
सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग खारिज कर दी है और यह साफ कर दिया है कि नीट-यूजी रद्द नहीं होगी. कोर्ट ने यह भी माना कि झारखंड के हजारीबाग और बिहार के पटना में पेपर लीक हुआ, लेकिन इसका पूरे रिजल्ट पर असर नहीं है. कोर्ट का कहना था कि हजारीबाग और पटना में पेपर लीक होने से 155 छात्रों को फायदा मिला है. फिलहाल, कोर्ट के फैसले के बाद इस पूरे विवाद का पटाक्षेप हो गया है. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में कैसे एक सीबीआई अफसर ने पटना-हजारीबाग में NEET पेपर के बंदरबांट की पूरी कहानी बताई और जांच एजेंसी ने दावा किया कि ये गड़बड़ी सिर्फ स्थानीय स्तर तक ही सीमित रही.
दरअसल, नीट-यूजी पेपर लीक कांड मामले में केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे. सीबीआई ने इस पूरे मामले के कनेक्शन खंगाले और आपस में लिंक जोड़े. उसके बाद संदिग्धों को हिरासत में लिया. पूछताछ में बड़े स्तर पर गड़बड़ियों की जानकारी मिली. ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां कीं. पटना से लेकर रांची तक सीबीआई की टीमें डेरा डाले रहीं और सबूत जुटाती रहीं ताकि कोर्ट में यह पुख्ता तौर पर साबित किया जा सके कि इस पूरे बंटरबांट में कौन-कौन किरदार है और कैसे पेपरलीक की पूरी साजिश रची गई. पेपर कैसे लीक हुआ? सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को पूरी जानकारी दी. वे कोर्ट के सामने पेश हुए और उन घटनाओं के बारे में बताया कि कैसे जांच एजेंसी के अनुसार नीट-यूजी परीक्षा में पेपर लीक को पटना और हजारीबाग में अंजाम दिया गया.
सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक ने बेंच को बताया कि कैसे जांच एजेंसी ने पटना में जले हुए प्रश्न पत्र के टुकड़े को हासिल किया और पेपर पर यूनिक सीरियल नंबर के आधार पर पाया कि ये पेपर हजारीबाग के एक स्टूडेंट का था. जानिए सीबीआई अफसर ने सुप्रीम कोर्ट में और क्या-क्या बताया है...
- आधे जले कागज पर एक सीरियल नंबर लिखा था. ये एक यूनिक नंबर था, जो NTA के मुताबिक ओएसिस स्कूल का ही था.
- सीबीआई हजारीबाग के ओएसिस स्कूल गई और उनसे पूछा कि ये पेपर किस स्टूडेंट्स को दिया गया था. एजेंसी को जानकारी दी गई कि परीक्षा के दौरान ये पेपर 'वास्तविक कैंडिडेंट' (लड़की) को दिया गया था.
- हालांकि ये वो पेपर है जिसकी पहले फोटो खींची गई और फिर उसे वापस लिफाफे में रखा गया और उसके बाद यह सामान्य रूप से वास्तविक कैंडिडेट को परीक्षा में दे दिया गया.
- अभ्यर्थी लड़की ने देखा कि प्रश्न पत्र की सील टूटी हुई है, लेकिन उसने कक्ष निरीक्षक से शिकायत नहीं की, बल्कि सीबीआई को बताया कि उसे पेपर इसी तरह मिला था. सीबीआई के मुताबिक इससे साबित होता है कि पेपर के साथ छेड़छाड़ की गई थी.
-जांच एजेंसी को पटना के एक स्कूल में कागज के टुकड़े मिले. इस केंद्र पर करीब 25 स्टूडेंट्स एग्जाम देने आए थे. इन स्टूडेंट्स को सॉल्व पेपर दिया गया था.
- मूल पेपर नहीं निकाला गया, उसे वापस रख लिया गया, लेकिन उसका प्रिंटआउट लिया गया और उसे स्टूडेंट्स के बीच बांट दिया गया. 2-3 स्टूडेंट्स के बीच एक पेपर दिया गया. सभी ने बैठकर इसे याद किया और फिर सारे प्रिंटआउट पेपर को एक साथ रखा और उसे जला दिया.
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- अभ्यर्थी लड़की ओएसिस स्कूल में थी, जिसका केंद्र हजारीबाग था और यह सीरियल नंबर ओएसिस स्कूल के सेंटर को आवंटित किया गया था. चूंकि परीक्षा में 24 लाख स्टूडेंट्स थे. इसलिए एनटीए ने 24 लाख यूनिक सीरियल नंबर दिए. इसलिए देश में किसी भी दो उम्मीदवारों को समान सीरियल नंबर नहीं मिलेंगे.
- पूरी गड़बड़ी हजारीबाग के ओएसिस स्कूल में हुई, लेकिन इसका लिंक पटना से जुड़ा है.
- दोनों जगहों पर प्रश्नपत्र हल किए गए. अभ्यर्थियों के 2 ग्रुप थे. एक ग्रुप हजारीबाग में था, जहां ओएसिस स्कूल की अन्य मंजिल पर प्रश्न पत्र को सॉल्व किया जा रहा था.
- पहली मंजिल पर महिला अभ्यर्थी, दूसरी मंजिल पर पुरुष अभ्यर्थी, तीसरी मंजिल पर 7-8 सॉल्वर थे. ना तो अभ्यर्थियों और ना ही सॉल्वरों को अपना मोबाइल उस स्थान पर ले जाने की अनुमति थी.
- पेपर सॉल्व होने के बाद उसकी डिजिटल इमेज ली गई और उसे पटना भेजा गया, जहां गैंग का एक सदस्य मौजूद था.
- प्रश्नपत्र वाले पैकेट पर पर्यवेक्षक और केंद्र अधीक्षक को हस्ताक्षर करके यह बताना होता है कि जब उन्होंने पैकेट खोला तो उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई.
- इस पूरी गड़बड़ी में भले ही प्रश्न पत्र से छेड़छाड़ हुई थी, जहां पैकेट को एक तरफ से जलाया गया था और एक कागज को हटाकर फिर से ठीक किया गया था. फिर भी केंद्र अधीक्षक और सिटी कोऑर्डिनेटर ने हस्ताक्षर किए, वे भी साजिश का हिस्सा थे. एक और बिचौलिया है जो गिरोह और छात्रों के बीच पुल का काम कर रहा था.
- ये पूरी साजिश लगभग 2-3 महीने पहले रची गई थी. क्योंकि उन्हें एक ऐसे सेंटर को चिह्नित करना था, जो इस पूरे प्लान का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो जाए.
- पैसा एक किश्त में एकत्र नहीं किया जाता है. शुरू में एक टोकन अग्रिम लिया जाता है, इसलिए अभ्यर्थी को उस विशेष स्थान तक पहुंचने की अनुमति होती है, जहां वे हल किए गए पेपर वितरित करने जा रहे हैं.
- एजेंसी ने अब तक जो पाया है, वो यह है कि हजारीबाग में दो जगहें थीं, जहां प्रश्न पत्रों को हल करने के बाद शेयर किया गया था. पटना में एक जगह थी जहां इसे हल करने के बाद शेयर किया गया था.
- पटना के अंदर उस ग्रुप में 6 महिला कैंडिडेट्स का एक सब ग्रुप था जो 4 तारीख को ही आया था, वे लड़के और लड़कियों को एक ही छत के नीचे नहीं रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उन्हें रातभर के लिए एक आरोपी के घर पर रखा था.
- अगले दिन जब यह प्रश्न पत्र एक बार चोरी हो गया तो फोटो खींची गई. यह सॉल्वरों के पास आया. उन्होंने इसे हल किया. फिर एक स्कैन की गई कॉपी तैयार की गई, जिसे वॉट्सएप के जरिए पटना भेजा गया और प्रत्येक सेट की लगभग 15 प्रतियों का प्रिंटआउट लिया गया.
- बॉटनी-जियोलॉजी का सेट पहली बार करीब 10:15 बजे आया. फिजिक्स-केमिस्ट्री का सेट करीब 10:30-10:40 बजे आया. उन्होंने प्रिंटआउट लिया और अभ्यर्थियों के 2-3 ग्रुप बनाए और एक कॉपी दी. चूंकि लड़कियां दूसरे घर में थीं, इसलिए एक कॉपी उस घर में भेजी गई.
- कुछ गैजेट्स आरोपियों ने नष्ट कर दिए. कुछ को सीबीआई ने बरामद कर लिया. वे एक ही ग्रुप के थे, लेकिन यह एफएसएल रिपोर्ट से पता चलेगा कि क्या इसके लिए भी उन्हीं गैजेट्स का इस्तेमाल किया गया था. पूछताछ के अनुसार, मुख्य कोर ग्रुप ने अपराध के बाद मोबाइल फोन नष्ट कर दिए.
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- सीबीआई के पास गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी का सीसीटीवी फुटेज है कि वो ओएसिस सेंटर के कंट्रोल रूम तक पहुंच गया था. सीसीटीवी के अनुसार, ये फुटेज 5 तारीख की सुबह का है. मुख्य आरोपी के कंट्रोल रूम में प्रवेश करने और उस कमरे से बाहर निकलने का फुटेज है जहां ट्रंक रखे गए थे.
- कंट्रोल रूम में 2 दरवाजे हैं. सामने वाले दरवाजे पर सभी के सामने ताला लगा दिया गया था और चाबी केंद्र अधीक्षक के पास थी, लेकिन पीछे के दरवाजे के अंदर के बोल्ट को साजिश के तहत अधीक्षक और सिटी कोऑर्डिनेटर ने जानबूझकर खुला रखा था.
- उक्त आरोपी स्टाफ रूम में बैठा था, जिसका दरवाजा कंट्रोल रूम के पिछले दरवाजे से सटा हुआ है. वो मुश्किल से दो कदम की दूरी पर है. लगभग 7:53 बजे दरवाजा बंद कर दिया गया. सभी लोग परीक्षा हॉल आदि का निरीक्षण करने चले गए.
- प्रश्न पत्रों की पैकिंग 7 परतों में होती है. अलग-अलग प्रश्न पत्र पैकेट में आते हैं, जिन्हें एक ट्रंक में रखा जाता है, जिसमें 2 ताले होते हैं, जिन्हें फिर से एक बॉक्स में रख दिया.
- आरोपी के पास एक संपूर्ण टूल किट बैग था, जिसे साजिश में शामिल केंद्र अधीक्षक ने पहले से ही कंट्रोल रूम में रखा था. आरोपी ने उसे 2 दिन पहले टूल किट दी थी.
जांच एजेंसी के दावे के आधार पर केंद्र सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में जोरदार दलील दीं. सरकार का कहना था कि जो पेपर लीक हुआ है, वो स्थानीय स्तर तक ही सीमित था. इसका फायदा जिन लोगों ने उठाया है, वो भी मेरिट लिस्ट में कहीं नहीं आए हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जांच के बाद हमें जो जले हुए प्रश्नपत्र मिले, उनमें छात्रों का यूनिक कोड था. हमारे पास ओएसिस स्कूल की सीसीटीवी फुटेज है. सुबह 8:02 बजे एक व्यक्ति ट्रंक में प्रवेश करता है. वो प्रश्नपत्र सॉल्वर को देता है. वहां 8 सॉल्वर मौजूद थे. प्रत्येक को 25 प्रश्न मिलते हैं. वे मोबाइल नहीं रखते. क्योंकि वे नहीं चाहते कि यह उन लोगों तक पहुंचे जिन्होंने पैसे का भुगतान नहीं किया है. सरकार का कहना था कि एक प्रश्न पत्र का जला हुआ टुकड़ा मिला औ ये प्रश्न पत्र गर्ल कैंडिडेट का था. उस लड़की के प्रश्न पत्र के साथ छेड़छाड़ की गई थी. उसने बाद में शिकायत की थी कि उसके प्रश्नपत्र के साथ छेड़छाड़ की गई है.
जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसे चली सुनवाई...
- CJI: अगर आप लाइटर से किसी प्लास्टिक को दोबारा सील करेंगे तो जाहिर है उस पर जलने के निशान होंगे. साथ ही जब आरोपियों ने कई महीने पहले किसी स्तर पर साजिश रची थी तो उन्होंने इसे इतने छोटे एरिया पर कैसे फोकस किया? मानवीय स्वभाव ज्यादा लाभ कमाने का ही होता है. हम जानते हैं कि पेपर एक जगह लीक हुआ था. इसकी शुरुआत हजारीबाग से हुई थी. वॉट्सएप मैसेज पटना भेजा गया था. हम इस बात को लेकर अभी भी श्योर नहीं हैं कि लीक का समय क्या था और क्या कोई फोरेंसिक डेटा है जो यह दिखा सके कि सभी मैसेज कहां भेजे गए थे?
CJI: क्या कोई मोबाइल जब्त किया गया है?
NTA: हमें उनकी फोरेंसिक जांच करनी होगी. एफएसएल रिपोर्ट से पता चलेगा कि वो पटना गया था या नहीं.
CJI: कल मैं कहीं पढ़ रहा था कि मोबाइल किसी नदी में फेंके गए थे.
SG: हां, हमने उसे बरामद कर लिया है.
CJI: पहले हमने सोचा था कि सॉल्वर को 45 मिनट दिए गए थे. लेकिन यहां यह सुबह 8:30 बजे सॉल्वर के साथ हो सकता है.
NTA: सॉल्वर का बयान है कि उन्हें सुबह 9:24 बजे पेपर भेजे गए थे.
CJI: लेकिन मुख्य साजिशकर्ता का फोन नहीं मिल पाया है, जिससे इसकी पुष्टि हो सके.
CJI: कंट्रोल रूम का ताला किसके कब्जे में था?
NTA: वहां दो दरवाजे थे. एक दरवाजा सबके सामने बंद कर दिया गया और चाबी केंद्र अधीक्षक को दे दी गई. पीछे का दरवाजा जानबूझकर खुला रखा गया. सुबह 7:53 बजे मुख्य दरवाजा बंद कर दिया गया था और सुबह 8:02 बजे व्यक्ति पीछे के दरवाजे से अंदर चला गया और वो लोग सुबह 9:23 बजे कंट्रोल रूम से चले गए.
CJI: इसका मतलब वो लोग डेढ़ घंटे तक अंदर रहे.
NTA: परीक्षा के पेपर सात परतों में रखे गए थे.
जस्टिस पारदीवाला ने कंट्रोल रूम के आसपास की सुरक्षा के बारे में पूछा?
एसजी मेहता: अदालत के सामने सवाल यह है कि बिना ठोस सबूत के क्या सिर्फ आशंका के आधार पर 23 लाख छात्रों को एक ही रंग में रंगने के लिए बाध्य करेंगे?
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याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र हुड्डा: मुख्य आरोपी संजीव मुखिया पर गैंगस्टर का आरोप भी है. वो अभी तक नहीं पकड़ा जा सका है. वो अन्य राज्यों में भी पेपर लीक में शामिल था. पेपर लीक हुआ है. वॉट्सएप के माध्यम से और विभिन्न राज्यों और सेंटर पर काम करने वाले गिरोह का कहना है कि लाभार्थी हजारीबाग और पटना में ही हैं क्योंकि आरोपियों के बयान में ऐसा कहा गया है. सीबीआई नौसिखिया एजेंसी नहीं है. वो ऐसे बयान कैसे स्वीकार कर लेगी कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे नहीं हुआ है. किस आत्मविश्वास से एसजी कह रहे हैं कि यह लोकल मामला है. अगर कल संजीव मुखिया को गिरफ्तार कर लिया जाता है और वो कहता है कि उसने इसे 200 और स्थानों पर भेजा है तो क्या अदालत दोबारा जांच ना करने का आदेश देगी?
CJI: लेकिन क्या अदालत दोबारा जांच का आदेश दे सकती है? क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है. हो सकता है कि लीक सिर्फ दो स्थानों तक सीमित ना हो. हम 23 लाख छात्रों का मैटर देख रहे हैं. लेकिन साथ ही हम आज किसी भी हद तक प्रथम दृष्टया यह नहीं कह सकते कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे नहीं हुआ है.
हुड्डा: पूरी दुनिया देख रही है कि पेपर लीक हो गया है. मोबाइल नहीं मिले हैं. परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है, लेकिन इस अदालत में सिर्फ आंकड़े रखे जा रहे हैं. NEET मल्टी ऑर्गन फैल्योर की स्थिति से गुजर रहा है. इसे जाना ही होगा.
सभी परीक्षार्थियों के पास आधार कार्ड होना चाहिए था. परीक्षा केंद्र बदलने के लिए आधार क्यों नहीं मांगा गया. इस पूरी परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है और इसे दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए.
SC बेंच: NEET को लेकर कोई एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है क्या?
SG: सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. इसरो चेयरमैन के एस राधाकृष्णन के नेतृत्व में.