
CBSE Board 2023 Exam: जब छात्र 10वीं और 12वीं सीबीएसई बोर्ड के परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं सीबीएसई ने अगले साल से मूल्यांकन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर बदलाव लाने का फैसला किया है. पूरी प्रक्रिया को अधिक व्यापक, स्किल और कॉम्पीटेंसी यानी सक्षमता आधारित बनाने के लिए इसमें कई तरह के बदलाव किए जाएंगे.
ये सभी बदलाव मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) पर आधारित हैं. दोनों कक्षाओं के लिए छात्रों, अभिभावकों और यहां तक कि शिक्षकों को संरचनात्मक नवीनीकरण के कई सेट देखने को मिलेंगे जो छात्रों के समग्र मूल्यांकन में मदद करेंगे. इस तरह के कई बदलाव कुछ स्कूलों में पहले ही लागू किए जा चुके हैं और अनुभव के आधार पर 2024 से सभी स्कूलों में इसका पालन किया जाएगा.
20 पर्सेंट इंटरनल असेसमेंट होगा
सीबीएसई सचिव अनुराग त्रिपाठी ने इंडिया टुडे के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन योजनाओं का खुलासा किया जो बोर्ड द्वारा पेश की गई हैं. अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि सभी विषयों के लिए 20% आंतरिक मूल्यांकन होगा. यहां तक कि उनके लिए भी ये होगा जिनकी कोई व्यावहारिक परीक्षा नहीं है.
सचिव ने कहा कि वर्ष के अंत में तीन घंटे की लंबी परीक्षा छात्र की योग्यता को सही मायने में नहीं आंक सकती है. इसलिए, आकलन एक साल भर चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए. वे सभी पेपर जहां प्रैक्टिकल परीक्षा नहीं है, वहां 20% आंतरिक मूल्यांकन आवश्यक होगा. यह प्रयोग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर आधारित है. छात्रों के शिक्षक, माता-पिता और सहकर्मी समूह इसका आकलन करेंगे और उसके आधार पर 20% अंक दिए जाएंगे. इसमें प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्री कनेक्शन भी शामिल होंगे. इसके अलावा इसमें सामाजिक कार्य, खेलकूद भी शामिल होंगे.
प्रश्न पत्रों में होगा मेजर स्ट्रक्चरल चेंज: छात्रों को ज्यादा विकल्प के लिए 33% अधिक प्रश्न होंगे
बोर्ड सचिव ने बताया कि प्रश्न पत्रों में भी मेजर स्ट्रक्चरल चेंज होगा. अभी हमने जो पेपर पेश किया है उसमें दो तरह के संरचनात्मक बदलाव होंगे. पहला बदलाव यह है कि हमने आंतरिक रूप से प्रश्नों की संख्या में 33% की वृद्धि की है. जिससे छात्रों के सामने अधिक विकल्प होंगे. इससे प्रश्न पत्र लंबे होंगे और 33% प्रश्नों के विकल्प उपलब्ध होंगे ताकि छात्र कई विकल्पों में से उत्तर दे सकें.
सवालों की प्रकृति भी बदलेगी: एनालिटिकल और क्रिटिकल थिंकिंग पर रहेगा फोकस
प्रश्न पत्रों में दूसरा परिवर्तन प्रश्नों के प्रकार पर होगा. प्रश्न अब से स्किल और योग्यता आधारित होंगे. ताकि छात्र एनालिटिकल और क्रिटिकल रूप से सोच सकें. वो अपने सीखे हुए विषय से रिलेट और को रिलेट करके प्रश्न का एक नया उत्तर निकालेंगे. वे उत्तर किताबों में नहीं मिलते और इन छात्रों के लिए माता-पिता और शिक्षकों को बहुत अभ्यास करना पड़ता है.
कक्षा 3, 5 और 8 में होगा असेसमेंट सर्वे: सीखने की कमियों को भरने के लिए संरचनात्मक क्षमता का आकलन करने पर जोर
मूल्यांकन में एक और बदलाव कक्षा 3, 5 और 8 में एक छात्र का असेसमेंट करना होगा. इसका उद्देश्य एक छात्र के स्ट्रक्चरल मूल्यांकन को हासिल करना होगा. अभी तक इस बात का अंदाजा नहीं है कि कक्षा 1 से 10 तक के छात्र का स्तर क्या है. हम छात्र के सीखने के गैप और लेवल की पहचान भी नहीं कर सकते हैं. शिक्षक ने कभी भी इन लेवल्स पर सीबीएसई बोर्ड के साथ बच्चे का डेवलेपमेंट साझा नहीं किया. अब हम कक्षा 3, 5 और 8 में इन छात्रों का मूल्यांकन सर्वे करेंगे.
यह परीक्षा सामान्य परीक्षा की तरह नहीं होगी जिसमें छात्र अंक प्राप्त करते हैं. इन परीक्षणों के माध्यम से हम शिक्षकों और माता-पिता को अपने बच्चे के लेवल के बारे में बताएंगे कि किसी छात्र ने पहले के लेवल से अब कैसे सुधार किया है. उदाहरण के तौर पर जहां कक्षा 3 के छात्र को कक्षा 2 के गणित और विज्ञान विषयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसलिए, जो गैप साझा किए जाएंगे, उन्हें अगली कक्षाओं में पाटने का लक्ष्य है.
समग्र मूल्यांकन कार्ड (Wholistic assessment cards:)मिलगा: शिक्षकों, माता-पिता, सहकर्मी समूहों और स्वयं छात्रों द्वारा 360-डिग्री मूल्यांकन
सीबीएसई छात्रों के लिए एक समग्र मूल्यांकन कार्ड भी पेश करने जा रहा है. बोर्ड सचिव कहते हैं कि हमने यह मूल्यांकन कार्ड बनाया और लॉन्च किया है. कुछ स्कूलों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भी शुरू किया गया है. उस मूल्यांकन कार्ड में एक छात्र का मूल्यांकन शिक्षक, माता-पिता, सहकर्मी समूह द्वारा किया जाएगा और छात्र एक स्व-मूल्यांकन भी करेगा. इसे हम छात्रों का 360 डिग्री असेसमेंट करार दे रहे हैं.
अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि सीबीएसई बोर्ड पहले ही इन सुधारों को शुरू कर चुका है. अगले साल से ये आकलन कुछ चुने हुए स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किए जाएंगे और अगर यह प्रयोग सफल रहा तो 2024 से हम इसे हर जगह लागू करेंगे.