Advertisement

इंस्टा पोस्ट नकली हैं... कनाडा में एक छत के लिए भटक रहे भारतीय छात्रों का छलका दर्द

Canada vs india: भारत से अभी-अभी कनाडा पहुंचे छात्र कंधे पर बैग उठाए ओंटारियो इलाके में घूमते देखे जा सकते हैं. ये स्टूडेंट्स यहां के रिहाइशी इलाके में अजनबी विदेश‍ियों से किराये पर ठिकाना मांग रहे हैं. वहीं, कनाडाई इसे बिल्कुल पसंद नहीं करते.

कनाडा में कई प्राइवेट कॉलेज बिना हॉस्टल एडमिशन का खुला ऑफर देते हैं (सांकेतिक तस्वीर) कनाडा में कई प्राइवेट कॉलेज बिना हॉस्टल एडमिशन का खुला ऑफर देते हैं (सांकेतिक तस्वीर)
युद्धजीत शंकर दास
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:39 PM IST

कनाडा में सिर पर बिना छत यहां भटक रहे हताश छात्रों को ढूढ़ने से भी किराये पर घर नहीं मिल रहा. ओंटारियो के नॉर्थ बे में कैनाडोर कॉलेज में शामिल होने वाले लगभग 30 छात्र इसी दिक्कत से जूझते रहे. इनमें से ज्यादातर भारत से थे. हारकर सभी ने अपने कॉलेज के फर्स्ट वीक में कैंपस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. फिर भी सितंबर में उन्हें रहने की कोई सुविधा नहीं दी गई. छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद संस्थान ने इंडियन छात्रों को केवल दो दिनों के लिए आवास दिया, लेकिन इसके बाद फिर वो बेघर हो गए. 

Advertisement

सच पूछ‍िए तो भारतीयों के लिए कनाडाई सपना एक बुरे सपने में बदल रहा है. यहां पहुंचने वाले ज्यादातर 20 साल के छात्र हैं जो रहने की जगह न मिलने से तमाम परेशानियों से जूझ रहे हैं. यही नहीं अब कनाडा में पार्ट टाइम नौकरियों का भी संकट है. दूर देश में अपने घर-परिवार से हजारों किलोमीटर दूर छात्र ऐसी ही दिक्कतों से जूझ रहे हैं. 

लगातार बढ़ रही विदेशी छात्रों की संख्या 
साल 2023 की बात करें तो कनाडा में अब तक 900,000 अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं ही, अब इस साल के आख‍िर तक 500,000 स्थायी निवासी और बढ़ सकते हैं. कनाडाई सरकार द्वारा अप्रवासियों को लाने का एक प्रमुख कारण आर्थिक विकास और लचीलेपन को बढ़ावा देना है. हालांकि, यह अभियान ऐसे समय में आया है जब कनाडा आवास संकट का सामना कर रहा है. वहां घरों का निर्माण बेहद कम है और रिकॉर्ड-उच्च ब्याज दरों ने नई आवास इकाइयों को आम कनाडाई और नए अप्रवासियों की पहुंच से बाहर कर दिया है. 

Advertisement

हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों आते हैं? 
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2030 तक कनाडा में 3,45,000 हाउसिंग यूनिट्स कम होने का अनुमान है. यहां घर का किराया भी आसमान छू रहा है, जिससे छात्रों को तंग बेसमेंट सेटअप तक में रहना पड़ रहा है जहां उनकी सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं है. अब आप सोच रहे होंगे कि हर साल इतने सारे छात्र कनाडा क्यों आते हैं. सच पूछिए तो इसका कारण सिर्फ शिक्षा नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्टूडेंट वीज़ा कनाडा जाने के लिए एक आसान रास्ता है, और फिर इसके बाद स्थायी निवास और नागरिकता पाने के रास्ते भी खुल जाते हैं. स्टूडेंट वीज़ा के जरिये विदेशी नागरिक कनाडा में आसानी से एंट्री कर सकते हैं. कनाडा में विदेशी छात्रों में बड़ी संख्या भारतीयों की है. 

40 प्रतिशत इंटनेशनल छात्र इंडिया से 
कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में कुल 5.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से 2.26 लाख छात्र इंडिया से थे. ये कुल छात्रों का 40 प्रतिशत है. इससे पहले से 3.2 लाख भारतीय छात्र वीजा पर कनाडा में रह रहे थे.  इनमें से बड़ी संख्या में छात्र मोटल या बेसमेंट में रह रहे हैं. द कैनेडियन प्रेस के पत्रकार गौरव भट्ट ने IndiaToday.In को बताया कि कनाडा में आने वाले लोगों की बाढ़ से मामला और खराब हो रहा है. भट्ट कहते हैं कि जो भारतीय छात्र हाल ही में कनाडा पहुंचे हैं, वे ओन्टारियो के किचनर में आवासीय इलाकों में घूम रहे हैं, वो अपने बैग कांधे पर लादे अजनबी घरों में डोर बेल बजा रहे हैं. दरवाजा खुलने पर पूछते हैं कि क्या आपके घर में किराए पर देने के लिए कोई जगह है.

Advertisement

Canada Vs India: कनाडा लास्ट ऑप्शन नहीं, 12वीं के बाद इन देशों से भी कर सकते हैं बेस्ट डिग्री कोर्स

वहीं कनाडा के निवासी अजनबियों द्वारा इस तरह घर-घर जाकर किराये पर जगह पूछने को पसंद नहीं करते. इंडो-कनाडाई पत्रकार का कहना है कि घर की तलाश भारतीय छात्रों के लिए दुःस्वप्न की शुरुआत है. आख‍िर में थक-हारकर वो एक स्टोर रूम साझा करते हैं. कुछ घरों के बेसमेंट भी उन्हें मिल जाते हैं. इनका किराया 600-650 $ होता है. इस तरह ज्यादातर पैसे किराए के भुगतान में खर्च हो जाते हैं. अब सोचने वाली बात ये है कि छात्र किराने और फोन के बिल का भुगतान कैसे करेंगे. पहले छात्र यहां अपनी आजीविका चलाने के लिए पार्ट टाइम जॉब कर लिया करते थे. 

नौकरियां नहीं, किराया भी महंगा 
आजकल ये जॉब्स भी बहुत कम हो गई हैं. अपनी पहचान न बताने की शर्त पर  एक इंडियन स्टूडेंट ने IndiaToday.in को बताया कि वह छह अन्य लोगों के साथ ओंटारियो प्रांत के किचनर में एक बेसमेंट शेयर करता है. उनका किराया प्रति माह 450 डॉलर आता है और किराना और फोन बिल सहित कुल खर्च 700 डॉलर  आ जाता है. इस खर्च में कॉलेज की ट्यूशन फीस शामिल नहीं है. 

कारों में रहकर काट रहे जीवन 
इतना ही नहीं कुछ छात्र कारों में रह रहे हैं, जबकि कईयों को मजबूरन महंगे मोटल में रहना पड़ रहा है. इनकी लागत प्रति दिन 100 डॉलर तक हो सकती है. यह फाइनेंश‍ियल तनाव एक नये देश में पढ़ने गए बच्चों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी करता है. भारत के एक छात्र खुशप्रीत सिंह का बयान हाल ही में लोकल न्यूज पोर्टल नॉर्थ बे बेटुडे में प्रकाश‍ित हुआ था. खुशप्रीत सिंह हाल ही में कैंपस में हुए विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे. उन्होंने नॉर्थ बे में रहने वाले स्थानीय निवासियों से अपील की थी कि वो बेघर छात्रों को अतिरिक्त कमरे किराए पर देकर मदद के लिए आगे आएं. 

Advertisement

Canada Vs India: क्यों कनाडा है स्टूडेंट्स की पहली पसंद, लाखों कर रहे पढ़ाई, टेंशन बढ़ी तो क्या होगा?

निजी कॉलेज देते हैं बिना हॉस्टल एडमिशन का खुला ऑफर
बता दें कि यह समस्या सिर्फ कैंडोर कॉलेज तक सीमित नहीं है. जनसंख्या की दृष्टि से कनाडा के सबसे बड़े प्रांत ओंटारियो के अधिकांश निजी संस्थानों में भी यही स्थिति है. ओंटारियो में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का आमद भी सबसे अधिक है. छात्रों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वे $14,000 की मासिक ट्यूशन फीस का भुगतान करने के बाद, रहने के लिए महंगे खर्च नहीं उठा सकते जो कि कभी-कभी $1,600 प्रति माह तक पहुंच जाता है. लंगर पर गुजारा कर रहे छात्र, जसकीरत सिंह ने कहा कि अगर उन्हें जमीनी हकीकत के बारे में पता होता, तो वह कभी भी नॉर्थ बे की फ्लाइट में नहीं चढ़ते, लेकिन यहां आने वाले अधिकांश छात्रों को इसका एहसास बहुत देर से होता है. कनाडा में निजी कॉलेजों के लालच के कारण छात्रों की बाढ़ आ रही है. एक रेगुलेटेड कनैड‍ियन इमिग्रेशन कंसल्टेंट मनन गुप्ता ने बताया कि कनाडा में इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ने के कारण यहां रहने से लेकर मेंटल वेलनेस और हेल्थ इश्यूज के बुनियादी संसाधनों की कमी दिखती है. 

इंटरनेशनल स्टूडेंट पैसे बनाने की मशीन? 
गुप्ता का कहना है कि यहां इंटरनेशनल छात्रों को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए राजस्व के आकर्षक स्रोत के रूप में देखा जाता है और कनाडाई छात्रों की तुलना में उनसे ट्यूशन फीस में तीन से पांच गुना शुल्क लिया जाता है. ओंटारियो के ब्रैम्पटन में स्काईलेक इमिग्रेशन चलाने वाले गुप्ता कहते हैं कि अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ मनी मेकर का व्यवहार करना बंद किया जाए. 

Advertisement

कनाडा में स्थायी निवास (पीआर) की तलाश करने वाले अधिकांश भारतीय छात्र निजी कॉलेजों में पहुंचते हैं, जबकि अधिकांश छात्र सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में पहुंचते हैं, जहां प्रवेश प्रक्रिया कठि‍न होती है. कनाडाई विश्वविद्यालयों में छात्रों के लिए आवासीय सुविधाएं हैं, लेकिन निजी कॉलेजों में ऐसे छात्रावासों की कमी है. ऐसे में ज्यादातर छात्रों को लांग टर्म हाउसिंग देने का आश्वासन नहीं देते हैं. 

क्या कनाडा पर्याप्त घर बना रहा है? 
ग्लोब एंड मेल ने एक रिपोर्ट में आवास संकट को बढ़ाने के लिए 2022 में कनाडा में 800,000 से अधिक विदेशी छात्रों की उपस्थिति को जिम्मेदार ठहराया था. लेकिन क्या वास्तव में इसके लिए विदेशी छात्र दोषी हैं? अगर हां तो आख‍िर कनाडा इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को क्यों आमंत्रित कर रहा है. अगर वह आश्रय जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं कर सकता है तो इसमें छात्रों का क्या दोष. सरकार हाउसिंग मार्केट पर दबाव कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर एक लिमिट तय करने पर विचार कर रही है. हालांकि केवल यही कदम कनाडा में आवास संकट को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं होने वाला. मनन गुप्ता कहते हैं कि छात्रों के एडमिशन अगर ज्यादा हो रहे हैं तो इसके लिए शैक्षण‍िक संस्थाओं के लिए हॉस्टल देना अनिवार्य बनाना चाहिए.

Advertisement

Canada Vs India: भारत सरकार ने छात्रों और नागरिकों को किया अलर्ट, एडवाइजरी जारी कर की ये अपील

संसद में उठा सवाल 
कनाडाई संसद में भी विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवरे आवास की कमी पर सवाल उठा चुके हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री जस्ट‍िन ट्रूडो को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने आवास सुविधा को पहले से ज्यादा किफायती बनाने का वादा किया था, लेकिन आठ साल बाद देखें तो उसकी लागत दोगुनी है, यही नहीं किराया भी दोगुना कर दिया. सिक्योरिटी मनी भी दोगुनी है, एडवांस पेमेंट दोगुना कर दिया... पूरी व्यवस्था को नष्ट करने में उन्हें आठ साल लग गए, अब देखना यह है कि इसे ठीक करने में कितना समय लग जाएगा. 

पोइलिवरे ने कहा कि कनाडा ने पिछले साल तो साल1972 की तुलना में कम घर बनाए और इस साल आवास निर्माण में 32 प्रतिशत की और गिरावट आने की उम्मीद है. कनाडा मॉर्गेज एंड हाउसिंग कॉरपोरेशन का कहना है कि देश 2030 तक लगभग 23 लाख नई हाउसिंग यूनिट्स के निर्माण की राह पर है. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि हाउसिंग सप्लाई को पूरा करने के लिए 2030 तक 5.8 मिलियन से अधिक नई हाउसिंग यूनिट्स की जरूरत होगी. इससे लगभग 3.52 मिलियन नये यूनिट्स का अंतर रह जाएगा. 

Advertisement

एक सही समाधान की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई इंटरेस्ट रेट्स के साथ-साथ सप्लाई की दिक्कतों ने बीते साल सालों में किराए में 122% की वृद्धि की है.  साल 2017 में, एक औसत कनाडाई घर का किराया 1,172 डॉलर प्रति माह के करीब था जोकि साल 2023 में बढ़कर 2,289 डॉलर हो गया है. 
बता दें कि कनाडा में तीन स्तरीय शासन है. इसमें नए घर बनाना नगरपालिका सरकार का विशेषाधिकार है, न कि यह काम प्रांतीय और संघीय सरकार का है. मनन गुप्ता कहते हैं, "कनाडा में आवास संकट एक गंभीर समस्या है जिसके लिए एक सही समाधान की जरूरत है और सरकार के सभी स्तरों पर नीति निर्माताओं को स्थायी समाधान की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है." 

जो सोचा था, हकीकत उससे अलग निकली
पंजाब के कपूरथला के एक छात्र गौरव शर्मा IndiaToday.in को बताते हैं कि कनाडा आने से पहले जो योजना बनाई गई थी, वह मेरे लिए किसी काम की नहीं रही क्योंकि जमीनी हकीकत वाकई अलग है. मैंने सोचा था कि यहां एक कमरा और नौकरी पाना इतना मुश्किल नहीं होगा, लेकिन वास्तव में यह बिल्कुल उल्टा है.  जिन छात्रों का बजट सीमित है, वे सर्वाइव करने के लिए कनाडा पहुंचते ही पार्ट टाइम नौकरियां लेने की योजना बना रहे हैं. मैंने सोचा था कि मैं कनाडा में छोटी-मोटी पार्ट टाइम करूंगा. हालांकि, मुझे अब तक कोई छोटी मोटी नौकरी नहीं मिली है. जब मैंने प्लेसमेंट एजेंसियों को फोन किया था, तो उनका रिऐक्शन यह था कि हम छात्रों को नौकरी नहीं देते हैं. 

कैनेडियन प्रेस के पत्रकार गौरव भट्ट पार्ट टाइम नौकरियों के खत्म होने की वजह इस देश में आने वाले "लोगों की बाढ़" को मानते हैं. वो कहते हैं कि आप तीन कंपनियों के रिक्रूटमेंट फेयर के बाहर 600-700 इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को लाइन में खड़े देख सकते हैं. भट्ट कहते हैं कि लोग अपना सीवी जमा करने के लिए 3-4 घंटे तक कतार में खड़े रहने को तैयार रहते हैं. 

महंगाई से नये NRIsकी भी स्थिति खराब 
वर्क वीजा पर कनाडा आए पेशे से अकाउंटेंट चेतन गर्ग का मानना है कि नए अप्रवासियों और छात्रों की आबादी दक्षिण ओंटारियो और वैंकूवर के आसपास केंद्रित है. पिछले एक साल में स्थिति और भी खराब हो गई है. उच्च मुद्रास्फीति और मंदी के दौर से गुजर रहे कनाडा में नौकरियां नहीं होने के कारण भारतीय छात्रों और नए अप्रवासियों की स्थिति विशेष रूप से खराब है.
 
इंस्टाग्राम पोस्ट पर विश्वास न करें, वे नकली हैं
मनन गुप्ता कहते हैं कि यहां के 72 प्रतिशत से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र स्नातकोत्तर वर्क परमिट के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं, जबकि 60 प्रतिशत कनाडा में स्थायी निवास (पीआर) के लिए प्रयास करने की योजना बना रहे हैं. 2023 तक कनाडा में भारत से लगभग 330,000 नए अप्रवासी और छात्र रह रहे हैं. वर्क वीजा पर ब्रैम्पटन स्थित अकाउंटेंट चेतन गर्ग का कहना है कि पिछले एक साल में भारतीय छात्रों के लिए कनाडा में स्थिति बदतर हो गई है.

मैं कहूंगा कि इन दिनों कनाडा आना बेकार है. ब्रैम्पटन में बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले गौरव शर्मा ने बताया कि भारत में निवेश करना या अपना खुद का लघु-स्तरीय व्यवसाय शुरू करना इससे कहीं बेहतर है. कनाडा में, आप अपनी सपनों की कार खरीद सकते हैं, भले ही आपके पास शून्य बैंक बैलेंस हो क्योंकि यहां सब कुछ क्रेडिट पर उपलब्ध है,'' फिल्मों और सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही कनाडाई दुनिया के बारे में चेतावनी देते हुए शर्मा कहते हैं कि अपने दोस्तों के इंस्टाग्राम पोस्ट पर विश्वास न करें, वे नकली हैं. वो हो सकता है कि आपसे ज्यादा गरीब हों, मेरा विश्वास करो. फिलहाल कनाडा आना बेकार है.

(यह कनाडा में भारतीयों पर तीन भाग वाली साप्ताहिक श्रृंखला की पहली श्रृंखला है) 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement