
हरियाणा के मिडिल क्लास फैमिली से आने वाले प्रतीक सांगवान को इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी से 2 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप हासिल कर देश का नाम रोशन किया है. चरखी दादरी के गांव पिचौपा खुर्द निवासी प्रतीक सांगवान ने रेतीले टिब्बों में लगातार जलस्तर नीचे जाने के बाद बने जल संकट के हालातों पर रिसर्च करेंगे. उन्होंने अपनी आंखों से देखने व पूर्वजों के सामने जल संकट के कारण आई समस्याएं देखने के बाद जल संकट को आधुनिक तकनीक से दूर करने का संकल्प लिया.
विदेश से PhD करने का मौका, 2 करोड़ की स्कॉलरशिप मिली
अपनी करीब आठ वर्षों की मेहनत के बूते प्रतीक सांगवान को इंग्लैंड की प्रतिष्ठित न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (New York University) में पीएचडी करने का मौका मिला है. यूके सरकार के प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद के तरफ से प्रतीक सांगवान को दो करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली है. अब वह विदेश धरती पर हरियाणा सहित उत्तर भारत में बन रहे जल संकट के लिए विदेशी धरती पर शोध करेंगे. बेटा की उपलब्धि पर परिजनों व ग्रामीणों ने खुशियां मनाते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की है.
कौन हैं प्रतीक सांगवान?
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से 2 करोड़ की स्कॉलरशिप पाने वाले प्रतीक सांगवान चरखी दादरी के गांव पिचौपा खुर्द निवासी हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल कुंजपुरा से पूरी की है. उन्होंने टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई से जल नीति और शासन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है. प्रतीक को अब इंग्लैंड की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क में पीएचडी में दाखिला मिला है. इंग्लैंड सरकार के प्राकृतिक पर्यावरण अनुसंधान परिषद के तरफ से 2 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है.
दुनिया भर से 300 अभ्यर्थियों में से चुने गए प्रतीक
इस स्कॉलरशिप के लिए दुनिया भर से 300 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिसमें भारत के प्रतीक सफल रहे हैं. वर्तमान में प्रतीक कुमार वेल लैबस नाम की संस्था के साथ काम करते हैं, जो प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि आजीविका में अनुसंधान के लिए समर्पित संगठन है. इससे पहले प्रतीक कुमार ने सिंचाई और जल संसाधन विभाग, हरियाणा के साथ काम किया है, जहां वह जल संरक्षण कार्यक्रमों को लागू करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे.
जल संकट से निपटने के लिए क्या है प्रतीक का प्लान?
प्रतीक ने बताया कि उसके शोध का मुख्य उद्देश्य हरियाणा और उत्तरी भारत में गहराते जल संकट का समाधान तलाशना होगा. यह शोध दुनिया की सबसे विकसित तकनीकों को स्थानीय हालातों में ढाल कर, किसानों के लिए मुकमल सिंचाई प्रबंधन के तरीके खोजेगी.
सरकारी स्कूल में टीचर हैं पिता
शुरू से ही प्रतीक को बेहतर शिक्षा मुहैया करवाने में उनकी माता का अहम योगदान रहा है. प्रतीक के पिता सुरेंद्र सिंह सरकारी स्कूल में टीचर हैं. उन्होंने प्रतीक की इस सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि बेटे को गांव से विदेश में इस शैक्षणिक यात्रा पर जाते हुए देखना एक सपने के साकार होने जैसा है. वहीं माता राजबाला व ताऊ सतबीर सिंह ने भी अपने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि प्रतीक ने उनका विश्व में नाम रोशन किया है.