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दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया CLAT-2025 के रिजल्ट में सुधार करने का आदेश, मेरिट लिस्ट में होगा बदलाव

दिल्ली हाई कोर्ट ने CLAT 2025 के परिणामों में त्रुटियों को लेकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कंसोर्टियम को आदेश दिया है कि वे मेरिट लिस्ट को संशोधित करें और रिवाइज्ड रिजल्ट जारी करें. आदित्य सिंह ने उत्तर कुंजी में दो प्रश्नों में त्रुटि होने की याचिका दायर की थी, जिससे उनकी रैंकिंग प्रभावित हो रही थी.

CLAT 2025 Revised Result To Be Out Change Merit List Two Questions Incorrect Delhi High Court Order CLAT 2025 Revised Result To Be Out Change Merit List Two Questions Incorrect Delhi High Court Order
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST

CLAT 2025 Result will be revised: दिल्ली हाई कोर्ट ने CLAT 2025 परीक्षा की मेरिट लिस्ट को संशोधित करने और रिवाइज्ड रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया है. यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया, जिसमें परीक्षा में पूछे गए दो प्रश्नों में त्रुटि पाए जाने का दावा किया गया था. 

कोर्ट ने कहा कि इन गलतियों से मेरिट लिस्ट और उम्मीदवारों की रैंकिंग पर असर पड़ सकता है. न्यायमूर्ति ज्योति सिंह, जो बेंच की अध्यक्षता कर रही थीं, ने कहा, "प्रश्न संख्या 14 और 100 में त्रुटियां स्पष्ट हैं, और इन पर ध्यान न देना पेटीशनर के साथ अन्याय होगा, हालांकि यह कोर्ट इस बात से भी अवगत है कि इससे अन्य उम्मीदवारों के परिणाम पर असर पड़ सकता है." 1 दिसंबर 2024 को हुए लॉ यूजी और पीजी प्रोग्राम्स की परीक्षा का परिणाम 8 दिसंबर 2024 को जारी किया गया था।

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यह मामला आदित्य सिंह नामक एक नाबालिग द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने CLAT-2025 की उत्तर कुंजी को चुनौती दी थी. यह परीक्षा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों (NLUs) में पांच वर्षीय कानून कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है. आदित्य ने तर्क दिया कि इन त्रुटियों को ठीक करने से उनका स्कोर 87 से बढ़कर 93.25 हो जाएगा, जिससे उनकी रैंकिंग में सुधार होगा और उन्हें शीर्ष तीन NLUs में प्रवेश प्राप्त करने का बेहतर अवसर मिलेगा.

राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के कंसोर्टियम ने परीक्षा प्रक्रिया का बचाव करते हुए कहा कि परिणाम विशेषज्ञ समितियों की सिफारिशों के बाद अंतिम रूप दिए गए थे. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि शैक्षिक मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप दुर्लभ होना चाहिए, लेकिन यदि त्रुटियां स्पष्ट हैं और उम्मीदवारों के साथ अन्याय हो रहा हो, तो ऐसे मामलों में हस्तक्षेप आवश्यक है.

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