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MP: अनाथ बच्चों की गुहार- 'मां-बाप की कोरोना से मौत कैसे साबित करें सरकार?'

Corona Orphaned Children: मध्य प्रदेश महिला और बाल कल्याण विभाग की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, मार्च 2020 से अब तक 1250 बच्चे अनाथ हो चुके हैं जबकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक 178 बच्चों को ही 5000 रुपए की एक किश्त दी गई है.

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हेमेंद्र शर्मा
  • भोपाल,
  • 03 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:15 AM IST
  • राज्‍य सरकार कोरोना से अनाथ हुए बच्‍चों को आर्थिक मदद दे रही है
  • बच्‍चों को साबित करना होगा कि अभिभावक की मौत कोरोना से हुई

Corona Orphaned Children: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि देश में मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां कोरोना वायरस की वजह से सबसे ज्यादा बच्चे अनाथ हुए हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने एलान किया है कि इस साल 01 मार्च और 30 जून के बीच जिन बच्चों ने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता या अभिभावक को खो दिया है, उन्हें 5000 रुपए हर महीना पेंशन (आर्थिक सहायता) मिलेगी.

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हैरानी की बात है कि इन बच्चों से ये भी कहा गया है कि पेंशन पाने के लिए पहले साबित करें कि उनके माता-पिता की मौत कोरोना से हुई है. पहले से ही माता-पिता को खोने से परेशान अब इन बच्चों के सामने सवाल है कि वो कोरोना से हुई मौत कैसे साबित करें. 

आयुषी और आलोक के पास मम्पी-पापा के फोटो के अलावा कुछ नहीं

सीहोर में 12 साल की बेटी और 7 साल के बेटे के पास अपने मृत माता-पिता की फोटो के सिवा और कुछ नहीं है. इन बच्चों की मां की 2020 में किसी और बीमारी से मौत हुई थी. अब इनके पिता की इस साल 30 अप्रैल को कोरोना जैसे लक्षणों की वजह से मौत हुई. बच्चों के 70 वर्षीय दादा ने पिता को एक झोला छाप डॉक्टर को दिखाया, लेकिन हालत में कोई सुधार न होने के बाद उन्‍होंने दम तोड़ दिया. अब इन बच्चों के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो कि कोरोना से उनके पिता की मौत हुई. ऐसे में सरकार की ओर से अनाथ बच्चों के लिए जिन योजनाओं का एलान हुआ है, उन तक इन बच्‍चों की पहुंच नहीं हो सकती. 

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बच्चों के दादा गार्ड की नौकरी करते हैं. उन्‍होंने बताया, "मैं अपने बेटे को झोलाछाप डॉक्टर के पास ले गया. उसे बुखार था. साथ ही उसके गले से कुछ भी नहीं उतर रहा था. उसकी कोरोना से मौत हुई है लेकिन हमारे पास कहीं से भी इस बारे में लिखित में कुछ नहीं है."

10वीं में पढ़ने वाले हनुशीष की कहानी भी ऐसी ही है

ऐसी ही कुछ कहानी भोपाल में दसवीं में पढ़ने वाले छात्र की भी है. माता-पिता को कोरोना की दूसरी लहर ने छीन लिया. पिता की मौत भोपाल के ही एक अस्पताल में हुई थी जिसके चलते कोरोना से हुई मौत का सर्टिफिकेट तो बेटे को मिल गया, लेकिन मां की मौत को लेकर ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है. वो दर-दर भटक रहा है जिससे कि मां की कोरोना से हुई मौत का दस्तावेज हासिल कर सके.  उसकी मां की मौत बैतूल में हुई जहां मायके में उसका इलाज चल रहा था. वहां की म्युनिसिपल कमेटी की ओर से जो डेथ सर्टिफिकेट जारी किया गया है उसमें कोरोना का कोई जिक्र नहीं है.  

बच्‍चे ने बताया, "मेरी मां को Covid-19 पॉजिटिव आने के बाद कोरोना वार्ड में भर्ती कराया था. मेरे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. मेरी मां का मोबाइल फोन भी अस्पताल में था जो काफी दिनों तक गुहार लगाने के बाद टूटी हुई हालत में वापस किया गया. अब मुझसे कहा जा रहा है कि मैं साबित करूं मेरी मां की मौत कोरोना से हुई है."

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मार्च 2020 से अबतक 1250 बच्चे अनाथ हुए

मध्य प्रदेश महिला और बाल कल्याण विभाग की ओर से कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, मार्च 2020 से अब तक 1250 बच्चे अनाथ हो चुके हैं जबकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक 178 बच्चों को ही 5000 रुपए की एक किश्त दी गई है. मेडिकल शिक्षा मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता विश्वास सारंग ने कहा, "हमारे मुख्यमंत्री ने इस बारे में काफी विचार के बाद योजना का एलान किया है. हम सुनिश्चित करेंगे कि ये योजना ऐसे हर जरूरतमंद बच्चे तक पहुंचे."

 

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