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पेट्रोल की जगह पानी से दौड़ेगी बाइक, BSc के छात्रों का दावा, तैयार की खास किट

12वीं पास करने के बाद यश ने BSc में एडमिशन लिया. लॉकडाउन के दौरान यश और उसके साथ पढ़ने वाले चार दोस्तों ने मिलकर ऐसी किट बनाने पर काम किया जिससे पानी की मदद से बाइक को दौड़ाया जा सके. 

Yash Jayle and Team Yash Jayle and Team
पंकज खेळकर
  • नई दिल्‍ली,
  • 31 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग कर ऐसी किट तैयार करने का दावा किया गया है, जिसकी मदद से मात्र 30 रुपए के खर्च में बाइक 100 किलोमीटर दौड़ सकती है. ये दावा किया है अकोला में BSc की पढ़ाई कर रहे पांच छात्रों ने. लॉकडाउन का उपयोग इन छात्रों ने इस किट को तैयार करने में किया.  

छात्र यश जायले ने आजतक को बताया कि जब वो दसवीं कक्षा में पढ़ते थे तो अपने पिता की बाइक तब तक दौड़ाते थे, जब तक पेट्रोल खत्म नहीं हो जाता था. इस वजह से उन्‍हें घर पर बहुत डांट सुननी पड़ती थी और वे सोचते थे कि काश बाइक पेट्रोल की जगह पानी से ही दौड़ती. 12वीं पास करने के बाद यश ने BSc में एडमिशन लिया. लॉकडाउन के दौरान यश और उसके साथ पढ़ने वाले चार दोस्तों ने मिलकर ऐसी किट बनाने पर काम किया जिससे पानी की मदद से बाइक को दौड़ाया जा सके. 

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इन चार छात्रों में मंदार कल्ले, महेश घाटे, शांतनु झकार्डे और अभिजीत डामरे शामिल हैं. किट के इस्तेमाल के लिए उन्होंने पुरानी बाइक और इंजन को मॉडिफाई किया. खारे पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैस को अलग कर उसे पिस्टन के कम्बस्चन (दहन) के लिए इस्तेमाल किया.  

यश का दावा है कि इस विधि से बाइक दौड़ाने से किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता. अपने सपने को पूरा करने के लिए इस रिसर्च पर यश की ओर से डेढ़ लाख रुपए खर्च किए गए हैं.  यश का कहना है कि अगर उन्हें सरकार से मदद या अनुदान मिलता है तो वो एडवांस किट बना सकते हैं जिससे लोगों को इस तकनीक से चलने वाली बाइक की किट कम कीमत पर मिल सकेगी.

यश और उसके साथियों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल के मुकाबले इस तरह की बाइक से अधिक सुरक्षित सफर किया जा सकता है. पेट्रोल-डीजल के इस्तेमाल से पैदा होने वाली कार्बन गैस ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारण है.  

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पेटेंट के लिए किया आवेदन  

यश की ओर से अपनी किट के  डिजाइन का पेटेंट हासिल करने के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन एंड ट्रेड मार्क के पास आवेदन किया गया है.  यश के पिता डॉ श्रीकांत जायले के मुताबिक, इस तकनीक को मान्यता दिलाने के लिए सरकार के पास आवेदन की तैयारी की जा रही है.  

RTO से अप्रूवल के लिए पहले यह करना जरूरी 

यश जायले और उसके साथियों के दावे के संबंध में आजतक ने अकोला के सहायक परिवहन अधिकारी गोपाल वरोकर से बात की. उन्होंने कहा कि इस तरह की किट से चलने वाली बाइक का आरटीओ से RTO करना है तो पहले इस बाइक का एक मॉडल रिसर्च के लिए ARAI  (ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया), पुणे और VRDE (व्हीक्लस रिसर्च डेवेलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट), अहमदनगर को देना होगा. VRDE, डिफेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की लैब है. इन दोनों जगहों से हरी झंडी मिलने के बाद ही RTO से इस तरह की बाइक को अप्रूवल मिल सकता है.  

 

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