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गुजरात के 6 आयुर्वेद कॉलेजों का ऐफिलियेशन रद्द, कम हुईं 330 सीटें, ये थी कमियां

गुजरात में कई आयुर्वेद कॉलेजों के ऐफ़िलियेशन रद्द कर दिए गए हैं. बताया गया है कि इन कॉलेजों में लैब समेत कई जरूरी सुविधाओं की कमी थी. रद्द किए हुए कॉलेजों में एक सरकारी कॉलेज भी शामिल है.

Gujrat Ayurveda college Closed Gujrat Ayurveda college Closed
अतुल तिवारी
  • अहमदाबाद,
  • 22 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने राज्य के कई आयुर्वेद कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सख्त कदम उठाए हैं. विश्वविद्यालय ने फैसला लिया है कि इस साल अहमदाबाद, गांधीनगर, कलोल, महिसागर, आनंद और गोधरा जिलों में स्थित 6 आयुर्वेद कॉलेजों का ऐफ़िलियेशन रद्द किया जाए. इनमें अहमदाबाद का एक सरकारी कॉलेज भी शामिल है.

सरकारी आयुर्वेद कॉलेज भी बंद

आमतौर पर ऐसी सख्त कार्यवाही सरकारी कॉलेज पर कम ही देखी जाती है, लेकिन अहमदाबाद की सरकारी अखंडानंद आयुर्वेद कॉलेज में OPD और IPD तीनों अलग-अलग जगह होने की वजह से ऐफ़िलियेशन रद्द करने का फैसला लिया गया है. अखंडानंद आयुर्वेद कॉलेज के अलावा बाकी के पांच सेल्फ फाइनेंस कॉलेज का ऐफ़िलियेशन रद्द किया गया है.

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जिन कॉलेजों के ऐफ़िलियेशन रद्द किए गए हैं उसमें सरकारी अखंडानंद आयुर्वेद कॉलेज, अहमदाबाद, श्री बाला हनुमान आयुर्वेद कॉलेज, गांधीनगर, अनन्या कॉलेज ऑफ आयुर्वेद, कलोल, धन्वंतरी आयुर्वेद कॉलेज - होस्पिटल, महिसागर, भार्गवा आयुर्वेद कॉलेज, आनंद, जय जलाराम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, गोधरा शामिल हैं.

ऐफ़िलियेशन रद्द होने पर 330 सीटें हुईं कम

गुजरात में कुल 29 आयुर्वेद कॉलेज कार्यरत हैं, जिनमें 2400 सीटें उपलब्ध है. लेकिन 6 आयुर्वेद कॉलेजों का ऐफ़िलियेशन रद्द करने के बाद अब भविष्य में राज्य की केवल 23 आयुर्वेद कॉलेजों में ही विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा सकेगा. 6 आयुर्वेद कॉलेजों का ऐफ़िलियेशन रद्द होने से राज्य में 330 आयुर्वेद क्षेत्र में सीटें कम हो गई हैं.

आयुर्वेद कॉलेजों में नहीं थी कई सुविधाएं

गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डोक्टर मुकुल पटेल ने कहा, प्रोफेसर, लैब समेत जरूरी सुविधाओं की कमी के कारण कॉलेजों पर कार्रवाई करनी पड़ी है. इस प्रकार की कार्रवाई हर साल की जाती है. इंस्पेक्शन, हियरिंग, ऐकडेमिक कमिटी और बोर्ड ऑफ गवर्नेंस इन मामलों में फैसला करती है. टीचिंग स्टाफ़ और होस्पिटल की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु कार्यवाही करनी पड़ती है, जिससे कॉलेजों में जल्द ही सुधार देखने को मिलते है.

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