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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज यानी 27 अगस्त 2022 को दिल्ली के झरोदा कलां में शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल का उद्घाटन किया. यह दिल्ली का पहला सैनिक स्कूल है. इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब दिल्ली के गरीब से गरीब परिवार के बच्चे भी सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा कर सकते हैं. यह स्कूल स्टेट ऑफ ऑर्ट फैसिलिटी से युक्त है, जो बड़े-बड़े स्कूलों में भी नहीं होती. यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ एनडीए आदि की चार साल तैयारी भी कराई जाएगी. बच्चों की शिक्षा पूरी तरह फ्री है, ताकि यहां गरीब और अमीर के बीच कोई भेद न हो सके. यहां 80-90 फीसद बच्चे सरकारी स्कूलों से आए हैं.
शहीद भगत सिंह के नाम पर इसलिए रखा सैनिक स्कूल नाम
सीएम अरविंद केजरीवाल ने बच्चों से कहा कि स्कूल का नाम शहीद भगत सिंह पर इसलिए रखा गया है, ताकि उनसे हर बच्चे को प्रेरणा मिले. आपकी पढ़ाई में गरीब से गरीब आदमी का योगदान है. इसलिए भारत मां के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहना. उन्होंने कहा कि कई लोग विदेश चले जाते हैं. अगर सभी बाहर चले जाएंगे तो देश को ठीक कौन करेगा? हमारा भारत जैसा भी है, हमारा है. हम ही इसे ठीक करेंगे. इसलिए मैंने सोचा था कि कभी विदेश नहीं जाएंगे. यहीं रहेंगे, यहीं लड़ेंगे, यहीं मरेंगे-कटेंगे और अपने देश को ठीक करेंगे.
एक साल में सैनिक स्कूल शुरू होने की नहीं थी उम्मीद: केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली के अंदर कोई सैनिक स्कूल नहीं है, दिल्ली के जो हमारे बच्चे फौज में जाना चाहते हैं और देश की सेवा करना चाहते हैं, देश के लिए मर-मिटना चाहते हैं, देश की सुरक्षा क्षेत्र में जाना चाहते हैं. उनके लिए कोई औपचारिक सिस्टम नहीं है, जो उनको फौज में भर्ती के लिए तैयार कर सके. बहुत सारे बच्चे अपने से फौज में जाते थे. बहुत सारे बच्चे अपने एनडीए समेत अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी करते थे. अन्य राज्यों में कई सारे सैनिक स्कूल थे, लेकिन दिल्ली के अंदर कोई सैनिक स्कूल नहीं था. हमने सोचा कि दिल्ली के अंदर सैनिक स्कूल होना चाहिए. एक साल पहले हमने इसकी तैयारी शुरू की. जब तैयारी हमने शुरू की थी, तब हमें यह उम्मीद नहीं थी कि एक साल के अंदर यह बनकर तैयार हो जाएगा और पहला बैच एक साल के अंदर आ जाएगा.
सेना में ऑफिसर बनने की मिलेगी ट्रेनिंग
सैनिक स्कूल के बारे में ज़्यादा जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यहां पर सारे ऑफिसर के गुण सिखाए जाएंगे, जो आर्मी में होती है. साइकोमेट्रिक टेस्ट, ग्रुप टास्क, मॉक इंटरव्यू करावाए जाएंगे और व्यक्तित्व विकास किया जाएगा. साथ ही वर्कशॉप कराई जाएंगी, जो बड़े-बड़े स्कूलों में नहीं होता है. एनडीए, नेवल अकेडमी, यूनिफार्म सर्विसेज के जितने इंट्रेंस एग्जाम है, उन सबके लिए बच्चों को तैयार किया जाएगा.
रिटायर्ड अफिसर्स, एक्सपर्ट्स देंगे कोचिंग
अरविंद केजरीवाल ने आगे बताया कि मैंने क्लास रूम में टीचर से पूछा कि क्या पढ़ा रहे हैं? टीचर ने बताया कि टिग्नोमेट्री पढ़ा रहे हैं. टिग्नोमेट्री पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि एनडीए की परीक्षा में 10 प्रश्न टिग्नोमेट्री के आते हैं. मुझे जानकर बहुत अच्छा लगा कि पेपर के हिसाब से पढ़ा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे क्वालीफाई करें और एनडीए के अंदर जाएं. यहां पर फौज के रिटायर्ड अफिसर्स, विशेषज्ञ को बुलाएंगे और उनसे कोचिंग करवाएंगे. जो प्रशिक्षित प्रशिक्षक हैं, उनसे कोचिंग करवाई जाएगी. हॉस्टल सुविधाएं बहुत अच्छी हैं और दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन से संबद्ध है. दिल्ली के स्कूलों से पास आउट दिल्ली के रहने वाले जितने बच्चे हैं, उन सभी बच्चों का यहां एडमिशन होता है.
केजरीवाल ने कहा- मेरे समय में 30 रुपये महीना थी फीस
सीएम ने कहा कि मैं भी आईआईटी खड़गपुर में पढ़ता था. 1989 पास आउट हुआ. जब मैं आईआईटी में हुआ करता था, तब हमारी फीस 30 रुपये महीना होती थी. वहां पर बहुत शानदार लैब और शानदार सुविधाएं और कैंपस था. 30 रुपये महीने में वो पढ़ाई तो नहीं हो सकती. इसका मतलब देश मेरे लिए कितना कुछ कर रहा था. उसी समय हम लोगों ने सोचा था. कई बच्चे विदेश जाकर सेटल हो गए. कई लोगों से बात करो, तो वो कहते हैं कि भारत में क्या रखा है, सारे सिस्टम खराब हैं. मैं यहां नहीं रहना चाहता और सारे चले जाते हैं. अगर सारे ही विदेश चले गए, तो भारत को ठीक कौन करेगा. अपना ही तो देश है. हमें ही तो भारत को ठीक करना है, जैस भी है, भारत हमारा है.
पिछले साल हुआ था सभी सुविधाओं से लैस मॉडर्न स्कूल बनाने का फैसला
20 दिसंबर 2021 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में संपन्न दिल्ली कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि दिल्ली में एक ऐसा विशेष स्कूल बनाया जाए, जहां पर बच्चों को फौज में भर्ती होने की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वो एनडीए, नेवी, एयरफोर्स जैसी सेना की सेवाओं में भर्ती हो सकें. इसके लिए स्कूल में उनको तैयार किया जाएगा और स्कूल का नाम शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेस प्रिपेरटरी स्कूल होगा. यह स्कूल 14 एकड़ में फैला है. सभी सुविधाओं से लैस मॉडर्न स्कूल बनाया जा रहा है. यह स्कूल दिल्ली सरकार के स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस का हिस्सा और दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन से मान्यता प्राप्त है.
इस साल से शुरू होंगी क्लास, जानें कौन ले सकता है दाखिला
यह स्कूल पूरी तरह से निःशुल्क होगा. स्कूल में छात्रों के लिए आवासीय सुविधा भी मिलेगी. स्कूल में जितने भी बच्चे दाखिला लेंगे, वे वहीं पर हॉस्टल में रहेंगे. लड़कों और लड़कियों का अलग-अलग हॉस्टल होगा. स्कूल में बच्चों अंदर फौज में ऑफिसर की जो क्वालिटी होती है, उस स्तर की क्वालिटी विकसित की जाएगी. स्कूल में एनडीए समेत दूसरी आर्म्ड सर्विसेस के लिए बच्चों को तैयार किया जाएगा. ट्रेनिंग देने के लिए विशेषज्ञ फैकल्टी खासकर सेवानिवृत्त आर्मी या एयरफोर्स ऑफिसर को रखा जाएगा. दिल्ली में रहने वाला कोई भी बच्चा 9वीं और 11वीं कक्षा में दाखिला ले सकता है. 9वीं और 11वीं कक्षा में 100-100 सीटें होंगी. जिसमें 60 लड़के होंगे और 40 लड़कियां होंगी. इस साल से इसकी कक्षाएं शुरू हो रही हैं.
करीब साढ़े 18000 छात्रों ने किया था एडमिशन के लिए आवेदन
आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल में 9वीं और 11वीं कक्षा में एडमिशन लेने के लिए करीब 18541 बच्चों ने आवेदन किया था. इन 18541 छात्रों में 9वीं के लिए 7265 और 11वीं के लिए 11275 छात्रों ने आवेदन किया था. इन में से 9वीं कक्षा में एडमिशन लेने के लिए आवेदन करने वाले 400 छात्रों को और 11वीं में एडमिशन लेने के लिए आवेदन करने वाले 405 छात्रों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था. 9वीं और 11वीं के लिए 100-100 छात्रों को मेडिकल के लिए बुलाया गया. वर्तमान में 9वीं में 89 और 11वीं 91 छात्रों का एडमिशन लिया गया है.