
BPSC 67th Result Success Story: गया जिले के परैया प्रखंड की रहने वाली स्मिता वर्मा बीपीएससी 67वीं परीक्षा पास करके उन उम्मीदवारों को प्रेरण दी है, जो नौकरी के साथ पढ़ाई नहीं कर पाते. स्मिता वर्मा ने बिहार पुलिस में दारोगा के पद पर रहते हुए BPSC 67वीं में 709 रैंक लाकर सफलता हासिल की है. इस सफलता के बाद स्मिता वर्मा के पूरे परिवार में जश्न का मौहाल है, घर के सभी लोग स्मिता को मिठाई खिलाकर बधाई दे रहे हैं.
दारोगा पद पर रहते हुए की बीपीएससी एग्जाम की तैयारी
स्मिता वर्मा ने बताया की BPSC 67वीं में सफलता हासिल करने के बाद बहुत अच्छा लग रहा है और इस सफलता के पीछे सभी परिवार वालों का हाथ है, जो आज मैंने यह सफलता हासिल की है. वे कहती हैं कि हर व्यक्ति की यह चाहत होती है तरक्की करे और लोगों के साथ जुड़े और समाज की सेवा करे. दारोगा के पद पर कार्य करते हुए पढाई करना और BPSC की तैयारी करना मुश्किल तो होता है मगर चाह लेने के बाद कुछ भी असंभव नहीं है.
'बहु-बेटी को पढ़ाइये, वह बेटों से ज्यादा नाम करेंगी'
स्मिता बताती हैं कि घर में सभी लोगों का स्पोट था, सास-ससुर और पति का बहुत स्पोट मिला है. घर के लोग ही हौसला बढ़ाते रहे, जिसकी वजह से किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई. अगर कोई दिक्कत आई तो भी परिवार के स्पोट से सब आसान हो गया है. मुझसे ज्यादा मेरे परिवार के लोग खुश हैं. मैं सभी महिलाओं से यह कहना चाहती हूं कि समय लगता है मगर मेहनत का फल मीठा होता है. अपनी बहु-बेटी को पढ़ाइये, वह बेटों से ज्यादा नाम करेंगी, अगर आप अपनी बहु बेटी से सिर्फ घर का काम कराएंगे तो ऐसा मौका नहीं मिलेगा.
ड्यूटी के साथ की पढ़ाई
स्मिता ने बताया कि मैंने ड्यूटी के दौरान एक टारगेट बना लिया था कि मुझे कितना पढ़ना है. हालांकि घंटे के हिसाब से पढ़ाई नहीं की. कम से कम चार से पांच घंटे पढ़ाई की. स्मिता की स्कूलिंग सरकारी स्कूल हुई है. वह गया के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ी हैं. बीपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली गई थीं लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जल्द ही वापस घर लौट आईं.
लोगों ने यूपी की ज्योति मौर्या का भी उदाहरण दिया
स्मिता वर्मा के पति आकाश दयाल ने बताया कि आज हमें बहुत खुशी हो रही है और आज बहुत गर्व महसूस कर रहे है कि जो हमने सोचा था, वह पूरा हो गया है. उन्होंने कहा कि जब हमारी शादी हुई तब यह बीटेक कर रही थीं और उसे छोड़कर तैयारी के लिए दिल्ली गईं. इनका यह पहला प्रयास था, दारोगा पद पर भी पहले ही प्रयास में चयन हुआ था. कभी कभी कहती थीं कि मेन्स बहुत मुश्किल है, कैसे होगा तो हमलोग स्पोर्ट करते थे. आकाश कहते हैं कि इस दौरान कुछ लोगों ने मुझे यूपी की एसडीएम ज्योति मौर्य का उदाहरण भी दिया लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी, मुझे मेरी पत्नी की सफलता पर पूरा विश्वास था.