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अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करेगा. अन्य हाईकोर्ट में इस विषय पर दाखिल याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर किया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट से आग्रह किया कि वो इन याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करे और शीघ्र निपटाए. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता न कहा कि कई हाईकोर्ट में इस योजना को चुनौती दी गई है. बेहतर होगा की सभी याचिकाओं की सुनवाई किसी एक जगह हो.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप एक ट्रांसफर पीटिशन दायर करिए. हम हाईकोर्ट को सभी याचिकाएं सुनवाई करने को भेज देंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई की जा सकती है. जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ से मेहता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट को कहा जाय कि वह एक नियत समय में सुनवाई पूरा कर ले, तब तक कोई और कोर्ट सुनवाई न करे.
एक याचिकार्ता ने कहा कि सभी याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ही करे क्योंकि लगातार कई राज्यों में याचिकाएं दाखिल हो रही है. याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने कहा कि अदालत पहले हमें यहां सुन ले, उसके आधार पर हाईकोर्ट को निर्देश दे. कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. हम उन्हें सुनकर ही मामला स्थानांतरित करेंगे.
6 याचिकाएं दायर
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि अग्निपथ योजना के खिलाफ अलग अलग हाईकोर्ट में 6 याचिकायें दायर हुई हैं. याचिकाकर्ता शेखावत ने कहा कि विभिन्न हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. एसजी ने कहा कि किसी हाईकोर्ट ने अभी कोई आदेश नहीं दिया है. बता दें कि अभी दिल्ली के अलावा केरल, पटना, पंजाब-हरियाणा, उत्तराखंड, कोच्चि के हाईकोर्ट और ट्राइब्यूनल में अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिकाएं लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास लंबित तीनों याचिकाओं को भी दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए ट्रांसफर किया.
2019 का रिक्रूटमेंट प्रोसेस न रुके
एक याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 2019 से चल रहे रिक्रूटमेंट प्रोसेस पर रोक न लगे क्योंकि उन लोगो को अब अपॉइंटमेंट लेटर मिलने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने अग्निपथ योजना के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया. अब दिल्ली हाईकोर्ट ही अग्निपथ योजना से संबंधित कई हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओ पर सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद असंतुष्ट पक्ष सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.