
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की जो अलग जगाई थी. वो भी सरकारी स्कूलों में आकर तकरीबन ध्वस्त नजर आती है. सीएजी रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों में बच्चों को एक तरफ इस अभियान के बारे में बताया जाता है, दूसरी तरफ इन स्कूलों में गंदगी का ढेर उनके लिए असल सच्चाई है.
नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने बुधवार को संसद में पेश की गई ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि 15 राज्यों के 75 फीसदी सरकारी स्कूलों के टायलेट में साफ-सफाई के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं.
इतना ही नहीं केंद्रीय सरकारी कंपनियों (पीएसयू) की तरफ से स्कूलों में बनवाए गए 11 फीसदी टायलेट रिपोर्ट में अपनी जगह से ‘लापता’ मिले. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इनका निर्माण केवल कागजों में ही हुआ. वहीं 30 फीसदी टॉयलेट संचालित ही नहीं किए जा रहे.
कैग ने इस साल 15 राज्यों के 2048 स्कूलों के उन 2695 टॉयलेट का ऑडिट किया. बता दें कि ये टॉयलेट 2014 में शिक्षा मंत्रालय की अपील पर चार मंत्रालयों की सरकारी कंपनियों की तरफ से निर्मित कराए गए 1,30,703 टॉयलेट में से एक थे. इन टॉयलेट का निर्माण 2162 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया था.
रिपोर्ट में सामने आया है कि सर्वे के दौरान 2326 स्कूली टॉयलेट में से 1812 गंदगी का ढेर मिला. दिन में कम से कम एक बार सफाई के मानक के विपरीत इन 1812 में से 715 टॉयलेट बिल्कुल भी साफ नहीं किए जाते, जबकि 1097 टॉयलेट में सप्ताह में दो बार से लेकर महीने में एक बार ही सफाई की जाती है.
रिपोर्ट के एक हिस्से में बताया गया है कि 200 टॉयलेट सिर्फ कागजों में ही बनाए गए, जबकि 86 का आंशिक निर्माण किया गया. वहीं ऐसे 83 टॉयलेट मिले, जिनका निर्माण पहले ही किसी अन्य योजना में हो चुका था.
साझा टॉयलेट कर रहे इस्तेमाल
बता दें कि साल 2014 में जब ये अभियान चलाया गया तब इसमें कहा गया था कि स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए अलग शौचालय होंगे. अब कैग रिपोर्ट कुछ और ही कह रही है, इसके अनुसार 99 स्कूलों में कोई टॉयलेट नहीं चल रहा तो 436 स्कूल में एक ही टॉयलेट दोनों ही इस्तेमाल कर रहे हैं. इस तरह से 27 फीसदी स्कूलों में अब भी लड़के-लड़कियों के अलग-अलग टॉयलेट नहीं हैं.
पानी की सुविधा भी नहीं
कैग के सर्वे में सामने आया है कि 72 फीसदी यानी 1679 स्कूलों में टॉयलेट के भीतर पानी तक नहीं है. यहां असल में पानी का कनेक्शन ही नहीं है ऐसे में भला सफाई की बात किस तरह जमीन पर उतर सकती है. वहीं 55 फीसदी यानी 1279 स्कूलों में हाथ धोने के लिए साबुन या पानी की अलग से सुविधा तक नहीं है. कैग के इस सर्वे से स्वच्छ भारत अभियान की जमीनी सच्चाई सामने आई है.