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लंबे समय से अंग्रेजी भाषा को जरूरी भाषा माना जाता रहा है. पेरेंट्स भी अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार के राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट करिकुलम में गई सिफारिशों में स्कूली पढ़ाई में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य नहीं माना गया है. इसे केवल विदेशी भाषा मानकर चुनने और न चुनने का विकल्प देने की तैयारी है.
राज्य शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट करिकुलम में गई सिफारिशों में के अनुसार, 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए अंग्रेजी को विदेशी भाषा माना गया है और अब यह अनिवार्य विषय नहीं होगी. हालांकि मौजूदा पाठ्यक्रम में, इन दोनों कक्षाओं के लिए अंग्रेजी अभी एक अनिवार्य विषय है.
एससीईआरटी ने स्टेकहोल्डर्स से 3 जून तक सुझाव भी मांगे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र एससीईआरटी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट करिकुलम के अनुसार, 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए आठ विषय होंगे. इनमें दो भाषाएं, चार वैकल्पिक विषय और दो अनिवार्य विषय शामिल हैं. दो भाषाओं में से एक का चयन मराठी, संस्कृत, हिंदी, गुजराती, उर्दू, कन्नड़, तमिल, मलयालम, सिंधी, बांग्ला, पंजाबी, पाली, तेलुगू, अर्धमागधी, महाराष्ट्री प्राकृत, अवेस्ता-पहलवी सहित 17 भारतीय भाषाओं के समूह से किया जाना है.
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ड्राफ्ट में अंग्रेजी को जर्मन, फ्रेंच, रूसी, जापानी, स्पेनिश, चीनी, फारसी और अरबी के साथ विदेशी भाषाओं की कैटेगरी में शामिल किया गया है. दूसरी भाषा पहले या दूसरे ग्रुप में से कोई भी हो सकती है. इस प्रकार, अब अंग्रेजी अनिवार्य भाषा नहीं होगी. SCERT के ड्राफ्ट करिकुलम में जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे बदलावों पर विशेष ध्यान देने के साथ अंतःविषय क्षेत्रों में शिक्षा की भी बात की गई है.