
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते सीबीएसई (CBSE) समेत देशभर के सभी शिक्षा बोर्ड 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं. ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि सीबीएसई और अन्य बोर्ड छात्रों को 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस वापस करें.
याचिका में कहा गया, यह साफ है कि सीबीएसई ने छात्रों से परीक्षा शुल्क के रूप में करोड़ों रुपए वसूल किए हैं. लेकिन जब 10वीं और 12वीं की परीक्षा ही रद्द हो चुकी है, तो ऐसे में छात्रों से लिया गया परीक्षा शुल्क रखना पूरी तरह से अनुचित है.
10वीं के छात्र से 2100 रु लिया गया परीक्षा शुल्क
इस याचिका को वकील रॉबिन राजू ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया. उन्होंने इसमें कहा है कि एक छात्र से 10वीं की परीक्षा के लिए सीबीएसई ने 7 विषयों के लिए 2100 रुपए लिए हैं. लेकिन कोरोना महामारी के चलते 10वीं की परीक्षाएं 10 अप्रैल को रद्द कर दी गईं. वहीं, अभी नतीजे भी नहीं आए हैं. जबकि 12वीं की परीक्षाएं 1 जून 2021 को रद्द की गईं.
'परीक्षा नहीं, तो खर्च भी नहीं हुआ'
याचिका में कहा गया कि सीबीएसई छात्रों के परिजनों से जो परीक्षा शुल्क लेती है, उसे एग्जाम सेंटर बनाने, निरीक्षक और परीक्षक आदि पर खर्च किया जाता है. यानी सीधे तौर पर कहें तो परीक्षा कराने से संबंधित सभी खर्चों के लिए लिया जाता है. लेकिन जब परीक्षा ही रद्द हो गई, तो सीबीएसई और केंद्र को एग्जाम फीस को वापस करना चाहिए, क्योंकि यह राशि खर्च नहीं हुई.
इससे पहले ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने एग्जाम फीस लौटाने की मांग की थी. एसोसिएशन की मांग थी कि जिन गरीब लोगों ने अपने बच्चों की फीस भरी है, उनके लिए यह राशि इस मुश्किल वक्त में काफी काम आ सकता है.