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चुनावों के दौरान दीवारों-सड़कों पर लीपापोती की तो खैर नहीं... DU चुनावों पर हाईकोर्ट का कड़ा रुख

छात्र संघ चुनाव के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को गंदा करने में वकील प्रशांत मनचंदा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. मनचंदा ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव 27 सितंबर को होने वाला है, ऐसे में इस मामले की तत्काल सुनवाई होनी चाहिए. छात्र संघ का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों ने सार्वजनिक संपत्ति को पोस्टरों से पाट दिया है.

Delhi University Election Delhi University Election
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में छात्र संगठनों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने वाले छात्र नेताओं की उम्मीदवारी रद्द करने के लिए नोटिस जारी करें.

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मुख्य चुनाव अधिकारी को तलब किया है. कोर्ट ने उनसे कहा कि 24 घंटे के भीतर उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई करें. अन्यथा कोर्ट उनको चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर देगा. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मनमोहन ने पूरे शहर में पोस्टर और नारे लगाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए दिल्ली पुलिस, डीयू प्रशासन, एमसीडी, डीएमआरसी पर नाराजगी जाहिर की.

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दिल्ली हाईकोर्ट ने डीयू प्रशासन से यह भी पूछा कि चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के लिए सभी डूसू चुनाव उम्मीदवारों को अयोग्यता नोटिस क्यों नहीं जारी किए गए? सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए जुर्माना वसूलने के लिए क्या कोई प्रयास किया गया? अगर नहीं तो क्यों नहीं किया गया? जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ऐसे मामलों में पहले भी कई फैसले दे चुका है. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव से सम्बंधित अथॉरिटी से कहा कि आप छात्र संगठनों, उम्मीदवारों  और कार्यकर्ताओं के साथ आम छात्रों को चुनाव आचार संहिता के साथ-साथ नगरपालिका कानूनों के गंभीर उल्लंघन की भी अनुमति दे रहे हैं. यह कतई उचित नहीं है.

बैनर-पोस्टर हटाने का आदेश

दिल्ली यून‍िवर्स‍िटी में इस सप्ताह होने वाले मतदान से पहले, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय ने एक नोटिस जारी किया है. इसमें सभी उम्मीदवारों को 24 घंटे के भीतर विश्वविद्यालय परिसर से अपने नाम और मतपत्र संख्या वाले बैनर और पोस्टर हटाने का निर्देश दिया है. 

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मुख्य निर्वाचन अधिकारी सत्यपाल सिंह ने कहा कि निर्वाचन कार्यालय रैलियों के दौरान बैनर, पोस्टर और वाहनों के उपयोग सहित प्रचार गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रहा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी चुनाव प्रचार में लिंगदोह कमेटी द्वारा निर्धारित नियमों का पालन किया जाना चाहिए, जो निष्पक्ष चुनाव के लिए दिशानिर्देश प्रदान करती है. 

गौरतलब है कि डूसू चुनाव 27 सितंबर को होंगे और नतीजे एक दिन बाद घोषित किए जाएंगे. ईमेल के माध्यम से भेजे गए नोटिस में चेतावनी दी गई है कि निर्धारित समय के भीतर बैनर और पोस्टर न हटाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. मुद्रित पोस्टर और बैनर का प्रदर्शन लिंगदोह समिति और दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 द्वारा स्थापित मानदंडों का उल्लंघन है. 

नोटिस में कहा गया है, "डूसू चुनाव कार्यालय प्रचार के लिए बैनर, पोस्टर और वाहनों के इस्तेमाल पर कड़ी नजर रख रहा है. ये गतिविधियां लिंगदोह समिति की सिफारिशों द्वारा निर्दिष्ट सीमाओं के भीतर ही रहनी चाहिए. आपको यह ईमेल प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर अपना नाम और मतपत्र संख्या प्रदर्शित करने वाले सभी बैनर और मुद्रित पोस्टर हटाने का निर्देश दिया जाता है, ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी."

अधिसूचना में उम्मीदवारों को आचार संहिता, लिंगदोह समिति के दिशा-निर्देशों, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेशों और दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 का सख्ती से पालन करने की भी याद दिलाई गई. इसमें कहा गया है कि इन दिशानिर्देशों और अधिनियमों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन अयोग्यता और आपराधिक दंड का कारण बन सकता है. इसके अतिरिक्त, अधिसूचना में कहा गया कि उम्मीदवारों को परिसर के भीतर निर्दिष्ट "Walls of Democracy" का उपयोग केवल हस्तनिर्मित पोस्टर चिपकाने के लिए करने की अनुमति है. 

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