महिला शिक्षिका ने कहा कि उन्हें जानबूझकर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से दलित होने के चलते परेशान किया जा रहा है. उनका आरोप है क‍ि ड्यूटी करने के बावजूद वर्ष 2013 से लेकर अभी तक उन्हें लीव विदाउट पे दिखाया जा रहा है, जबकि उन्होंने अपनी सर्विस पूरी दी है और तनख्वाह भी उठाई है. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे उनका एकेडमिक रिकॉर्ड खराब हो जाए और वह अपने पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष ना बन पाए.

इसी मामले में कई दिनों से दौड़ रही महिला शिक्षिका का आरोप था कि अब उनके सब्र का बांध टूट गया. जब वह बीएचयू के केंद्रीय कार्यालय के अवकाश विभाग में पहुंचीं और वहां उनकी बात सुनने के बजाय यहां तैनात सेक्शन अफसर सुरेंद्र मिश्रा ने उनसे अपमानजनक तरीके से बात की. फिर वह पहले वही कार्यालय में  फिर बाद में केंद्रीय कार्यालय के गेट पर धरने पर बैठ गईं. उन्‍होंने कहा क‍ि वो तब तक धरने पर बैठी रहेंगी जब तक उनका लीव विदाउट पे हटा नहीं दिया जाता. हालांकि इस बारे में बीएचयू प्रशासन की ओर से कोई भी बोलने को सामने नहीं आया

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वहीं इस मामले में बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया कि यह विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है और अभी तक महिला शिक्षिका की ओर से लिखित में कुछ भी अवगत नहीं कराया गया है. उनके धरने के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है जो कुछ जानकारी हो पाई है वह मीडिया के लोगों से ही हो सकी है.

 

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