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बीते कई सालों में शहरों से लेकर गांव तक कई कामों में ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है. ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां ड्रोन से वीडियो शूटिंग ना की जाती हो. राजधानी दिल्ली में फूड डिलीवरी, मेडिसिन डिलीवरी जैसे कामों में भी अब ड्रोन का इस्तेमाल किया जाने लगा है. ड्रोन के बढ़ते बाजार को देखते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी अपने स्टूडेंट के लिए ड्रोन बनाने और इसे उड़ाने से संबंधित एक कोर्स की शुरुआत की है.
दिल्ली यूनिवर्सिटी में होगी ड्रोन की पढ़ाई
दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब स्टूडेंट्स को ड्रोन बनाने, उड़ाने और मरम्मत की ट्रेनिंग दी जाएगी, देशभर में ड्रोन की उपयोगिता को देखते हुए स्टूडेंट्स के लिए पायलट ट्रेंनिंग फॉर ड्रोन नाम से एक कोर्स की शुरुआत की जा रही है. यह स्कूल आफ ओपन लर्निंग के तहत शुरू किया जाएगा. दिल्ली यूनिवर्सिटी के ओपन लर्निंग स्कूल में अब तक इनोवेशन के क्षेत्र में कुल 12 कोर्सेज शुरू किए जा चुके हैं, ड्रोन ट्रेंनिंग इनोवेशन सेंटर का 13वां कोर्स होने वाला है. इस कोर्स का हिस्सा बनने के लिए देशभर से छात्र आवेदन कर सकते हैं.
ओपन लर्निंग कैंपस की निदेशक प्रोफेसर पायल मागो बताती हैं कि पहले स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में इनोवेटिव कोर्स नहीं थे, लेकिन पिछले दो सालों में ओपन लर्निंग में भी कई कोर्स की शुरुआत की गई है, जिससे बच्चे कम समय में इनोवेशन की ओर बढ़ें और कोई स्किल्ड कोर्स जरूर करें.
स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के निदेशक की मानें तो देश के प्रधानमंत्री ने भी ड्रोन दीदी इनिशिएटिव की शुरुआत की थी. इसके साथ ही वह भारत को आने वाले वक्त में एक बड़े ड्रोन शक्ति के रूप में देखने को लेकर काफी काम कर रहे हैं और यही विजन दिल्ली यूनिवर्सिटी का भी है, जिसके तहत अब स्टूडेंट्स को ड्रोन उड़ाना और इसका इस्तेमाल करना सिखाया जाएगा.
कैसे लें ड्रोन कोर्स में एडमिशन?
इस कोर्स में दाखिला लेना बेहद आसान है. स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के तहत दाखिले की शुरुआत 21 जुलाई से होगी. इस दिन ms ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन मोड में आवेदन कर सकते हैं, फिलहाल कोर्स बिगनर लेवल से शुरू होगा, जिसमें ड्रोन उड़ने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके बाद अगले लेवल पर ड्रोन बनाना और इसकी मरम्मत करना भी स्टूडेंट्स को सिखाया जाएगा. बता दें कि यह पूरा कोर्स 40 घंटे का होगा, यानी इसे कुछ महीनो में ही खत्म कर दिया जाएगा. इसमें स्टूडेंट्स को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाएगी.
कोर्स की फीस और अवधि कितनी है?
इस कोर्स में डिग्री लेने के लिए छात्र को 12वीं पास होना चाहिए. इसके अलावा कोई भी अलग क्राइटेरिया एडमिशन के लिए नहीं रखा गया है. इस कोर्स की फीस सिर्फ 10 हजार रुपये है. ट्रनिंग खत्म करने के बाद स्टूडेंट्स को ड्रोन पायलट का सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा. इस कोर्स के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने फर्राटा नाम की ड्रोन कंपनी के साथ हाथ मिलाया है. इस कंपनी को उन लोगों ने बनाया जो आर्म्ड फोर्सेज को बहुत करीब से जानते हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी इस ग्रुप के साथ मिलकर आने वाले वक्त में स्टूडेंट्स को ड्रोन बनाने और उड़ाने की ट्रेनिंग देने वाली है. यह ग्रुप चंडीगढ़ का है जो बीते कई सालों से ड्रोन बनाने का ही काम कर रहे हैं.
इस ड्रोन से होगी स्टूडेंट्स की ट्रेनिंग
फर्राटा के ड्रोन पायलट और फाउंडर संदीप बताते हैं कि वह खुद डिफेंस बैकग्राउंड से आते हैं और ड्रोन में उनकी बहुत दिलचस्पी रही है. ऐसे में उन्होंने अपने दोस्तों के साथ यह तय किया कि न सिर्फ ड्रोन बनाया जाए बल्कि ड्रोन की ट्रेनिंग भी कॉलेज में देनी चाहिए. वह जस्ट ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह के ड्रोन का सीमाओं पर भी इस्तेमाल किया जाता है. इसका वजन लगभग 5 किलो है और यह सर्विलांस यानी सीसीटीवी की तरह काम करता है. इसे एक बार हवा में उड़ा दिया जाए तो यह 3 किलोमीटर तक के दायरे की तस्वीर ले लेता है और उसमें इंसान और ऑब्जेक्ट की पहचान भी कर लेता है. संदीप बताते हैं कि आज भारत के हर क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है. दिल्ली एनसीआर में तो कई रेस्टोरेंट अब ड्रोन के जरिए ही खाना डिलीवर करवा रहे हैं साथ ही दवाई कंपनियां भी ड्रोन के जरिये दवाईयों की डिलीवरी करवा रही हैं.