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IIT Delhi के वैज्ञानिकों ने परखी योग की ताकत, लॉकडाउन के दौर में योग‍ियों पर की ये स्‍टडी

कोरोना महामारी के दौरान लोगों में तनाव, चिंता और अवसाद भी बढ़ा है. ऐसे में योगाभ्यास करने वालों को इन समस्‍याओं से कम जूझना पड़ा. आईआईटी दिल्‍ली के ताजा अध्‍ययन में यह सामने आया है.

प्रतीकात्‍मक फोटो प्रतीकात्‍मक फोटो
aajtak.in
  • नई द‍िल्‍ली,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

COVID-19 के प्रकोप के दौरान लोगों में एंजाइटी, स्‍ट्रेस और डिप्रेशन की समस्‍याएं बढ़ी हैं. लेकिन इस दौरान योग ने लोगों की बहुत मदद की है. यह कोई कोरी कल्‍पना नहीं बल्‍क‍ि आईआईटी द‍िल्‍ली के ताजा अध्‍ययन में यह बात सामने आई है. आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं का अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका PLOS ONE में प्रकाश‍ित हुआ है.

अध्‍ययन में सामने आया है कि कोरोना के दौरान लगे बीते साल लगे लॉकडाउन के 4 से 10 हफ्ते के बीच योगाभ्‍यास करने वालों में न करने वालों की अपेक्षा स्‍ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन का स्‍तर काफी कम था. यही नहीं उनमें मानसिक शांति का स्‍तर भी अध‍िक पाया गया.

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कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान 'योगा एन इफेक्‍ट‍िव स्‍ट्रेटजी फॉर सेल्‍फ मैनेजमेंट ऑफ स्‍ट्रेस रिलेटेड प्रॉब्‍लम्‍स एंड वेलबीइंग' शीर्षक से यह अध्‍ययन किया गया. यह अध्‍ययन आईआईटी दिल्‍ली के नेशनल रीसोर्स सेंटर फॉर वैल्‍यू एजुकेशन इन इंजीनियरिंग (NRCVEE) के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा किया गया था. इस शोध टीम में NRCVEE से डॉ पूजा साहनी, नितेश और मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर डॉ कमलेश सिंह के अलावा NRCVEE हेड प्रो राहुल गर्ग शामिल थे.

पूजा साहनी के नेतृत्व में IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कुल 668 वयस्‍क प्रतिभागियों पर अध्ययन किया. यह स्‍टडी 26 अप्रैल से 8 जून, 2020 के बीच COVID-19 लॉकडाउन के दौरान की गई.  इसमें ग्रुप बनाए गए जिनमें योग प्रेक्‍ट‍िशनर, अदर स्‍प्र‍िच‍ुअल प्रैक्‍ट‍िशनर और नॉन प्रैक्‍ट‍िशनर को शामिल किया गया. उनसे डेली प्रैक्‍ट‍िस को देखते हुए रिसपांस लिए गए. योगा प्रैक्‍ट‍िशनर भी अभ्यास की अवधि के आधार पर जैसे दीर्घकालिक, मध्य अवधि और शुरुआती के आधार पर परखे गए.

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स्‍टडी में सामने आया कि मध्यावधि या शुरुआती समूह की तुलना में लांग टर्म योग प्रैक्‍ट‍िशनर ग्रुप में कोरोना के चलते बीमार होने की च‍िंता कम थी, उनमें व्‍यक्‍त‍िगत नियंत्रण भी ज्‍यादा था. इनमें COVID-19 के बुरे भावनात्मक प्रभाव और जोखिम के बारे में अन्‍य  ग्रुप की तुलना में कम चिंता थी.

शोध टीम में शामिल पूजा साहनी कहती हैं कि‍ “जहां COVID19 के दौरान तनाव को मैनेज करने के तरीकों में से एक योग की सिफारिश की गई है. लेकिन इन दावों का समर्थन करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य का अभाव था. हमारे अध्ययन ने इसे मैप किया है जो COVID-19 की संज्ञानात्मक और भावनात्मक समस्याओं पर योग का प्रभाव दिखा रहा है.

 

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