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DUTA Protest: जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे दिल्ली विश्वविद्यालय के श‍िक्षक, जानिए क्या है वजह

धरने पर बैठे DUTA के पदाध‍िकारियों का कहना है कि यह कैसे संभव है कि 15 साल से पढ़ा रहे एडहॉक साथियों की जांच हम 10 मिनट के साक्षात्कार में कर लें. साथ ही 5 दिसंबर 2019 को एमएचआरडी ने कहा था EWS रिजर्वेशन के आधार पर अतिरिक्त शिक्षकों का पोस्ट दिया जाएगा जो अभी तक नहीं मिला है.

Delhi University Delhi University
मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 18 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

DUTA Protest: एडहॉक श‍िक्षकों के समायोजन सहित कई मांगों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) की तरफ से मंगलवार को जंतर मंतर पर धरना आयोजित किया जा रहा है. इसके बाद 19 और 20 अक्टूबर को भी श‍िक्षक अलग अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित करेंगे. 

डूटा अध्यक्ष प्रो एके बागी का कहना है कि DUTA लगातार कॉलेजों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों को निकालने का विरोध करती आ रही है. यहां जंतर मंतर में बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों के शिक्षकों ने धरने में हिस्सा लिया. प्रो बागी ने कहा कि बीते कई वर्ष से पढ़ा रहे एडहॉक शिक्षकों ने निरंतर अपनी योग्यता को सिद्ध किया है, एडहॉक शिक्षकों का विस्थापन डूटा में पारित प्रस्ताव का उल्लंघन भी है. डूटा समायोजन की मांग को लेकर प्रतिबद्ध है, वह अपनी समायोजन की मांग को लेकर संघर्ष मांग पूरी न होने तक जारी रखेगा.

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DUTA के पूर्व ज्वाइंट सेक्रेटरी व एकेडम‍िक काउंसिल मेंबर डॉ आलोक पांडेय ने कहा कि जिस तरह से दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से पढ़ा रहे Adhoc साथियों को permanant नियुक्ति के नाम पर बाहर किया जा रहा है, वो अशोभनीय है. लंबे समय से पढ़ा रहे साथियों को 10 मिनट के साक्षात्कार के नाम पर हटाया जा रहा है. अभी हाल ही में लक्ष्मीबाई, हंसराज कॉलेज, देशबंधु, स्वामी श्रद्धानंद और रामजस कॉलेज में परमानेंट इंटरव्यू हुआ है, वहां 14-15 साल से पढ़ा रहे बहुत से एडहॉक साथियों को बाहर किया गया है. 

जंतर मंतर पर धरना देने पहुंचे डीयू श‍िक्षक (Photo: Dr Alok Pandey)

एकेडमिक काउंसिल सदस्य सुधांशु कुमार का कहना है कि सरकार यूजीसी और विश्विद्यालय प्रशासन ने अपनी नाकामियों की वजह से शोषणकारी एडहॉक व्यवस्था को जन्म दिया. वर्षों से एन केन प्रकारेण स्थाई नियुक्तियों को रोककर रखा गया. परिणाम यह हुआ की बड़ी संख्या में साथी स्थायी नहीं हो पाए और वे एडहॉक रूपी शोषणकारी व्यस्था को भुगतने के लिए मजबूर हैं. 

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19 अक्टूबर को सीएम हाउस पर होगा प्रदर्शन

आज जब स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई है तो सबको यह विश्वास था की सरकार, यूजीसी और विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी गलतियों का सुधार करते हुए पहले से पढ़ा रहे साथियों को स्थायी नियुक्ति देगा. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा. बड़े पैमाने पर वर्षों से पढ़ा रहे साथियों की जीविका छीनी जा रही है. 

20 अक्टूबर को करेंगे मार्च

एक तरफ परमानेंट नियुक्ति में वर्षो से पढ़ा रहे साथियों को निकाला जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ नई एडहॉक नियुक्ति बंद कर दी गई है.  यह दोहरी मार है. चिंता की बात यह है कि कोई यह सोचने तक को तैयार नहीं है कि आखिर 40 से 45 की आयु तक पहुंच चुके ये शिक्षक आज किस नई जीविका को पा सकेंगे?

वहीं शिक्षा का मॉडल मुद्दा लेकर सत्ता में आई दिल्ली सरकार की मनमानी तो किसी से छुपी है ही नहीं. लगभग 4 साल से 12 कॉलेज के शिक्षक और कर्मचारी अपमान का घूंट पीने को मजबूर हैं. वेतन जो उनका अधिकार है, उसके लिए भी उन्हें तड़पाया जा रहा है. इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या होगी कि हर महीने सैलरी दिलाने के लिए शिक्षकों को मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करना पड़ता है. इस कठिन वक्त में शिक्षकों के पास एक ही रास्ता है कि संगठित होकर सरकारों और प्रशासन की मनमानियों का विरोध करें. 

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