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दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में अवैध रूप से चलने वाले कोचिंग सेंटर और पीजी को लेकर उच्च न्यायालय में मामला विचाराधीन है. इसके बावजूद भी मुखर्जी नगर इलाके में उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का उलंघन करते हुए अवैध रूप से नये पीजी और कोचिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कोचिंग सेंटर को लेकर उच्च न्यायालय में सुनवाई होती है तब प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा खानापूर्ति के नाम पर छोटे-छोटे इंस्टीट्यूट कोचिंग सेंटर पर सीलिंग की और नोटिस देने की कार्यवाही की जाती है. उसके बाद फिर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. जिसके चलते मुखर्जी नगर में रहने वाले स्थानीय लोग बेहद परेशान हैं.
हवा में उड़ा दिए कोर्ट के आदेश
अब एक बार फिर जानकारी मिली है कि कोर्ट के आदेशों पर उन कोचिंग सेंटर को सील करने की बात कही गई है जो नियमों को ताक पर रखकर अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं. इसके बाद मुखर्जी नगर इलाके में कुछ हलचल भी देखने को मिली. लेकिन शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कोर्ट के संज्ञान लेने के बावजूद अभी भी नये कोचिंग सेंटरों के खुलने और अवैध तरीके से चलाए जा रहे कोचिंग सेंटर पर एडमिशन शुरू करने के बोर्ड मुखर्जी नगर में लगना शुरू हो चुके हैं, जो यह साफ दर्शाता है कि संबंधित विभाग के अधिकारी कोचिंग सेंटर के मालिकों से मिली भगत करके उन पर सख्त और कड़ी कार्रवाई नहीं करते हैं.
20 की इजाजत है और कोचिंग में पढ़ रहे 50 छात्र
मुखर्जी नगर इलाका एजुकेशन हब के रूप में देखा जाता है. यहां लगातार शिकायतकर्ताओं व स्थानीय RWA की तरफ से आरोप लगता है कि पीजी की क्षमता पांच स्टूडेंट रखने की है, लेकिन उसमें 15 से ज्यादा बच्चों को रखा जाता है. वहीं, कोचिंग सेंटर इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाले छात्रों की क्षमता 20 होती है, उसमें 50 से ज्यादा बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.
इंस्टीट्यूट की छत से छात्रों ने की कूदने की कोशिश- शिकायतकर्ता
स्थानीय निवासी और शिकायतकर्ता ने बताया कि पिछले एक साल में कई बड़े हादसे मुखर्जी नगर इलाके में हुए है. जिसमें कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आई हैं जहां इंस्टीट्यूट में आग लगने पर बच्चे अपनी जान बचाने के लिए कई मंजिला ऊंची इमारत से कूद रहे हैं. वहीं, बीते 4 दिन पहले तेज रफ्तार आंधी के चलते एक चलते पीजी की टीन उड़ कर कुछ घरों के सामने जा गिरी थी. जिसमें कोई हादसा तो नहीं हुआ, लेकिन डर लोगों के जेहन में बैठ चुका है.
शिकायतकर्ता ने कही ये बात
इन्हीं लापरवाही को देखते हुए यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुच चुका है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उच्च न्यायालय में जब सुनवाई होती है तो प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से कुछ छोटे-छोटे इंस्टिट्यूट को सील कर दिया जाता है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि जब सुनवाई होती है तो प्रशासनिक अधिकारी हरकत में आते हैं फिर बाद में कुछ इंस्टिट्यूट और कोचिंग सेंटर और पीजी को सील कर दिया जाता है, लेकिन सही और उचित तरीके से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. उन्होंने आगे कहा कि मुखर्जी नगर में लगभग 90 प्रतिशत इंस्टिट्यूट बिना एनओसी लिए अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं.