Advertisement

B.Ed शिक्षकों को बड़ा झटका, पटना हाईकोर्ट ने बताया अयोग्य, नए सिरे से भर्ती का आदेश

पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्राइमरी टीचर्स के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed) डिग्री धारकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने एनसीटीई की ओर से 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को कानूनी तौर पर गलत करार दिया है.

पटना हाईकोर्ट ने प्राइमरी टीचर के लिए बीएड शिक्षकों को अयोग्य बताया (सांकेतिक तस्वीर) पटना हाईकोर्ट ने प्राइमरी टीचर के लिए बीएड शिक्षकों को अयोग्य बताया (सांकेतिक तस्वीर)
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

B.Ed eligibility for Primary Teacher: बिहार में एक तरफ जहां बीपीएससी की तरफ से दूसरे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा आज से शुरू हो गई है वहीं दूसरी तरफ बीएड पास प्राइमरी टीचर्स की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है. बिहार में बीएड पास कर क्लास 1 से 5 तक में नियुक्त शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने इन्हें अयोग्य करार दिया है. हाईकोर्ट ने बीएड पास उम्मीदवारों को प्राइमरी टीचर्स के लिए योग्य मानने से इनकार कर दिया है जिसके बाद अब करीब 22 हजार शिक्षकों को नौकरी जाने का डर सता रहा है.

Advertisement

दरअसल, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में हुई थी. इस नियुक्ति प्रक्रिया के बाद पटना हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं जिसमें बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी. इस मामले में राज्य सरकार ने एनसीटीई की तरफ से 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एऩसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है लेकिन अब कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए बीएड पास अभ्यर्थियों को झटका दे दिया है.

क्या है पटना हाईकोर्ट का फैसला?
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने बुधवार (06 दिसंबर 2023) को  सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए प्राइमरी टीचर्स के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed) डिग्री धारकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव रॉय की खंडपीठ ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा वाले उम्मीदवार प्राथमिक विद्यालय शिक्षण नौकरियों के लिए पात्र हैं.

Advertisement

कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुद को बंधा हुआ बताया है और राज्य सरकार को इस फैसले का पालन करने के लिए कहा है. पटना हाईकोर्ट ने एनसीटीई की ओर से 28 जून 2018 को जारी अधिसूचना को कानूनी तौर पर गलत करार दिया है. उक्त अधिसूचना में प्राइमरी स्कूलों में पहली से 5वीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए बीएड डिग्री धारकों को योग्य माना गया था. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य के प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्री धारकों की नियुक्ति नहीं की जाएगी.

राज्य सरकार को नए सिरे से नियुक्ति के आदेश
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि छठे चरण में क्लास 1 से 5 तक के लिए जिन बीएड पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई है अब उन्हें नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया का पालन करना होगा. कोर्ट ने सरकार एनसीटीई की तरफ से साल 2010 में जारी मूल अधिसूचना के मुताबिक उम्मीदवारों को नियुक्त करने के लिए कहा है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि जो शिक्षकों के पद खाली हुए हैं उसे कैसे भरा जाए इसपर भी सरकार फैसला ले. 2021 और 2022 में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "ये कहने की जरूरत नहीं है कि की गई नियुक्तियों पर फिर से काम करना होगा."

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement