
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के निदेशक लक्ष्मीधर बेहरा का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इसमें दावा किया गया है कि मांस खाने के लिए जानवरों को मारने से हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और बादल फटे. उन्होंने एक सभागार में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि निर्दोष जानवरों को काटने का पर्यावरण के क्षरण के साथ सहजीवी संबंध है.
बेहरा ने आगे कहा कि लोग यह नहीं देख पा रहे हैं कि मांस के लिए जानवरों को मारने से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है, लेकिन वे इसे जल्द ही देखेंगे. भूस्खलन, बादल फटना जो आप बार-बार देखते हैं, ये सभी (पशु) क्रूरता के प्रभाव हैं. वीडियो पहले यूट्यूब पर अपलोड किया गया. इसके बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर द्वारा साझा किए जाने के बाद वायरल हो गया.
वीडियो में पहले आईआईटी मंडी निदेशक ने छात्रों से पूछा कि "अच्छे इंसान बनने" के लिए उन्हें क्या करना होगा? "अच्छे इंसान बनने के लिए, आपको क्या करना होगा? मांस खाना नहीं! हां या नहीं?" अपने संबोधन को आगे बढ़ाने से पहले उन्होंने छात्रों से "नो मीट ईटिंग" नारा लगाने को कहा. बता दें कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में जुलाई से अगस्त के दौरान मानसून के दौरान बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण गंभीर तबाही देखी गई. 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से पहाड़ी राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में लगभग 250 लोगों की मौत हो गई है. अकेले लोक निर्माण विभाग को 2,913 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
खैर, यह वीडियो अब और ज्यादा चर्चा में आ गया है जब से कांग्रेस नेता ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए ट्विटर (X) पर लिखा कि आईआईटी मंडी के निदेशक का अजीबो-गरीब बयान आया है. इस कथित वीडियो पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वे निदेशक पद पर बने रहने के लायक नहीं हैं. वो इस पद पर जितना अधिक समय तक रहेंगे, उतना ही ज्यादा वैज्ञानिक नजरिए को नुकसान पहुंचेगा.
इस बयान के साथ ही विपक्षी दल के नेता जयराम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान का भी हवाला दिया. उन्होंने एक्स पर आगे लिखा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे पूर्वजों को प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानकारी थी. उन्होंने बच्चों से यह भी कहा कि जलवायु नहीं बदली है, जबकि ऐसा नहीं है. एक वरिष्ठ मंत्री न्यूटन और आइंस्टीन का फर्क नहीं कर पाता, वहीं दूसरा नेता डार्विन को पाठ्यक्रमों से हटाने का जायज बताता है.