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Jamia-IIT Roorkee Research: भविष्य में थर्माकोल से बनेंगी भूकंपरोधी बहुमंजिला इमारतें!

विश्लेषण से पता चलता है कि इस तकनीक से निर्मित चार मंजिला बिना किसी अतिरिक्त संरचनात्मक सहायता के, देश के सबसे भूकंपीय क्षेत्र (V)में भी भूकंप बलों का विरोध करने में यह इमारत सक्षम है. 

जामिया मिल‍िया इस्लामिया जामिया मिल‍िया इस्लामिया
aajtak.in
  • नई द‍िल्ली ,
  • 03 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST
  • जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में जुटाए ये तथ्य
  • देश के सबसे भूकंपीय क्षेत्र (V)में भी भूकंप बलों का विरोध करने में यह इमारत सक्षम होगी

अगर रेनफोर्स्ड कंक्रीट सैंडविच के मूल से मिश्रित सामग्री के रूप में थर्मोकोल या विस्तारित पॉलीस्टाइनिन (ईपीएस) का उपयोग किया जाता है तो यह चार मंजिला इमारतों पर भूकंप का प्रतिरोध कर सकता है. ये तथ्य जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में हासिल किया है. थर्माकोल थर्मल इन्सुलेशन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए भविष्य की सामग्री हो सकता है और निर्माण सामग्री विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को भी बचा सकता है. 

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शोधकर्ताओं ने एस एंड टी इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए (एफआईएसटी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के कार्यक्रम के फंड के तहत विकसित भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की के नेशनल सेस्मिक टेस्ट फैसिलिटी (एनएसटीएफ) में कंक्रीट की दो परतों के बीच थर्माकोल सैंडविच के साथ निर्मित एक पूर्ण पैमाने की इमारत और कई दीवार तत्वों का परीक्षण किया. 

आदिल अहमद, रिसर्च स्कॉलर (आईआईटीआर) और एसोसिएट प्रोफेसर, फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एंड एकिस्टिक्स, जेएमआई, ने इस पर परीक्षण किए. दोनों शोधकर्ताओं ने लेटरल फोर्सेस के तहत निर्माण के व्यवहार का मूल्यांकन किया, क्योंकि भूकंप मुख्य रूप से लेटरल डायरेक्शन में बल का कारण बनते हैं. यह जांच एक यथार्थवादी 4-मंजिला इमारत के विस्तृत कंप्यूटर सिमुलेशन के साथ पूरक हुई. 

अनुसंधान की निगरानी कर रहे प्रो. योगेंद्र सिंह, (पूर्व संकाय सदस्य, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, जेएमआई और वर्तमान में भूकंप इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की में प्रोफेसर) ने  बताया कि विश्लेषण से पता चलता है कि इस तकनीक से निर्मित चार मंजिला बिना किसी अतिरिक्त संरचनात्मक सहायता के, देश के सबसे भूकंपीय क्षेत्र (V)में भी भूकंप बलों का विरोध करने में यह इमारत सक्षम है. 

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उन्होंने इस भूकंप प्रतिरोध क्षमता को इस तथ्य के लिए जिम्मेदार ठहराया है कि ईपीएस परत कंक्रीट की दो परतों के बीच सैंडविच होती है जिसमें वेल्डेड तार जाल के रूप में सुदृढीकरण होता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि भूकंप के दौरान एक इमारत पर लगाया जाने वाला बल जड़त्व प्रभाव के कारण उत्पन्न होता है और इसलिए यह इमारत के द्रव्यमान पर निर्भर करता है. इस तरह थर्मोकोल इमारत के द्रव्यमान को कम करके भूकंप का प्रतिरोध करता है. 

इस तकनीक में, एक कारखाने में ईपीएस कोर और वायर मेश रि-इन्फोर्समेंट का उत्पादन किया जाता है. इमारत के ढांचे को पहले कारखाने से बने कोर और सुदृढीकरण पैनलों से खड़ा किया जाता है और फिर ढांचे के कोर पर कंक्रीट को फैलाया जाता है. इस तकनीक में किसी शटरिंग की आवश्यकता नहीं होती है और इसलिए इसे बहुत तेजी से बनाया जा सकता है. 

भूकंप प्रतिरोध के अलावा, एक इमारत की कंक्रीट की दीवारों में विस्तारित पॉलीस्टाइनिन कोर के उपयोग से थर्मल कम्फर्ट हो सकता है. यह कोर आंतरिक और बाहरी वातावरण के निर्माण के बीच गर्मी हस्तांतरण के विरुद्ध आवश्यक इन्सुलेशन प्रदान करता है. यह इमारत के अंदरूनी हिस्सों को गर्म वातावरण में ठंडा रखने और ठंड की स्थिति में गर्म रखने में मदद कर सकता है. भारत में न केवल देश के विभिन्न भागों में, बल्कि वर्ष के विभिन्न मौसमों में भी तापमान में भारी उतार-चढ़ाव होता है. इसलिए, संरचनात्मक सुरक्षा के साथ-साथ थर्मल कम्फर्ट एक महत्वपूर्ण विचार है. 

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प्रौद्योगिकी में भवनों के कार्बन फुटप्रिंट में समग्र कमी के साथ निर्माण सामग्री और ऊर्जा की बचत करने की क्षमता भी है. यह दीवारों और फर्श/छत से कंक्रीट की मात्रा के एक बड़े हिस्से को बदल देता है. बेहद हल्के ईपीएस के साथ कंक्रीट का यह प्रतिस्थापन न केवल द्रव्यमान को कम करता है, जिससे भवन पर काम करने वाले भूकंप बल में कमी आती है, बल्कि सीमेंट कंक्रीट के उत्पादन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों और ऊर्जा पर बोझ भी कम हो जाता है.

 

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