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क्यों सड़कों से हट नहीं रहे BPSC अभ्यर्थी, क्या हैं उनकी डिमांड्स... पटना में जारी आंदोलन की शुरू से अबतक पूरी कहानी

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा (सीपीई) 2024 का मामला 6 दिसंबर से ही विवादों में है. पटना में बीपीएससी अभ्यर्थियों के आंदोलन को 12 दिन हो चुके हैं. लाठीचार्ज, वाटर कैनन और बीपीएससी के रुख के बाद भी कैंडिडेट्स अपनी मांगों से पीछे नहीं हटे हैं. उनका कहना है कि पूरी परीक्षा को दोबारा आयोजित कराया जाए, अब इस आंदोलन ने और बड़ा रूप ले लिया है. ऐसा क्यों हुआ, छात्रों की क्या मांगें हैं और बीपीएससी का क्या कहना है, आइए समझते हैं.

BPSC Protest Continues in Patna BPSC Protest Continues in Patna
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा को लेकर विवाद दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. छात्रों ने परीक्षा में गड़बड़ी और प्रश्नपत्र में असमानता का आरोप लगाते हुए पूरी परीक्षा को दोबारा कराने की मांग की है. इस परीक्षा में असमानता और गड़बड़ी को लेकर छात्र पिछले 12 दिनों से पटना में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. अब यह आंदोलन आरपार की लड़ाई में बदल चुका है, जहां छात्र अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और बीपीएससी भी उनकी बातों को मानने के लिए तैयार नहीं है.

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लाठीचार्ज के बाद भी डटे हैं छात्र

रविवार रात हुए लाठीचार्ज के बाद छात्रों का आदोलन तेज हो गया है. रविवार को छात्र नीतीश कुमार को ज्ञापन देने के लिए सीएम आवास जाना चाह रहे थे, जिन्हें पुलिस ने रास्ते में रोक दिया. इसके बाद छात्रों और पुलिस की झड़प हो गई. प्रदर्शनकारी छात्र नहीं रुके और वे बैरिकेड्स को तोड़ते हुए आगे बढ़ते रहे. आखिर में जब वे जेपी गोलंबर पहुंचे तो पुलिस ने उनपर पानी की बौछारें कर दीं. इस दौरान पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज भी किया और फिर उन्हें जेपी गोलंबर से उन्हें हटा दिया गया है. 

तीन लाख से ज्यादा छात्रों के भविष्य का सवाल

बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा का विज्ञापन सितंबर 2024 में जारी किया गया था और इसमें 4,83,000 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, जिनमें से 3,25,000 ने परीक्षा दी है. यह परीक्षा 2,031 पदों के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें 200 एसडीएम, 136 डीएसपी और अन्य राजपत्रित अधिकारी पद शामिल थे, जिससे यह पिछले कुछ वर्षों में सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया बनी. प्रारंभिक परीक्षा 13 दिसंबर 2024 को दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच आयोजित की गई, जिसमें अभ्यर्थियों को सामान्य ज्ञान के 150 प्रश्नों के उत्तर देने थे.

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परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से शुरू हुआ विवाद

बीपीएससी ने जब परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया तो उससे छात्रों की बीच यह अफवाह फैली कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू की जाएगी. इसको लेकर छात्रों ने पटना में बीपीएससी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन में सिलेब्रिटी टीचर खान सर और रहमान सर भी जुड़े और फिर दो दिन बाद आयोग की सफाई आई कि परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन कभी था ही नहीं. आयोग ने एक आधिकारिक पत्र जारी कर कहा कि नॉर्मलाइजेशन की खबरें भ्रामक हैं और परीक्षा एक ही प्रश्नपत्र सेट से आयोजित की जाएगी. इन दो दिनों पर छात्रों पर लाठीचार्ज हो चुका था, ऐसे में बीपीएससी पर आरोप लगा कि अगर वह समय पर बता देते तो छात्रों के साथ ऐसा नहीं होता, इसको लेकर आयोग की तरफ से कहा गया कि लाठीचार्ज का फैसला पुलिस प्रशासन का था उनका नहीं.

बापू परीक्षा केंद्र पर छात्रों ने किया हंगामा

इसके बाद नॉर्मलाइजेशन का विवाद खत्म हुआ और छात्रों ने अपना आंदोलन रोक दिया और 13 दिसंबर को परीक्षा आयोजित कराई गई. इस एग्जाम में लाखों कैंडिडेट्स ने भाग लिया. लेकिन इसी बीच एक परीक्षा सेंटर से खबर आई कि प्रश्नपत्र में गड़बड़ी पाई गई है. यह एग्जाम सेंटर था बापू परीक्षा केंद्र जो बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सबसे बड़ा एग्जाम सेंटर माना जाता है. अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि पेपर की सील पहले से खुली हुई थी, पेपर बांटने में आधे घंटे की देरी की गई और पेपर लीक किया गया. परीक्षा के बाद कुछ अभ्यर्थी विरोध में प्रश्न पत्र के साथ OMR शीट लेकर बाहर आ गए और हंगामा शुरू कर दिया. हालांकि हंगामे की सूचना मिलते ही पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली.

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पटना के डीएम ने अभ्यर्थी को जड़ा थप्पड़

इसी एग्जाम सेंटर पर एक अभ्यर्थी को डीएम ने थप्पड़ मारा था जिसका वीड‍ियो काफी वायरल हुआ था. डीएम का कहना था कि एक सेट में कम प्रश्न पत्र आने की वजह से अलग-अलग एग्जाम रूम से पेपर मंगवाए गए जिसकी वजह से अभ्यर्थियों में भ्रम फैला. जिन्हें देरी से पेपर दिया गया, उन्हें उतना ही अतिरिक्त समय भी दिया गया. परीक्षा केंद्र के बाहर हंगामे के दौरान डीएम ने एक अभ्यर्थी को थप्पड़ भी जड़ दिया. इसके बाद पटना पुलिस ने आधिकारिक बयान जारी कर अज्ञात लोगों पर अलग-अलग धाराओं में एफआईआर दर्ज करने की जानकारी दी.

फिर शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन

छात्रों ने बापू सेंटर पर परीक्षा में अनियमितताओं, प्रश्न पत्र के स्तरहीन होने और कोचिंग संस्थानों के मॉडल पेपर से सवालों के मेल खाने का आरोप लगाया. परीक्षार्थियों ने पूरी परीक्षा रद्द कर इसे दोबारा आयोजित करने की मांग की. छात्रों का आरोप है कि कई केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा और जैमर काम नहीं कर रहे थे और कुछ केंद्रों पर प्रश्नपत्र देरी से वितरित किए गए. इसके बाद बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा पटना के बापू सेंटर पर रद्द की गई 70वीं संयुक्त प्रतियोगी प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 4 जनवरी 2025 को करने का ऐलान किया. इस परीक्षा के लिए उन सभी अभ्यर्थियों को नया एडमिट कार्ड जारी किया गया जिन्होंने पहले परीक्षा केंद्र पर उपस्थित होकर परीक्षा दी थी. हॉल टिकट 27 दिसंबर 2024 को जारी की गई. हालांकि बीपीएससी अभ्यर्थी आयोग के इस फैसले से संतुष्ट नहीं थे.

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छात्रों की मांग- पूरी परीक्षा दोबारा कराई जाए

बापू परीक्षा परिसर के छात्रों की 4 जनवरी 2025 को फिर से परीक्षा होनी है. इसका छात्रों द्वारा विरोध किया जा रहा है और उनकी मांग है कि सिर्फ एक सेंटर पर दोबारा परीक्षा कराने से इसकी निष्पक्षता प्रभावित होगी इसलिए पूरी परीक्षा फिर से कराई जाए. हालांकि बीपीएससी ने ऐसा कराने से इनकार कर दिया है. इसे लेकर पटना के गर्दनी बाग इलाके में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. 

छात्र ने लगाए ये आरोप

छात्रों का कहना है कि अन्य सेंटर्स पर भी कई अनियमितताएं थीं. कुछ का कहना है कि किसी सेंटर पर सीसीटीवी कैमरे नहीं चल रहे थे. वहीं कुछ छात्रों का आरोप है कि कुछ कोचिंग संस्थानों के मॉडल प्रश्न पत्रों और बीपीएससी परीक्षा के प्रश्नपत्र में काफी समानताएं थीं साथ ही कुछ का कहना है कि पुलिस भर्ती परीक्षा के स्तर का प्रश्न पत्र बीपीएससी की परीक्षा में दिया गया था. हालांकि बीपीएससी ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि अगर परीक्षा आसान थी तो कटऑफ ज्यादा जाएगी और इसमें चिंतित होने की जरूरत नहीं हैं. हालांकि छात्र मानने को तैयार नहीं हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

छात्रों ने किया चक्का जाम का ऐलान

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बीपीएससी 70वीं परीक्षा को लेकर चल रहे आंदोलन में जन स्वराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर भी शामिल हुए, लेकिन उनके प्रदर्शन स्थल से लौट जाने के बाद छात्रों का गुस्सा और भी बढ़ गया. छात्र बीपीएससी परीक्षा को दोबारा कराने की मांग कर रहे थे. प्रशांत किशोर ने शुरू में मार्च का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में वह प्रदर्शन स्थल से चले गए, जिससे कई छात्र नाराज हो गए और उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे. 

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सीएम आवास तक पहुंचने से रोकने के लिए लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया, जिससे कई छात्र घायल हो गए. बावजूद इसके, छात्र अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और उनका कहना है कि बीपीएससी की 70वीं परीक्षा को पूरी तरह से रद्द किया जाए. छात्रों के इस आंदोलन में कई विपक्षी दलों के नेता भी उनके समर्थन में आए हैं. इसके अतिरिक्त, छात्र संगठनों ने बिहार में चक्का जाम और बिहार बंद का ऐलान किया है, जिससे आंदोलन और तेज हो गया है.

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