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क्या UPSC किसी IAS की नौकरी खत्म कर सकता है? जानिए- कौन ले सकता है पूजा खेडकर पर एक्शन

IAS पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया गया है. पूजा खेडकर मामले की जांच में पुलिस जुटी हुई है. यूपीएससी ने पूजा खेडकर के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर दी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या यूपीएससी किसी IAS ऑफिसर को नौकरी से निकाल सकता है या नहीं.

IAS Termination and Suspension Rules IAS Termination and Suspension Rules
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

पुणे कलेक्टर कार्यालय में तैनात महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अफसर पूजा खेडकर के फेक सर्टिफिकेट और दिव्यांग कोटे का विवाद काफी समय से चल रहा है. विवादों में घिरने के बाद उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने पूजा खेडकर का महाराष्ट्र से ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया है. इसके साथ ही एकेडमी ने उन्हें तत्काल वापस बुलाने के लिए लेटर जारी किया था लेकिन वह वहां नहीं पहुंची. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या UPSC द्वारा IAS, IRS या IFS पद पर तैनात ऑफिसर की नौकरी खत्म की जा सकती है या नहीं.

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अनफेयर मीन्स में शामिल IAS के खिलाफ पहले होती हैं जांच

UPSC की परीक्षा देश की कठिन परीक्षाओं में से एक है. हर साल लाखों कैंडिडेट्स IAS, IRS या IFS पद के लिए कड़ी मेहनत करके एग्जाम देते हैं, लेकिन कुछ ही इस पद तक पहुंच पाते हैं. एक आईएएस के पास जिले के सभी विभागों की जिम्मेदारी होती है. वह जिलाधिकारी के रूप में पुलिस विभाग के साथ साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है. डिस्ट्रिक्ट की पुलिस व्यवस्था की जिम्मेदारी भी जिलाधिकारी के पास ही होती है. ऐसे में आईएएस कोई गड़बड़ी करता हुआ पाया जाता है तो उसे पद से आसानी से नहीं हटाया जाता है. इसके लिए पूरी जांच की जाती है. अगर वाकई IAS अनफेयर मीन्स में शामिल होता है, जिससे जनता का नुकसान हो रहा हो या वे उसकी नौकरी के खिलाफ हो तो उसकी नौकरी खत्म की जा सकती है लेकिन इसका अधिकार सिर्फ एक शख्स के पास है.

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दोषी पाए जाने में रैंक कम या हाथ से जा सकती है नौकरी

IAS की नौकरी खत्म करने से जुड़े नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में लिखित हैं. अनुच्छेद 311 (2) के तहत अगर किसी ऑफिसर को अपराध में दोषी ठहराया जाए तो उसकी रैंक कम की जा सकती है साथ ही उसकी नौकरी भी खत्म की जा सकती है. इन प्रावधानों के तहत बर्खास्त किये गए सरकारी कर्मचारी राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण या केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) न्यायालयों जैसे न्यायाधिकरणों में जा सकते हैं. अनुच्छेद 310 के अनुसार, संविधान द्वारा प्रदान किये गए प्रावधानों को छोड़कर, संघ में एक सिविल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से काम करता है और राज्य के अधीन एक सिविल सेवक उस राज्य के राज्यपाल की इच्छा पर काम करता है. ऐसे में उसे नौकरी से निकालना भी राष्ट्रपति के हाथ में होता है, यूपीएससी के नहीं.

राज्य के मुख्यमंत्री तक नहीं दे सकते हैं बर्खास्त करने का ऑर्डर

IAS, IRS या IFS पद के ऑफिसर को सिर्फ राष्ट्रपत‍ि ही नौकरी से निकाल सकता है. संविधान के अनुसार, इसका हक यूपीएससी को नहीं दिया गया है. यहां तक कि राज्य का मुख्यमंत्री भी किसी ऑफिसर को पद से हमेशा के लिए नहीं हटा सकता है. पूजा खेडकर मामले में यूपीएससी की ओर से एफआईआर दर्ज की जा चुकी. जांच पूरी होने पर और अंतिम फैसला आने पर ही राष्ट्रपत‍ि ये फैसला लेंगी कि पूजा खेडकर को नौकरी से निकालना चाहिए या नहीं. 

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राज्य सरकार के पास है IAS को सस्पेंड करने का अधिकार, लेकिन ये हैं शर्ते

राज्य सरकार के पास आईएएस ऑफिसर की नौकरी से निकालने का अधिकार नहीं है लेकिन उसे निलंबित करने का अधिकार है. अगर राज्य सरकार आईएएस जैसे किसी ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी को सस्पेंड करती है तो उन्हें 48 घंटे के अंदर कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को लेटर भेजकर इसकी जानकारी देनी होती है. 30 दिनों के बाद संस्पेंशन जारी रखने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार ने परमिशन लेनी होती है. लेकिन आईएएस ऑफिसर को तभी सस्पेंड किया जा सकेगा, जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) का प्रभार संभाल रहे मंत्री उसके लिए मंजूरी देंगे.

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