Advertisement

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में क्यों बढ़ी फीस? बाकी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से कितना सस्ता-महंगा होगा यहां पढ़ना

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस बढ़ाए जाने पर बवाल बढ़ता जा रहा है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उसी अनुपात में फीस वृद्धि की गई है जिस अनुपात में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस में वृद्धि हुई है. हालांकि इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के अलावा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और अन्य यूनिवर्सिटीज में भी लगातार फीस में बढ़ोतरी की गई है.

Allahabad University fees Hike protest Allahabad University fees Hike protest
aajtak.in
  • इलाहाबाद,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:54 AM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स की फीस में हुई बढ़ोतरी को लेकर हंगामा लगातार जारी है. यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा फीस बढ़ोतरी को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. सरकार की तरफ से विश्वविद्यालयों को साफ तौर पर यह संदेश दिया जा चुका है कि उन्हें अपने स्तर पर फंड का इंतजाम करना होगा और सरकार पर निर्भरता कम करनी होगी. कई अन्य संस्थाओं की तरह सरकार द्वारा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के फंड में भी कटौती की गई है. पहले प्रति माह ट्यूशन फीस 12 रुपये थी. चालू बिजली बिलों का भुगतान करने और अन्य रखरखाव के लिए शुल्क बढ़ाया जाना जरूरी था.

Advertisement

वर्षों बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि की जा रही है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उसी अनुपात में फीस वृद्धि की गई है जिस अनुपात में अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की फीस में वृद्धि हुई है. विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के बाद भी विश्वविद्यालय में कोर्स की फीस तुलनात्मक रूप से अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तुलना में कम है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में ही फीस की बढ़ोतरी की गई है, बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और अन्य यूनिवर्सिटीज में भी लगातार पिछले कई वर्षों की अपेक्षा फीस में बढ़ोतरी की गई है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सटी की पिछले वर्षों की फीस और वर्तमान की फीस का अंतर साफ-साफ नीचे देखा जा सकता है.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ोतरी
यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा स्टूडेंट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करते हैं. अभी तक उनसे ट्यूशन फीस हर महीने 12 रुपये ली जाती थी. साल में ट्यूशन फीस के तौर पर बीए- बीएससी और बीकॉम के स्टूडेंट्स से 144 रुपये लिए जाते थे. ट्यूशन फीस के साथ ही कई दूसरे मदों जैसे परीक्षा शुल्क, बिल्डिंग मेंटेनेंस, पुअर ब्वायज़ फंड, स्पोर्ट्स, लाइब्रेरी, आई कार्ड, मार्कशीट के शुल्क मिलाकर सालाना कुल 975 रुपये लिए जाते थे. प्रैक्टिकल के लिए लैब की फीस 145 रुपये अलग से देनी होती थी. ग्रेजुएशन यानी बीए, बीएससी और बी. कॉम के छात्रों को अब 975 रुपये के बदले सालाना 3901 रुपये देने होंगे. प्रैक्टिकल फीस को 145 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपये कर दिया गया है. 

Advertisement

इसी तरह एमएससी की फीस 1561 रुपये से बढ़ाकर 4901 कर दी गई है. एमएससी की फीस 1861 से बढ़कर 5401, एमकॉम की 1561 से बढ़कर 4901, तीन साल के एलएलबी की फीस 1275 से 4651, एलएलएम की फीस 1561 से बढ़कर 4901 और पीएचडी की सालाना फीस 501 से बढ़ाकर 15300 रुपये सालाना हो जाएगी. पीएचडी की फीस करीब तीस गुना तक बढ़ जाएगी. 

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में फीस स्ट्रक्चर
मौजूदा सत्र 2022 की बात की जाए तो एएमयू के ग्रेजुएशन कोर्सेज में पढ़ने वाले छात्रों को 9125 रुपये सालाना फीस देनी पड़ रही है. अगर हॉस्टल में छात्र रह रहे हैं तो उनको 11275 रुपये सालाना जमा करने पढ़ रहे हैं. वहीं बात पोस्ट ग्रेजुएशन की करें तो 9680 रुपये सालाना छात्रों को जमा करने पड़ रहे हैं. अगर पोस्ट ग्रेजुएशन में छात्र यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रह रहे हैं तो उनको 11830 रुपये सालाना खर्च करने पड़ रहे हैं.

1993 में ग्रेजुएशन की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर चुके ओल्ड बॉयज ने बताया कि उक्त वर्ष में उन्हें 300 रुपये प्रतिमाह की फीस जमा करनी पड़ती थी, जो सालाना 3600 रुपये के करीब हो रही है. वहीं वर्ष 2005 -2006 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले ग्रेजुएशन के छात्रों को 4000 रुपये सालाना फीस जमा करनी पड़ती थी. वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन के छात्रों को 5000 रुपये जमा करने पड़ते थे. इस संबंध में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अधिकारिक पीआरओ ऑफिस में जब जानना चाहा तो उन्होंने इतना पुराना रिकॉर्ड होने से मना कर दिया. एएमयू में पढ़ चुके ओल्ड बॉयज़ से बात करने के बाद पुराने आंकड़े जुटाए गए हैं.

Advertisement

बता दें कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में वर्तमान समय में किसी कोर्स में पढ़ रहे छात्रों पर फीस वृद्धि लागू नहीं होगी और बढ़ी हुई फीस की दर नए छात्रों पर लागू होगी, जो आने वाले सत्र में नामांकन ले रहे हैं विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्रोफेशनल कोर्सेज की फीस में कोई वृद्धि नहीं की गई है. दूसरी ओर यह भी तर्क दिया जा रहा है कि फीस वृद्धि करने से समाज के कमजोर तबके के छात्रों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा लेकिन सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जिसके माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वित्तीय मदद दी जाती है.

(पंकज श्रीवास्तव, आनंद राज, अकरम खान, सचिन कुमार पांडे, रोहित कुमार के इनपुट के साथ)

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement